संपत्ति पंजीकरण क्या है और यह कैसे किया जाना चाहिए

July 09, 2019
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


विषयसूची

  1. संपत्ति पंजीकरण क्या है?
  2. संपत्ति के पंजीकरण की प्रक्रिया
  3. संपत्ति के पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज
  4. किसी संपत्ति के पंजीकरण के लिए एक वकील की आवश्यकता क्यों होती है?

संपत्ति पंजीकरण क्या है?

पंजीकरण अधिनियम 1908, के सेक्शन 17 के अनुसार वे सभी लेनदेन, जिसमें किसी भी प्रकार की 100 रुपये से अधिक की कीमत वाली अचल संपत्ति की बिक्री शामिल होती है, तो ऐसे सभी लेनदेन में पंजीकरण कराना अनिवार्य होता है। इसका मतलब यह है, कि अचल संपत्ति की बिक्री से जुड़े सभी लेनदेन को पंजीकृत कराया जाना चाहिए, क्योंकि कोई भी अचल संपत्ति 100 रुपये या इससे कम में तो खरीदी जा नहीं सकती। इसके अलावा अचल संपत्ति के किसी भी गिफ्ट के साथ - साथ 12 महीनों से ज्यादा की अवधि के लिए लीज पर दी गई संपत्ति को भी अनिवार्य रूप से पंजीकृत कराना जरूरी है।

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खास मामलों में संपत्ति के हस्तांतरण के पंजीकरण के लिए दोनों पक्षों में से अगर कोई पक्ष किसी भी आकस्मिक परिस्तिथि की वजह से सब-रजिस्ट्रार के दफ्तर नहीं आ सकता है, तो सब-रजिस्ट्रार अपने किसी अधिकारी को पंजीकरण के दस्तावेज उस शख्स के घर से लेने के लिए नियुक्त कर सकता है। ‘अचल संपत्ति’ में जमीन, इमारत खेती योग्य भूमि, घर बनाने योग्य प्लॉट और इन संपत्तियों के कोई भी अधिकार जुड़े होते हैं।
 


संपत्ति के पंजीकरण की प्रक्रिया

भारत में किसी भी संपत्ति के पंजीकरण को नीचे दिए हुए चरणों में विभाजित किया जा सकता है, जिनका पालन करके कोई व्यक्ति किसी संपत्ति का पंजीकरण क़ानूनी रूप से करा सकता है।
 

  1. पहला चरण

सबसे पहले एक व्यक्ति को उसके क्षेत्र के सर्किल रेट्स के आधार पर अपनी संपत्ति के मूल्य का आकलन करना चाहिए।
 

  1. दूसरा चरण

सर्किल रेट्स के आधार पर संपत्ति के मूल्य का आकलन करने के बाद संपत्ति के वास्तविक मूल्य के साथ सर्किल रेट्स की तुलना करनी होगी। स्टैंप ड्यूटी का भुगतान करने के लिए वास्तविक मूल्य और सर्किल रेट्स में से जो अधिक होगी वह देय होगी।
 

  1. तीसरा चरण

संपत्ति का पंजीकरण लिखित रूप में करने के लिए उसकी कीमत के आधार पर कैलकुलेशन करने के बाद आए उचित मूल्य के गैर-न्याययिक दस्तावेज या स्टांप पेपर आपको खरीदने होंगे।
 

  1. चौथा चरण

स्टांप पेपर को आप खुद जाकर या ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं। अगर आप स्टांप पेपर बाजार से खरीदना चाहते हैं, तो केवल लाइसेंस प्राप्त वेंडरों से ही खरीदने चाहिए, और यदि ऑनलाइन खरीदना चाहते हैं, तो (www.shcilestamp.com) इस वेबसाइट पे जाकर आपको ई-स्टांप मिल जायेगा। यदि कलेक्टर ऑफ़ स्टाम्प्स  के जरिये स्टांप ड्यूटी का भुगतान कर दिया जा चुका है, तो उसकी कोई रशीद या साबुत जमा करना अनिवार्य होता है।

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  1. पाँचवा चरण

इस चरण में आपको स्टांप पेपर पर एक डीड तैयार करानी होगी। विषय वस्तु संपत्ति के लेनदेन की प्रकृति के अनुसार बदलती है, जो बिक्री, लीज,गिरवी या पावर ऑफ़ अटॉर्नी हो सकती है।
 

  1. छठा चरण

अब इस संपत्ति का लेनदेन करने वाली पार्टी को डीड रजिस्टर को कराने के लिए दो गवाहों को लेकर सब - रजिस्ट्रार के दफ्तर जाना होगा। जो लोग इस संपत्ति के पंजीकरण की प्रक्रिया में शामिल हैं, उनके पास उनकी फोटो, आई. डी. प्रूफ इत्यादि होने अनिवार्य हैं। डीड की ओरिजनल कॉपी के साथ उसकी दो फोटो कॉपी भी साथ में लेकर जाएं।
 

