धारा 354 -दण्ड प्रक्रिया संहिता (Section 354 Crpc in Hindi - Dand Prakriya Sanhita Dhara 354)


विवरण

(1) इस संहिता द्वारा अभिव्यक्त रूप से अन्यथा उपबंधित के सिवाय, धारा 353 में निर्दिष्ट प्रत्येक निर्णय -

(क) न्यायालय की भाषा में लिखा जाएगा,

(ख) अवधारण के लिए प्रश्न, उस प्रश्न या उन प्रश्नों पर विनिश्चय और विनिश्चय के कारण अंतर्विष्ट करेगा,

(ग) वह अपराध (यदि कोई हो) जिसके लिए और भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) या अन्य विधि की वह धारा, जिसके अधीन अभियुक्त दोषसिद्ध किया गया है, और वह दण्ड जिसके लिए वह दण्डानिष्ट है, विनिर्दिष्ट करेगा,

(घ) यदि निर्णय दोषमुक्ति का है तो, उस अपराध का कथन करेगा जिससे अभियुक्त दोषमुक्त किया गया है और निदेश देगा कि वह स्वतंत्र कर दिया जाए।

(2) जब दोषसिद्धि भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) के अधीन है और यह संदेह है कि अपराध उस संहिता की दो धाराओं में से किसके अधीन या एक ही धारा के दो भागों में से किसके अधीन आता है तो न्यायालय इस बात को स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त करेगा और अनुकल्पतः निर्णय देगा।

(3) जब दोषसिद्धि, मृत्यु से अथवा अनुकल्पतः आजीवन कारावास से या कई वर्षों की अवधि के कारावास से दण्डनीय किसी अपराध के लिए है तब निर्णय में, दिए गए दंडादेश के कारणों का और मुत्यु के दण्डादेश की दशा में ऐसे दण्डादेश के लिए विशेष कारणों का कथन होगा।

(4) जब दोषसिद्धि एक वर्ष या उससे अधिक की अवधि के कारावास से दण्डनीय अपराध के लिए है किंतु न्यायालय तीन मास से कम अवधि के कारावास का दण्ड अधिरोपित करता है, तब वह ऐसा दण्ड देने के अपने कारणों को लेखबद्ध करेगा उस दशा के सिवाय जब वह दण्डादेश न्यायालय के उठने तक के लिए कारावास का नहीं है या वह मामला इस संहिता के उपबँधों के अधीन संक्षेपतः विचारित नहीं किया गया है।

(5) जब किसी व्यक्ति को मृत्यु का दण्डादेश दिया जाता है तो वह दण्डादेश यह निदेश होगा कि उसे गर्दन में फांसी लगारक तब तक लटकाया जाए जब तक उसकी मृत्यु न हो जाए।

(6) धारा 117 के अधीन या धारा 138 की उपधारा (2) के अधीन प्रत्येक आदेश और धारा 125, धारा 145 या धारा 147 के अधीन दिए गए प्रत्येक अंतिम आदेश में, अवधारण के लिए प्रश्न, उस प्रश्न या उन प्रश्नों पर विनिश्चय और विनिश्चय के कारण अंतर्विष्ट होंगे।


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