बच्चा गोद कैसे लेते है? Child Adoption के नियम, डाक्यूमेंट्स और प्रक्रिया



गोद लेने का अर्थ उस प्रक्रिया से है जिसके माध्यम से गोद लिया गया बच्चा गोद (Child Adoption) लेने वाले माता-पिता की कानूनी संतान बन जाता है और उसे वह सभी विशेषाधिकार और जिम्मेदारियां प्राप्त हो जाती हैं जो एक जैविक बच्चे को प्राप्त होती हैं। आज हम इस आर्टिकल मे भारत मे लड़का या लड़की गोद लेने की प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाले कानून, गोद लेने के नियम, शर्तें, आवश्यक दस्तावेज, कोन बच्चा गोद दे या ले सकता है, हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि सभी धर्मो के लिए बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया, के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।


विषयसूची

  1. भारत में गोद लेने (Child Adoption) के कानून और नियम
  2. 1. हिंदू दत्तक और रखरखाव अधिनियम,1956 (Hindu Adoption and Maintenance Act, 1956)
  3. 2. किशोर न्याय अधिनियम, 2015 (Juvenile Justice Act)
  4. 3. संरक्षक और प्रतिपाल्य अधिनियम,1890 (Guardians and Wards Act, 1890 )
  5. बच्चा गोद कैसे लेते है - Child Adoption Process in Hindi
  6. न्यायालय द्वारा विनियमित दत्तक-ग्रहण/गोद लेने की प्रक्रिया
  7. हिंदू दत्तक और रखरखाव अधिनियम,1956 के अनुसार कोन गोद ले सकता है?
  8. किसे गोद लिया जा सकता है?
  9. अन्य शर्तें जिन्हें पूरा करना भी आवश्यक है:
  10. न्यायालय की अनुमति कब आवश्यक है?
  11. किशोर न्याय अधिनियम के अनुसार बच्चा कौन गोद ले सकता है?
  12. किसे गोद लिया जा सकता है?
  13. अन्य शर्तें जिन्हें पूरा करना भी आवश्यक है
  14. बच्चे को गोद कौन दे सकता है?
  15. गोद लेने के लिए आवश्यक दस्तावेज (Important documents for Adoption )
  16. 1. रजिस्ट्रेशन
  17. 2. निवास-स्थान/घर का सर्वे (Residential/Home Survey)
  18. 3. बच्चे और माता - पिता का मिलान करना
  19. 4. न्यायालय की सुनवाई
  20. 5. न्यायालय का आदेश
  21. 6. बाल कल्याण के लिए प्रगति कार्यवाही
  22. बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया की अवधि (Duration of Adoption Procedure)
  23. दूसरे देश से गोद लेने की प्रक्रिया
  24. भारत में गोद लेने के लिए क्या करें और क्या न करें
  25. बच्चा गोद लेने के लिए आपको वकील की आवश्यकता क्यों है?


भारत में गोद लेने (Child Adoption) के कानून और नियम

भारत में 3 मुख्य कानून हैं, जिसके तहत कोई भी व्यक्ति गोद ले सकता है:



1. हिंदू दत्तक और रखरखाव अधिनियम,1956 (Hindu Adoption and Maintenance Act, 1956)

भारत में हिंदू दत्तक और रखरखाव अधिनियम,1956 हिंदू, जैन, सिख और बौद्ध समुदाय के लिए गोद लेने की प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाला पहला कानून है। यह कानून केवल प्रत्यक्ष और निजी गोद लेने को निर्धारित करता है, इस प्रकार गोद लिए गए बच्चे को वास्तव में गोद लेने वाले माता-पिता को सौंपना पड़ता है।



हिंदू दत्तक और रखरखाव अधिनियम,1956 के अनुसार कोन गोद ले सकता है?

  • इस अधिनियम के तहत, केवल हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख ही गोद ले सकते हैं। इसमें दोनों पक्षों, यानी बच्चे के साथ-साथ गोद लेने वाले माता-पिता को भी हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख होना चाहिए।
  • गोद लेने के लिए पुरुष को स्वस्थ और 18 वर्ष से अधिक आयु का होना चहिए। अगर वह शादीशुदा है, तो उसे अपनी पत्नी की सहमति जरूर लेनी होगी।
  • 18 वर्ष की आयु से अधिक स्वस्थ मन की महिलाएं भी गोद ले सकती हैं, अगर वह अविवाहित, तलाकशुदा या विधवा है।


किसे गोद लिया जा सकता है?

