ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड कैसे होता है? खाते से अनधिकृत लेन देन की शिकायत कैसे करे



क्या आपके पास ऐसा फोन कॉल आया है जिसमे किसी व्यक्ति द्वारा खुद को बैंक कर्मचारी बताकर आप के एटीएम और बैंक से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी मांग की हो और अचानक आपके खाते से पैसे निकल गये हो तो आप ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड का शिकार हो गए है आज हम इस आर्टिकल मे ऑनलाइन बैंकिंग से संबंधित विभिन्न प्रकार के फ्रॉड जेसे की एटीएम क्लोनिंग, विशिंग, स्मिशिंग, वन टाइम पासवर्ड (OTP) साझा करना, हैकिंग उनसे बचने के उपाय और Online Banking Fraud हो जाने पर क्या करे? खाते से पैसे कट जाने पर, पैसे वापिस कैसे मिल सकते है? ऐसे सभी महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करेंगे। 


विषयसूची

  1. ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड कैसे होता है
  2. ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड से बचने के उपाय
  3. ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड होने पर क्या करे?
  4. 1. अपना वन-टाइम पासवर्ड (OTP) साझा करना
  5. 2. यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस (U.P.I ) के माध्यम से फ्रॉड
  6. 3. क्यूआर कोड (QR Code) स्कैन के माध्यम से फ्रॉड
  7. 4. एटीएम क्लोनिंग
  8. 5. मोबाइल/कंप्यूटर हैकिंग
  9. 6. मलिशियस सॉफ़्टवेयर (Malicious Software)
  10. 7. फेक बैंकिंग एप्लीकेशन
  11. 8. ऑटोमैटिक ट्रान्सफर सिस्टम
  12. 9. विशिंग अटैक
  13. 10. पीड़ित के नाम पर खाता खोलना
  14. 11. सिम स्वैप
  15. 12. स्मिशिंग (SMS Phishing)
  16. 13. फ़िशिंग (ईमेल से बैंकिंग फ्रॉड)
  17. बैंक खाते से अनधिकृत लेन देन में कौन कब जिम्मेदार है?
  18. चरण-1: बैंक को तुरंत सूचित करें
  19. चरण-2: फ्रॉड के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराएं
  20. चरण-3: ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें
  21. ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड मामले में वकील कैसे मदद कर सकता है?

आज के इस डिजिटल युग में, अर्थव्यवस्था कैशलेस (Cash less) प्रणाली में विकसित हो गई है, जिसमें मोबाइल ऐप का उपयोग करके या एटीएम कार्ड स्वाइप करके लेनदेन किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, मूवी/होटल/फ्लाइट टिकट बुक करना, टैक्सी के लिए भुगतान करना या यहां तक ​​कि घर खरीदना भी बेहद सरल और सुविधाजनक हो गया है।

Online Banking ने दुनिया भर में लाखों लोगों के लिए वित्तीय लेन-देन को और अधिक सुविधाजनक बना दिया है। हालाँकि, इस सुविधा के साथ धोखाधड़ी का जोखिम भी जुड़ा हुआ है, जिसके बारे में लोगों को सचेत रहने की आवश्यकता है। साइबर अपराधी आपके मोबाइल या कंप्यूटर को हैक कर सकते हैं और आपके बैंक खाते से पैसे के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी भी चुरा सकते हैं।



ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड कैसे होता है



1. अपना वन-टाइम पासवर्ड (OTP) साझा करना

ऑनलाइन बैंकिंग ने ग्राहकों को अधिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए, वन टाइम पासवर्ड (OTP) की सुविधा शुरू कि। हालाँकि, साइबर अपराधी इस सुरक्षा को तोड़ने और ग्राहकों के बैंक खातों से पैसे चुराने में कामयाब रहे हैं।

