अग्रिम जमानत क्या है? Anticipatory Bail कब और कैसे मिलती है



दोस्तों आपने अकसर देखा व सुना होगा की जब पुलिस किसी व्यक्ति को किसी अपराध के आरोप में पकड़ने जाती है तब सामने वाला व्यक्ति जमानत के कागज दिखा कर पुलिस को वापिस भेज देता है। आज के लेख में हम भारतीय संविधान के एक ऐसे ही जरुरी कानून की बात करेंगे कि अग्रिम जमानत क्या है (What is Anticipatory bail in Hindi)?, अग्रिम जमानत का इस्तेमाल कब और कैसे किया जाता है और इस तरह की जमानत कैसे ले? अगर आप अग्रिम जमानत के बारे में आसान भाषा में संपूर्ण जानकारी चाहते है तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़े।  




अग्रिम जमानत क्या है - What is Anticipatory bail in Hindi

अग्रिम शब्द का मतलब होता है किसी कार्य को सबसे पहले करना। सी आर पी सी की धारा 438 के अनुसार अग्रिम जमानत का इस्तेमाल तब किया जाता है, जब किसी व्यक्ति को लगता है कि उसे किसी झूठे गंभीर केस में फंसवाया जा सकता है। जिसके बाद पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने पर उसे बाद में जमानत मिलना मुश्किल हो जाएगा तो ऐसे में वो व्यक्ति किसी वकील की मदद से कोर्ट से अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकता है। जिसके बाद न्यायालय द्वारा आरोपी को नियम और तथ्यों के आधार पर Anticipatory Bail दी जाती है।  



अग्रिम बेल मिलने का उदाहरण

एक दिन राहुल को किसी से पता चलता है कि उसको कोई व्यक्ति किसी गंभीर झूठे केस में फंसाने की साजिश कर रहा है। यह बात सुनकर राहुल घबरा जाता है। लेकिन राहुल समझदारी से फैसला लेता है और एक वकील (Lawyer) के पास जाता है।

वकील उसे बताता है कि यदि ऐसे मामलों में गिरफ्तारी से बचना है तो अग्रिम जमानत लेना ही एक मात्र उपाय है। यह सुनकर राहुल अपने वकील को Court से Anticipatory Bail लेने के लिए बोल देता है।

जब राहुल के खिलाफ साजिश करने वाले व्यक्ति की शिकायत पर पुलिस राहुल को पकड़ने आती है। उस समय राहुल का वकील अग्रिम बेल के कागज दिखाकर पुलिस को वापिस भेज देता है और राहुल की गिरफतार होने से बच जाता है।

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Anticipatory Bail किस आधार पर दी जाती है।

अग्रिम जमानत में किसी आरोपी को जमानत इस आधार पर दी जाती है कि जब तक आरोपी व्यक्ति पर अपराध साबित नहीं होता तब तक उसे निर्दोष मानकर ही चला जाए। इसलिए उस व्यक्ति पर अपराधी शब्द का इस्तेमाल न करके आरोपी शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। जब न्यायालय द्वारा किसी व्यक्ति को दोषी करार दिया जाता है। उसके बाद ही किसी व्यक्ति को अपराधी या दोषी कहा जा सकता है।



अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कब किया जाता है

  • जब किसी व्यक्ति को किसी अपराध के आरोप में गिरफ्तारी की आशंका हो तब अग्रिम जमानत का आवेदन किया जाता है।
  • यदि किसी व्यक्ति को यह लगे की उसे किसी ऐसे अपराध में फंसाया जा सकता है जो अपराध उसने कभी नहीं किया।
  • किसी दूसरे व्यक्ति से पता चलने पर जिसमें यह बात सामने आए कि किसी अन्य व्यक्ति ने FIR दर्ज कराई है
  • इस जमानत का इस्तेमाल तब भी किया जाता है। जब आरोपी को लगे की जिस अपराध के तहत उस पर आरोप लगे है। वो अपराध गैर-जमानती है और पुलिस द्वारा  गिरफ्तार करने पर उसे जमानत नहीं मिलेगी। इसलिए वो अग्रिम जमानत का आवेदन कर देता है।  

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अग्रिम जमानत के नियम | Anticipatory bail Rules in Hindi