  • गोद लिए जा रहे बच्चे की आयु 15 वर्ष से कम होनी चाहिए।
  • बच्चे को हिंदू, जैन, सिख या बौद्ध होना चाहिए।
  • बच्चा अविवाहित होना चाहिए।
  • बच्चा पहले से गोद नहीं लिया गया हो।


अन्य शर्तें जिन्हें पूरा करना भी आवश्यक है:

  • जिस व्यक्ति के पास पहले से ही एक बच्चा (लड़का) है, वह अन्य बच्चे (लड़के) को गोद नहीं ले सकता।
  • एक व्यक्ति जिसके पास पहले से ही एक बच्ची (लड़की) है, एक अन्य बच्ची को गोद नहीं ले सकती है।
  • गोद लेने वाले पिता और बच्ची के बीच 21 वर्ष का अंतर होना चाहिए।
  • गोद लेने वाली माता और बच्चे के बीच 21 वर्ष का अंतर होना चाहिए।
  • दो या अधिक व्यक्ति एक साथ एक ही बच्चे को गोद नहीं ले सकते हैं।
  • गोद लेने की प्रक्रिया में किसी भी पक्ष द्वारा कोई भी भुगतान नहीं किया जाना चाहिए।


न्यायालय की अनुमति कब आवश्यक है?

  • माता और पिता दोनों की मृत्यु के मामले में, या
  • यदि माता और पिता दोनों ने संसार त्याग दिया है, या
  • यदि माता-पिता ने बच्चे का परित्याग कर दिया हो, या
  • यदि न्यायालय ने माता और पिता दोनों को मानसिक रूप से अस्वस्थ घोषित कर दिया हो, या
  • यदि बच्चे के माता-पिता का पता न हो।

एक बार जब उपर्युक्त सभी शर्तें पूरी हो जाती हैं, तो गोद लिए गए बच्चे को सभी मामलों में गोद लेने वाले माता/पिता का बच्चा माना जाएगा, यह गोद लेने की तारीख से प्रभावी होगा। एक बार किसी बच्चे को मान्य रूप से गोद लिए जाने के बाद गोद लेने की प्रक्रिया को रद्द नहीं किया जा सकता। इसे रजिस्टर्ड डीड आँफ एडॉप्शन के साथ अंतिम रूप दिया जाता है।



2. किशोर न्याय अधिनियम, 2015 (Juvenile Justice Act)

भारत में, किशोर न्याय अधिनियम, 2015 में गैर-हिंदुओं द्वारा गोद लेने की प्रक्रिया को नियंत्रित किया गया है। यह एक धर्म-निरपेक्ष कानून है इसके तहत मुस्लिम, पारसी, ईसाई आदि भी बच्चों को गोद ले सकते हैं।



किशोर न्याय अधिनियम के अनुसार बच्चा कौन गोद ले सकता है?

  • इस अधिनियम में प्रदान की गई प्रक्रिया का पालन करके एक एन.आर.आई या एक विदेशी नागरिक भी किसी बच्चे को गोद ले सकता है
  • एक पुरुष या महिला, चाहे फिर विवाहित हो या अविवाहित किसी बच्चे को गोद ले सकते है।
  • एक अविवाहित या तलाकशुदा महिला किसी भी लिंग के बच्चे को गोद ले सकती है, जबकि एक अविवाहित या तलाकशुदा पुरुष लड़की को गोद नहीं ले सकता है।
  • किसी बच्चे को गोद लेने के लिए विवाहित दंपति के कम से कम दो साल तक स्थिर वैवाहिक संबंध आवश्यक है।


किसे गोद लिया जा सकता है?

किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के अनुसार, एक अविवाहित व्यक्ति या एक शादीशुदा दंपति निम्न तरह के बच्चों को गोद ले सकते हैं:

  • एक अनाथ बच्चा
  • एक बच्चा जो आत्मसमर्पण कर चुका है
  • एक बच्चा जिसे उसके माता-पिता ने त्याग दिया गया हो।