ऑनलाइन लेन-देन के लिए, वन टाइम पासवर्ड (OTP) आवश्यक है, जो आपको अपने पंजीकृत मोबाइल फ़ोन पर प्राप्त होता है। इस तरह के फ्रॉड बचने के लिए कॉल या अन्य किसी भी माध्यम से लोगों को अपना वन टाइम पासवर्ड (OTP) देने से हमेशा बचना चाहिए।



2. यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस (U.P.I ) के माध्यम से फ्रॉड

यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस (UPI) लेनदेन ने ऑनलाइन भुगतान करना पहले से कहीं ज़्यादा आसान बना दिया है। हालाँकि, इस सुविधा ने साइबर अपराधियों का काम भी आसान बना दिया है

साइबर अपराधी अक्सर अनजान लोगो को मुर्ख बनाकर Mobile UPI द्वारा लेनदेन करने के लिए प्रेरित करते हैं उनसे पिन साझा करवा कर उनके बैंक खाते से रकम निकाल लेते है।



3. क्यूआर कोड (QR Code) स्कैन के माध्यम से फ्रॉड

साइबर अपराधीयों द्वारा आपके फ़ोन पर मौजूद ऐप का इस्तेमाल करके क्यूआर कोड स्कैन करने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं और क्यूआर कोड से पैसे ऐंठने का लक्ष्य अक्सर एक जैसा ही होता है।

झूठी जानकारी का इस्तेमाल करके, साइबर अपराधी उपयोगकर्ताओं से संपर्क कर उसे अपनी बातों मे फसाकर, फिर एक ऐसे पेज पर पुन: निर्देशित कर सकते हैं जिसके जरिए आपका डेटा या पैसे चुरा सकते हैं।



4. एटीएम क्लोनिंग

आजकल, एटीएम क्लोनिंग इतनी आम हो गई है कि यह तब भी हो सकती है जब आप एटीएम पर लेनदेन के लिए अपने एटीएम कार्ड का उपयोग कर रहे हों या फिर अपने बिलों का भुगतान कर रहे हों।

साइबर अपराधी एटीएम क्लोनिंग का उपयोग करके, आपके कार्ड की हूबहू कॉपी बनाते हैं, जिसमें आपके कार्ड की मूल मैग्नेटिक स्ट्रिप में मौजूद एटीएम पिन जैसी महत्वपूर्ण जानकारी होती है जिसका उपयोग करके वह लेनदेन करते है।



5. मोबाइल/कंप्यूटर हैकिंग

आधुनिक तकनीक के युग में, हैकिंग किसी से पैसे चुराने का सबसे सुविधाजनक तरीका है, किसी व्यक्ति को बस किसी मोबाइल या कंप्यूटर को हैक करना होता है, और आपके खाते की महत्वपूर्ण जानकारी चुरानी होती है।



6. मलिशियस सॉफ़्टवेयर (Malicious Software)

मलिशियस सॉफ़्टवेयर, जिसे आम तौर पर मैलवेयर के रूप में भी जाना जाता है, वह सॉफ़्टवेयर है जिसे कंप्यूटर सिस्टम में घुसपैठ करने या उसे नुकसान पहुँचाने के लिए बनाया गया है। साइबर अपराधी मैलवेयर का उपयोग किसी व्यक्ति के नेट बैंकिंग क्रेडेंशियल तक अनधिकृत पहुँच प्राप्त करने के लिए करते हैं।



7. फेक बैंकिंग एप्लीकेशन

फेक एप्लिकेशन को इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है कि वे हूबहू वैध बैंकिंग ऐप जैसी लगती है। इनका उपयोग लोगो को धोखा देकर उनकी व्यक्तिगत जानकारी लेने के लिए किया जाता हैं। इन्हें अक्सर अनौपचारिक ऐप स्टोर या वेबसाइटों से डाउनलोड किया जाता है ज़्यादातर मामलों में, इनमें मैलवेयर सॉफ़्टवेयर होते हैं।