  • जब भी कोई व्यक्ति अग्रिम जमानत के लिए आवेदन करे तो कुछ जरुरी बातों का जरुर ध्यान रखें। जिससे आपको जमानत मिलने में आसानी हो जाती है।
  • अगर आपको लगता है कि कोई आपको झूठे केस में फंसाने की कोशिश के तहत FIR दर्ज करवा सकता है। उस स्थिति में न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए अप्लाई करते समय इस बात का वर्णन जरुर करें और यह भी बताए कि वो व्यक्ति किस मकसद से ऐसा कर रहा है।
  • न्यायालय में इस बात को भी बताए कि गिरफतार होने के बाद उस व्यक्ति के  परिवार को संभालने वाला कोई नहीं है और इस तरह की चिंता को उनके परिवार वाले मानसिक तौर पर सह नहीं पाएंगे।
  • यदि आपको कोई गंभीर बिमारी है तो आवेदन के समय इस बात का वर्णन भी जरुर करें।
  • पुलिस द्वारा यदि आपको खिलाफ कोई ठोस सबूत ना हो तो अदालत में इस बात का जिक्र करके भी आवेदन कर सकते है।
  • अग्रिम जमानत लेने के लिए किसी अनुभवी वकील का सोच समझकर ही चुनाव करें। जो आपके लिए जमानत लेने के लिए सभी आवश्यक बातों का ध्यान रखेगा व आपके केस की पैरवी करेगा।

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Anticipatory Bail के लिए आवेदन की कार्यवाही

जमानत का आवेदन करने के लिए सबसे पहले किसी वकील की मदद ले। उसके बाद वकील को अपने बचाव से जुड़ी सभी बातों का बताए। जिससे वो सभी बातों को ध्यान में रख कर न्यायालय में पेश करेगा।

उसके बाद जब मामले की सुनवाई होने पर वकील आपको जमानत क्यों देनी है इस बात को प्रस्तुत करेगा। यदि न्यायाधीश आपके आवेदन को उपयुक्त मानता है तो जमानत दे दी जाती है। लेकिन यदि सत्र न्यायालय द्वारा जमानत का आवेदन खारिज कर दिया जाता है तो सुप्रीम कोर्ट में भी अर्जी दे सकते है।

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किन कारणों से Anticipatory bail नहीं मिलती

  • जब कोई व्यक्ति किसी गंभीर तरह का अपराध करता है तो उसे संज्ञेय श्रेणी का अपराध कहा जाता है। जो कि गैर-जमानती होता है।
  • इस तरह के अपराध के आरोपी व्यक्ति को पुलिस के द्वारा पकड़े जाने पर जमानत मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है।
  • यदि केस के ट्रायल के दौरान गवाहों ने आरोपी व्यक्ति के खिलाफ बयान दिए है तो भी जमानत मिलना मुश्किल हो जाता है।
  • अगर किसी मामले में न्यायालय को लगता है कि आरोपी द्वारा गवाहों को डराया धमकाया जाता है तो ऐसे मामलों में बेल नहीं दी जाती।  
  • कुल मिलाकर बात यह है कि गैर-जमानती अपराध में आरोपी को जमानत देने का फैसला न्यायालय द्वारा अपराध की गंभीरता को देखते हुए ही दिया जाता है।


अग्रिम जमानत में न्यायालय द्वारा लागू की जाने वाली शर्ते

जब भी किसी व्यक्ति को जमानत दी जाती है तो न्यायालय द्वारा कुछ शर्ते तय की जा सकती है। आइये जानते उन शर्तों के बारे में।

  • जिस व्यक्ति को जमानत दी गई है। उसे पुलिस द्वारा पूछताछ के लिए जब भी बुलाया जाएगा तब उस व्यक्ति को हाजिर होना पड़ेगा।
  • जमानत पाने वाला व्यक्ति किसी गवाह को धमकी नहीं देगा।
  • पीड़ित पक्ष के व्यक्ति या परिवार वालो को तंग नहीं करेगा।
  • वो व्यक्ति अदालत की अनुमति के बिना अपने देश को छोड़ कर किसी दूसरे देश में नहीं जा सकता।


अगर कोई व्यक्ति इन अंग्रिम जमानत के नियम और शर्तों का उल्लंघन करता है तो उसकी जमानत को तुरन्त ख़ारिज किया जा सकता है। कोई भी व्यक्ति दूसरे पक्ष के लोगों को परेशान करता है तो पुलिस ऐसे व्यक्ति को तुरन्त गिरफ्तार कर सकती है


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