अन्य शर्तें जिन्हें पूरा करना भी आवश्यक है

  • भावी गोद लेने वाले माता-पिता को शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ होने चाहिए।
  • उन्हें बच्चे की परवरिश करने के लिए आर्थिक रूप से सक्षम होना चाहिए।
  • यदि कोई दंपति पहले से ही तीन बच्चों के माता - पिता है, तो उन्हें गोद लेने की अनुमति नहीं होती है। लेकिन इसके लिए भी कुछ अपवाद हैं, जैसे रिश्तेदार के बच्चे को गोद लेने के लिए या बच्चे की भलाई के लिए यह आवश्यक है।
  • यदि कोई विवाहित दंपति बच्चा गोद ले रहा है, तो उनके विवाह को कम से कम दो वर्ष पूरे हो जाने चाहिए तथा बच्चा गोद लेने के लिए उनकी संयुक्त सहमति होनी चाहिए।
  • गोद लेने के रजिस्ट्रेशन की तारीख के रूप में उनकी उम्र के संबंध में गोद लेने वाले माता-पिता की पात्रता निम्नानुसार निर्धारित है।

4 वर्ष तक के बच्चे को गोद लेने के लिए:

  • भावी जोड़े की अधिकतम समग्र आयु 90 वर्ष होनी चाहिए।
  • एकल भावी माता-पिता की अधिकतम समग्र आयु 45 वर्ष होनी चाहिए।

4-8 वर्ष की आयु के बीच के बच्चे को गोद लेने के लिए:

  • भावी जोड़े की अधिकतम समग्र आयु 100 वर्ष होनी चाहिए।
  • अविवाहित, विधुर/विधवा (Widow/Widower) या तलाकशुदा पुरुष या महिला की अधिकतम आयु 50 वर्ष होनी चाहिए।

8-18 वर्ष के बीच के बच्चे को गोद लेने के लिए:

  • भावी जोड़े की अधिकतम समग्र आयु 110 वर्ष होनी चाहिए।
  • एकल भावी माता-पिता की अधिकतम समग्र आयु 55 वर्ष होनी चाहिए।

बच्चे और गोद लेने वाले माता-पिता के बीच कम से कम 25 वर्ष का अंतर होना चाहिए। इसका अपवाद रिश्तेदारों या सौतेले माता-पिता द्वारा गोद लिया जाना है।



3. संरक्षक और प्रतिपाल्य अधिनियम,1890 (Guardians and Wards Act, 1890 )

  • यह अधिनियम केवल अभिभावक द्वारा नाबालिग बच्चे की जाने वाली परवरिश के संबंध को नियंत्रित करता है।
  • 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद, दोनों पक्ष एक-दूसरे के प्रति किसी भी प्रकार के कानूनी अधिकारों और जिम्मेदारियों से बाध्य नही रहते है।
  • यह भारत में गोद लेने के कानूनों से अलग है, क्योंकि यह एक माता-पिता-बच्चे का संबंध स्थापित नहीं करता है, बल्कि एक अभिभावक/संरक्षक के संबंध को स्थापित करता है।


बच्चे को गोद कौन दे सकता है?

  • बच्चे को गोद देने के लिए केवल उसके जैविक माता-पिता किसी लाइसेंस प्राप्त दत्तक-ग्रहण संस्था (मान्यता प्राप्त एजेंसी) मे आवेदन कर सकते है।
  • इन एजेंसियों का कार्य जैविक माता-पिता के उन के बच्चे पर कानुनी अधिकारों को समाप्त करने के लिए कागजी कार्यवाही करवाना होता है।
  • बच्चे का त्याग करने वाले माता-पिता को कार्यवाही समाप्त होने से पहले 60 दिनों की पुन:विचार अवधि दी जाती है।
  • बाल कल्याण समिति किसी बच्चे को "कानूनी रूप से गोद लेने के लिए स्वतंत्र" घोषित कर सकती है, यदि वह माता-पिता द्वारा त्यागा हुआ पाया जाता है या उसकी देखभाल करने वालों का पता नहीं लगाया जा सकता है।


गोद लेने के लिए आवश्यक दस्तावेज (Important documents for Adoption )