8. ऑटोमैटिक ट्रान्सफर सिस्टम

ऑटोमैटिक ट्रान्सफर सिस्टम एक गंभीर प्रकार का ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड है जिसके जरिए किसी के खाते से पैसे पैसे ट्रान्सफर किये जाते है। इसमे साइबर अपराधी पीड़ित की जानकारी या सहमति के बिना अपने स्वयं के खातों में ऑटोमैटिक ट्रान्सफर सेट करते हैं। इससे पीड़ित के बैंक खाते से साइबर अपराधी के बैंक खाते मे पैसे अपने आप ट्रान्सफर हो जाते हैं।



9. विशिंग अटैक

विशिंग एक ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड है, जिसमें साइबर अपराधी वॉयस कॉल का इस्तेमाल करके पीड़ितों को धोखा देकर उनकी निजी जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। वह खुद को किसी वित्तीय संस्थान (Financial Institution) का कर्मचारी बताकर पीड़ित से फ़ोन पर उनकी बैंक संबंधि जानकारी देने के लिए कहते हैं।



10. पीड़ित के नाम पर खाता खोलना

यह एक प्रकार की इंटरनेट बैंकिंग फ्रॉड है, जिसमें साइबर अपराधी पीड़ित की सहमति के बिना उसके नाम पर बैंक खाते खोलते हैं। वह इन खातों को खोलने के लिए किसी अन्य व्यक्ति के दस्तावेजों का उपयोग कर करते हैं। इन बैंक खातों का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग या चोरी किए गए धन को स्थानांतरित करने जैसी अवैध गतिविधियों के लिए किया जाता है।



11. सिम स्वैप

सिम स्वैप एक प्रकार का ई-बैंकिंग फ्रॉड है, जिसमें साइबर अपराधी पीड़ित के मोबाइल सेवा प्रोवाइड़र को धोखा देकर पीड़ित के मोबाइल फोन नंबर को अपने पास मौजूद सिम कार्ड में ट्रांसफर कर लेते हैं।

एक बार जब वह पीड़ित के फोन नंबर पर नियंत्रण कर लेते हैं, तो वह इसका उपयोग दो-कारक प्रमाणीकरण (Two-factor Authentication) से बचने के लिए करते हैं। जिसके माध्यम से, वे पीड़ित के ऑनलाइन बैंकिंग खातों तक अनधिकृत पहुँच प्राप्त कर लेते हैं।

12. स्मिशिंग (SMS Phishing)

यह फ्रॉड तब काम करता है जब आपको अपने सेल फोन पर एक संदेश प्राप्त होता है जो यह बताता है कि आपका खाता किसी कारण से तत्काल निलंबित या बंद कर दिया गया है। संदेश आपको यह सूचित करके समाप्त होता है कि आप अपना खाता पुनः सक्रिय करने के लिए दिए गए फ़ोन नंबर पर कॉल करके संदेश में दी गए लिंक पर क्लिक करे।



13. फ़िशिंग (ईमेल से बैंकिंग फ्रॉड)

फ़िशिंग एक ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड है, जिसमें उपयोगकर्ताओं को ईमेल भेज कर, वैध व्यवसाय का झांसा दिखा कर एटीएम कार्ड नंबर, पासवर्ड व अन्य महत्वपूर्ण बैंकिंग जानकारी प्राप्त की जाती है। यदि आपको ऋण या वित्तीय लेनदेन से संबंधित कोई संदिग्ध लिंक या संदेश प्राप्त होता है, तो उसकी सूचना उचित तुरंत साइबर अपराध विभाग को दें।



ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड से बचने के उपाय

इंटरनेट बैंकिंग फ्रॉड से बचने के लिए जागरूक और सावधान रहना आवश्यक है। सुरक्षा उपाय के रूप में, आपको निम्नलिखित सावधानियाँ बरतनी चाहिए:

  • मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें: ऑनलाइन बैंकिंग के लिए मजबूत और अद्वितीय पासवर्ड बनाना चाहिए। उन्हें जन्मतिथि या नाम-उपनाम संयोजन जैसे आसानी से अनुमान लगाए जा सकने वाले पासवर्ड का उपयोग करने से बचना चाहिए और अपने पासवर्ड को नियमित रूप से अपडेट करना चाहिए।
  • दो-कारक प्रमाणीकरण (Two-Factor Authentication) का प्रयोग करे: दो-कारक प्रमाणीकरण ऑनलाइन बैंकिंग में सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत जोड़ता है। इसमें आम तौर पर किसी ऐसी चीज़ का उपयोग करना शामिल होता है जिसे कोई व्यक्ति जानता है (जैसे पासवर्ड) और किसी ऐसी चीज़ का जो उसके पास होती है (जैसे फिंगरप्रिंट या उसके मोबाइल पर भेजा गया OTP) जिससे उसकी पहचान सत्यापित होती है।
  • सत्यापित ऐप डाउनलोड करें: आपने देखा होगा कि जब भी आप कोई नया ऐप डाउनलोड करते हैं, तो वे आपकी व्यक्तिगत जानकारी तक पहुँचने की अनुमति माँगता हैं। अगर आप कोई फ्रॉड ऐप डाउनलोड करते हैं, तो यह परेशानी का कारण बन सकता है, क्योंकि हैकर्स ऐप की मदद से आपके अकाउंट की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। किसी भी ऐप को डाउनलोड करने से बचें और केवल सत्यापित ऐप का ही इस्तेमाल करें।
  • कार्ड का इस्तेमाल करते समय सावधान रहें: कार्ड से भुगतान हमेशा सुरक्षित तरीके से और केवल निजी नेटवर्क से ही किया जाना चाहिए। साथ ही, पॉइंट ऑन सेल मशीन का इस्तेमाल करने से पहले, आपको यह भरोसा होना चाहिए कि यह 100 प्रतिशत असली है।
  • सॉफ़्टवेयर को अपडेट रखें: आपको अपने कंप्यूटर/मोबाइल मे एंटी-वायरस और एंटी-मैलवेयर प्रोग्राम सहित सभी सॉफ़्टवेयर को अपडेट रखना चाहिए। इससे साइबर अपराधियों कै जाल मे फंसने का जोखिम कम हो जाता है।
  • सार्वजनिक वाई-फाई से सावधान रहें: सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क (Public Wi-Fi) पर ऑनलाइन बैंकिंग करने से बचना चाहिए, क्योंकि ये नेटवर्क सुरक्षित नहीं होते हैं और इन्हें आसानी से हैक किया जा सकता है।
  • बैंक स्टेटमेंट नियमित रूप से जांचें: आपको अपने बैंक स्टेटमेंट और ट्रांजेक्शन हिस्ट्री की नियमित रूप से समीक्षा करनी चाहिए। किसी भी संदिग्ध गतिविधि के मामले में आपको तुरंत बैंक को रिपोर्ट करना चाहिए।
  • अनचाहे कॉल से सावधान रहें: किसी को अनचाहे फोन कॉल या संदेशों से सावधान रहना चाहिए जिसमें व्यक्तिगत या बैंकिंग जानकारी मांगी जाती है। वैध वित्तीय संस्थाएँ कभी भी फोन पर या संदेशों के माध्यम से गोपनीय जानकारी नहीं माँगती है।
  • संदिग्ध लिंक पर कभी क्लिक न करें: किसी अज्ञात स्रोत से किसी भी लिंक पर क्लिक करना परेशानी भरा हो सकता है और आपको अतिरिक्त सावधान रहने की आवश्यकता है। किसी भी अज्ञात लिंक पर क्लिक न करें, इससे आपकी डिवाइस हैक हो सकती है, बैंक खाते की जानकारी प्राप्त कर आपके साथ फ्रॉड किया जा सकता है।
जाने - साइबर क्राइम कानून की जानकारी


बैंक खाते से अनधिकृत लेन देन में कौन कब जिम्मेदार है?