  1. सातवां चरण

संपत्ति के बिक्रीनामा के रजिस्टर होने के बाद आपको एक रसीद प्राप्त होगी। उसके बाद दो से सात दिनों के बाद दोबारा सब - रजिस्ट्रार के दफ्तर में जाकर आप अपनी संपत्ति का बिक्रीनामा हासिल कर सकते हैं।
 

  1. आठवां चरण

असली बिक्रीनामा के रजिस्टर होने के बाद आप रजिस्ट्री की डिटेल और रजिस्ट्रार दफ्तर की तारीख से उसे सत्यापित भी करवा सकते हैं।
 


संपत्ति के पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज

किसी भी संपत्ति के पंजीकरण के लिए जिन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है, उन सभी की एक फाइल बनाने के बाद उन्हें सब रजिस्ट्रार के दफ्तर में जमा कराना होता है। लेकिन इसके लिए यह ध्यान रखना अनिवार्य होगा कि जिस क्षेत्र में आपकी संपत्ति स्थित है, उसी क्षेत्र के सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में सभी दस्तावेज जमा करने होंगे। दस्तावेजों के पंजीकरण के लिए दोनों पक्षों के ग्राहक और विक्रेता को दो गवाहों के साथ सब - रजिस्ट्रार के ऑफिस में उपस्थित होना होगा।

दोनों पार्टियों के पास अपने आई. डी. प्रूफ होना अनिवार्य होता है, आई. डी. प्रूफ के रूप में कुछ दस्तावेज इसके लिए मान्य किए गए हैं, वे इस प्रकार हैं: आधार कार्ड, पैन कार्ड या भारत की केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा जारी किया गया कोई भी मान्यता प्राप्त पहचान पत्र। अगर संपत्ति के पंजीकरण के समय उपस्थित दोनों पक्ष संपत्ति के वास्तविक विक्रेता और क्रेता होने की वजह उनके प्रतिनिधि हैं, तो ऐसी स्तिथि में प्रतिनिधित्व करने वाले दोनों लोगों के पास भी पूर्ण अधिकार उपलब्ध होता है। अगर किसी समझौते या किसी प्रकार की संपत्ति के पंजीकरण में किसी पक्ष का प्रतिनिधित्व किया जा रहा है, तो उस प्रतिनिधित्व करने वाले शख्स के पास जरूरी दस्तावेज जैसे पावर ऑफ अटॉर्नी / लेटर ऑफ़ अटॉर्नी, होना बहुत जरूरी है, ताकि वह व्यक्ति पंजीकरण की प्रक्रिया को सही ढंग से पूरा कर सके।

स्टैंप ड्यूटी के भुगतान की कॉपी और असली दस्तावेजों के अलावा आपको सब - रजिस्ट्रार ऑफिस में प्रॉपर्टी कार्ड भी दिखाना होगा। दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन करने से पहले सब - रजिस्ट्रार इस बात की पुष्टि करेगा कि क्या स्टैंप ड्यूटी का तय दरों के हिसाब से ही भुगतान किया गया है, या नहीं। अगर स्टैंप ड्यूटी के भुगतान में किसी प्रकार की गड़बड़ी पाई जाती है, तो सब-रजिस्ट्रार उस संपत्ति के दस्तावेजों को पंजीकरण करने से इनकार कर सकता है।

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किसी संपत्ति के पंजीकरण के लिए एक वकील की आवश्यकता क्यों होती है?

केवल एक वकील ही वह यन्त्र होता है, जिसके माध्यम से किसी भी संपत्ति के पंजीकरण जैसे कोई भी छोटा या बड़ा क़ानूनी कार्य बड़ी सरलता से किया जा सकता है, तथा एक वकील ही कम समय में और कम खर्चे में संपत्ति का पंजीकरण उचित रूप से करवा सकता है। लेकिन इसके लिए यह ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक होता है, कि जिस वकील को हम अपनी संपत्ति के पंजीकरण कराने के लिए नियुक्त करने की सोच रहे हैं, वह अपने क्षेत्र में निपुण वकील हो, और वह पहले भी संपत्ति से जुड़े हुए मामलों से जूझ चुका हो, और वह इस तरह के मामलों से निपटने में पारंगत हो।





ये गाइड कानूनी सलाह नहीं हैं, न ही एक वकील के लिए एक विकल्प
ये लेख सामान्य गाइड के रूप में स्वतंत्र रूप से प्रदान किए जाते हैं। हालांकि हम यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करते हैं कि ये मार्गदर्शिका उपयोगी हैं, हम कोई गारंटी नहीं देते हैं कि वे आपकी स्थिति के लिए सटीक या उपयुक्त हैं, या उनके उपयोग के कारण होने वाले किसी नुकसान के लिए कोई ज़िम्मेदारी लेते हैं। पहले अनुभवी कानूनी सलाह के बिना यहां प्रदान की गई जानकारी पर भरोसा न करें। यदि संदेह है, तो कृपया हमेशा एक वकील से परामर्श लें।

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