  1. गोद लेने के लिए आवेदन/ प्रार्थना-पत्र
  2. बच्चे को गोद लेने वाले व्यक्ति/व्यक्तियों की तस्वीर (पासपोर्ट साइज का फोटो)
  3. पति और पत्नी की एक साथ 4 x 6 आकार के चार फोटो
  4. गोद लेने वाले व्यक्ति/व्यक्तियों जन्म प्रमाण पत्र
  5. निवास का प्रमाण (आधार कार्ड/वोटर कार्ड/ड्राइविंग लाइसेंस/पासपोर्ट/वर्तमान बिजली बिल/टेलीफोन बिल)
  6. पिछले वर्ष की आय का प्रमाण (वेतन पर्ची/सरकारी विभाग द्वारा जारी आय प्रमाण पत्र/आयकर रिटर्न)
  7. यदि आप विवाहित हैं, तो विवाह प्रमाण पत्र
  8. यदि आप तलाकशुदा हैं, तो कृपया तलाक के आदेश की प्रति अपलोड करें
  9. अपने जीवनसाथी की मृत्यु के मामले में, कृपया जीवनसाथी का मृत्यु प्रमाण पत्र अपलोड करें
  10. चिकित्सक से प्रमाण पत्र जो यह प्रमाणित करता हो कि भावी माता-पिता किसी पुरानी, ​​संक्रामक या घातक बीमारी से पीड़ित नहीं हैं और वह बच्चा गोद लेने के लिए स्वस्थ हैं।


बच्चा गोद कैसे लेते है - Child Adoption Process in Hindi

केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (The Central Adoption Resource Authority), भारत में गोद लेने वाला प्राथमिक वैधानिक निकाय है। इस प्रक्रिया में भारत के भीतर और भारत के अलावा किसी अन्य देश से भी बच्चा गोद ले सकते हैं।



1. रजिस्ट्रेशन

बच्चा गोद लेने के लिए माता-पिता CARA - Central Adoption Resource Authority की ऑफिसियल वेबसाइट (https://carings.wcd.gov.in/Parents/PAPsRegistration.aspx) पर जाकर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करें। Cara (https://carings.wcd.gov.in/) एक ऑनलाइन पोर्टल है, जो भावी माता-पिता को गोद लेने के लिए एक मंच प्रदान करता है। इस प्रक्रिया को ऑनलाइन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करके शुरू किया जा सकता है या; जिला बाल संरक्षण अधिकारी (डी.सी.पी.ओ) से संपर्क करके। भावी माता-पिता को फॉर्म में गोद लेने की प्राथमिकताओं से संबंधित )जानकारी प्रदान करने की आवश्यकता होती है।



2. निवास-स्थान/घर का सर्वे (Residential/Home Survey)

गोद लेने वाले माता-पिता की स्थिति की जांच के लिए एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा उनके निवास-स्थान का सर्वे करवाया जाता है, यह रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के पूरा होने के बाद किया जाता है। सर्वे का उद्देश्य बच्चे के अनुकूल माहौल सुनिश्चित करना और रजिस्ट्रेशन के समय प्रस्तुत जानकारी को सत्यापित करना है। ऐसे सर्वे का खर्च गोद लेने वाले माता-पिता द्वारा दिया जाएगा। निरीक्षण की रिपोर्ट फिर केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण की वेबसाइट पर अपलोड की जाती है।



3. बच्चे और माता - पिता का मिलान करना

जैसे ही बच्चे और गोद लेने वाले माता-पिता का गोद लेने की प्रणाली द्वारा मिलान किया जाता है, माता-पिता को बच्चे के बारे में आवश्यक जानकारी भेज दी जाती है। उन्हें बच्चे को स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए 48 घंटे का समय दिया जाता है। ऐसी रेफरल प्रणाली के अधिकतम 3 दौर दिए जाते हैं, एक बार जब दत्तक माता-पिता बच्चे के मिलान से संतुष्ट हो जाते।

तब उन्हें आवश्यक कागजी कार्यवाही के बाद पूर्व-दत्तकग्रहण पालन-पोषण देखभाल शुरू करने के लिए दो सप्ताह की अवधि के भीतर बाल देखभाल संस्थान का दौरा करना होगा। किसी भी माता-पिता को पूरी तरह से अपनी पसंद का बच्चा चुनने की स्वतंत्रता नहीं दी जाती है।



4. न्यायालय की सुनवाई

माता-पिता न्यायालय की सुनवाई में भाग लेते हैं, जहाँ न्यायाधीश प्रश्न पूछ सकते हैं और बच्चे के नाम पर किए जाने वाले निवेश को निर्दिष्ट कर सकते हैं।



5. न्यायालय का आदेश

निवेश के प्रमाण के बाद, न्यायाधीश गोद लेने के आदेश जारी करता है।



6. बाल कल्याण के लिए प्रगति कार्यवाही

एजेंसी बच्चे की देखरेख के संबंध में न्यायालय में प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करती है, जो 1-2 वर्षों तक जारी रहती है।



बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया की अवधि (Duration of Adoption Procedure)