ऐसे मामलों में अनधिकृत लेन देन ग्राहक की लापरवाही के कारण हुई है, जैसे कि उसने भुगतान संबंधी जानकारी साझा करदी हों तो ग्राहक को हानि तब तक उठानी होगी, जब तक कि वह अनधिकृत लेनदेन की सूचना तुरंत बैंक को नहीं दे देता।

अनधिकृत लेनदेन की रिपोर्टिंग के बाद होने वाले किसी भी नुकसान की भरपाई बैंक द्वारा की जाएगी। बैंक अपने विवेक से नुकसान की भरपाई करने का विकल्प चुन सकता है, भले ही यह ग्राहक की लापरवाही के कारण हुआ हो।

ऐसे मामलों में जहां बैंक की ओर से लापरवाही होती है, बैंक ग्राहक के नुकसान को कवर करने के लिए पूरी तरह उत्तरदायी होगा।

तीसरे पक्ष द्वारा उल्लंघन के मामले में, जहां कमी न तो बैंक की है और न ही ग्राहक की, बल्कि प्रणाली में कहीं और है, और ग्राहक उचित समय के भीतर नुकसान की रिपोर्ट करता है, तो बैंक भी पूर्ण रूप से उत्तरदायी होगा।



ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड होने पर क्या करे?

अगर आप किसी फ्रॉड द्वारा ठगे गए हैं, तो आप को घबराना नहीं चाहिए, बल्कि कार्ड को ब्लॉक करवाकर आगे होने वाले नुकसान से बचने के लिए कुछ सरल चरणों को ध्यान में रखना चाहिए। उदाहरण के लिए, तो आपको निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:



चरण-1: बैंक को तुरंत सूचित करें

पीड़ित को तीन कार्य दिवसों के भीतर फ्रॉड की सूचना बैंक को देनी चाहिए, ताकि नुकसान की भरपाई के लिए बैंक को भुगतान की जाने वाली राशि मिल सके।

नीचे दी गई तालिका में फ्रॉड की रिपोर्ट करने में लगने वाले समय के अनुसार आपको जो देनदारी वहन करनी होगी, उसे दर्शाया गया है।

इसके अलावा, यदि देनदारी आप पर है तो आपको जो अधिकतम राशि चुकानी होगी, वह आपके खाते के प्रकार पर निर्भर करती है।



चरण-2: फ्रॉड के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराएं

अगर ऑनलाइन फ्रॉड हुआ है, जैसे कि किसी ने ऑनलाइन ट्रांजैक्शन किया है जिसके कारण आपके खाते से पैसे कट गए हैं, तो अपने नजदीकी साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराएं।

अगर फ्रॉड किसी आपके एटीएम कार्ड के जरिए किया गया है, तो अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराएं।

इसके अलावा, सरकार ने शिकायत दर्ज कराने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर (8691960000) भी शुरू किया है



चरण-3: ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें

आप अपनी शिकायत को भारत सरकार के ऑनलाइन शिकायत पोर्टल या निम्नलिखित पोर्टल के माध्यम से भी दर्ज कर सकते हैं:

  • राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (https://cybercrime.gov.in/)
  • भारतीय रिजर्व बैंक का सैशे (https://sachet.rbi.org.in/Home/Index)
  • भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल (https://www.certin.org.in/s2cMainServlet?pageid=PUBHL)


ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड मामले में वकील कैसे मदद कर सकता है?

यदि आप भी ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड का शिकार हुए है किसी साइबर अपराधि के द्वारा आपका शोषण किया गया है तो एक आपराधिक वकील आपको हुए नुकसान को रोकने के लिए काम करेगा, भारत के शीर्ष साइबर अपराध वकील से संपर्क करने के लिए लॉराटो का उपयोग करें| ई संदिग्ध लिंक या संदेश प्राप्त होता है, तो उसकी सूचना उचित तुरंत साइबर अपराध विभाग को दें।


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