अधिकांश परिवारों के लिए, गोद लेने की प्रक्रिया में दो से चार साल लगते हैं। समयसीमा को प्रभावित करने वाला प्राथमिक कारक बच्चे के रेफरल में देरी है। लड़के या विशेष ज़रूरतों वाले बच्चे को गोद लेने के लिए तैयार माता-पिता अपने प्रतीक्षा समय को कम कर सकते हैं।



न्यायालय द्वारा विनियमित दत्तक-ग्रहण/गोद लेने की प्रक्रिया

यदि किसी दत्तक-ग्रहण/गोद लेने के आवेदन पर न्यायालय द्वारा निर्णय लिया जाना है, तो दत्तक ग्रहण संस्था न्यायालय के समक्ष आवेदन दायर करेगी और न्यायाधीश से मंजूरी प्राप्त करने के लिए एक औपचारिक तिथि प्राप्त करेगी।

न्यायालय द्वारा दी गई तिथि पर, गोद लेने वाले माता-पिता को बच्चे के साथ न्यायाधीश के समक्ष उपस्थित होना होगा, यहां एक वकील की सहायता लेने का सुझाव दिया जाएगा।

न्यायालय द्वारा औपचारिक आदेश जारी किए जाने के बाद, गोद लेने वाले माता-पिता बच्चे का कानूनी अभिभावक बन जाता है, और दत्तक ग्रहण संस्था को बच्चे का नया जन्म प्रमाण पत्र प्रदान करना होगा।



दूसरे देश से गोद लेने की प्रक्रिया

यह प्रक्रिया किशोर न्याय अधिनियम, 2015 द्वारा शासित है, दुसरे देश से बच्चा गोद लेने के मामलों में अनापत्ति प्रमाणपत्र (No-Objection Certificate) प्राप्त करना अनिवार्य होता है। जिसे केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण द्वारा जारी किया जाता है।
निम्नलिखित समय-अनुसूची के अनुसार केयरिंग्स (CARINGS) द्वारा बच्चे स्वतः ही देश के अंदर गोद लेने से अंतरदेशीय गोद लेने की ओर स्थानांतरित हो जाएंगे:

  • 60 दिनों के बाद, यदि बच्चा 5 वर्ष से कम आयु का है;
  • 30 दिनों के बाद, यदि बच्चा 5 वर्ष से अधिक आयु का है या भाई-बहन है;
  • 15 दिनों के बाद, यदि बच्चे में कोई बौद्धिक या शारीरिक विकलांगता है।


भारत में गोद लेने के लिए क्या करें और क्या न करें

गोद लेने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति को राज्य सरकारों द्वारा मान्यता प्राप्त किसी विशेष दत्तक ग्रहण संस्था से ऐसा करना चाहिए, न कि किसी अनधिकृत संस्था से।
दस्तावेज अपलोड़ करते समय अत्यंत सावधानी और सतर्कता बरतनी चाहिए। गलत दस्तावेज रजिस्ट्रेशन रद्द करने का कारण बन सकते हैं।

लगाए जाने वाले किसी भी शुल्क के लिए केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण दिशा-निर्देशों का संदर्भ लिया जाना चाहिए। गोद लेने वाले माता-पिता को किसी भी बिचौलिए और दलाल से सावधान रहना चाहिए।



बच्चा गोद लेने के लिए आपको वकील की आवश्यकता क्यों है?

भारत में गोद लेने के कानून भ्रमित करने वाले हो सकते हैं। यह स्पष्ट करने के लिए कि आप अपने लिंग, आयु या धर्म के आधार पर बच्चे को गोद ले सकते हैं या नहीं, आप एक परिवार वकील से संपर्क कर सकते हैं।

यदि आपके अधिकारों के संबंध में किसी ने आपके साथ गलत व्यवहार किया है, तो आप कानूनी उपाय अपना सकते हैं। एक अच्छा परिवार वकील आपकी कानूनी कार्यवाही में हर कदम पर आपकी मदद करेगा।

एक वकील आपके मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों को समझने के बाद आपको सही दिशा में मदद और मार्गदर्शन करेगा। वह आवश्यक मुकदमा/दस्तावेज/कानूनी नोटिस का मसौदा तैयार करेगा।आप विशेषज्ञ वकीलों से अपने कानूनी मुद्दे पर मुफ़्त सलाह पाने के लिए लॉराटो की निःशुल्क प्रश्न पूछें सेवा का भी उपयोग कर सकते हैं।


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