शादी के एक वर्ष बाद तलाक के लिए क्या प्रक्रिया है


सवाल

तलाक की प्रक्रिया क्या है? मेरे दोस्त ने एक साल पहले शादी की थी अब वे तलाक चाहते हैं। मैं प्रक्रिया और सभी विकल्पों को जानना चाहता हूँ।

उत्तर (1)


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तलाक की प्रक्रिया अलग-अलग धर्मों के लिए अलग है, हालांकि हम मान कर चलते हैं कि आप हिंदू हैं:

पारस्परिक सहमति से तलाक हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 बी के तहत मान्यता प्राप्त है।



धारा 13 बी में कहा गया है कि दोनो पक्ष संयुक्त रूप से शादी के विघटन के लिए तलाक की डिक्री द्वारा एक याचिका जिला न्यायालय में इस आधार पर दायर कर सकते है, कि वे एक वर्ष या उससे अधिक की अवधि के लिए अलग रह रहे हैं, वे एक साथ नहीं रह पाए और उन्होंने पारस्परिक रूप से सहमति जताई है कि शादी भंग होनी चाहिए। न्यायालय दोनो पक्षों के संयुक्त वक्तव्य को दर्ज करेगा और अपने विवाद को हल करने के लिए दोनो को 6 महीने का समय देते हुए पहला प्रस्ताव पारित करेगा, हालांकि, यदि दोनो पक्ष निर्धारित समय के भीतर मुद्दों को हल करने में असमर्थ हैं, तो न्यायालय तलाक की एक डिक्री पारित कर देगा इसलिए, पारस्परिक सहमति से तलाक में 6-7 महीने लगते हैं।



आपकी पत्नी आपके जीवन काल के दौरान आपकी स्वयं अधिगृहित या पैतृक संपत्ति में किसी भी अधिकार का दावा नहीं कर सकती, लेकिन आपकी पत्नी घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत निवास के अधिकार का दावा कर सकती है। इसके अलावा, आपकी पत्नी को आपके द्वारा निर्वाह-धन (भरण-पोषण) के लिए हकदार है, जो मासिक भुगतान या एक बार भुगतान के माध्यम से किया जा सकता है।

 

पूरी प्रक्रिया के के संबंध में खर्च संलग्न एडवोकेट के आधार पर निर्भर होंगे।



यदि आपके मित्र  का पति / की पत्नी पारस्परिक तलाक के लिए तैयार नहीं है, तो आप हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 (1) के तहत वर्णित किसी भी आधार के तहत याचिका दायर कर सकते हैं। भारत में हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत तलाक के लिए निम्नलिखित आधार वर्णित हैं।

1. व्यभिचार - विवाह के बाहर संभोग सहित किसी भी प्रकार के यौन संबंधों में शामिल होने का कार्य व्यभिचार कहा जाता है। व्यभिचार एक आपराधिक अपराध के रूप में गिना जाता है और इसे स्थापित करने के लिए पर्याप्त सबूत आवश्यक हैं। 1976 में कानून के एक संशोधन में कहा गया है कि याचिकाकर्ता को तलाक लेने के लिए व्यभिचार का एक ही कार्य पर्याप्त है।

2. क्रूरता - किसी भी तरह की मानसिक और शारीरिक चोट जो जीवन, अंग और स्वास्थ्य के खतरे का कारण बन जाए, से विवश हो कर एक पति या पत्नी एक तलाक का मामला दर्ज कर सकता है। मानसिक यातनाओं के माध्यम से क्रूरता का अमूर्त कार्य के केवल एक कार्य से नहीं बल्कि घटनाओं की श्रृंखला से तय होता है। लेकिन कुछ उदाहरण हैं जैसे भोजन से वंचित किया जा रहा है, दहेज लेने के लिए निरंतर ग़लत बर्ताव और दुर्व्यवहार, विकृत यौन कृत्य आदि क्रूरता के अंतर्गत शामिल हैं।

3. परित्याग - यदि पति / पत्नी में से एक साथी दूसरे को कम से कम दो वर्ष की अवधि के लिए छोड़ जाता है, तो छोड़ दिया पति / पत्नी को परित्याग के आधार पर तलाक का मामले दर्ज कर सकता है।

4. धर्म परिवर्तन - यदि दोनों में से कोई एक साथी खुद को दूसरे धर्म में परिवर्तित कर लेता है, तो दूसरा साथी इस आधार पर तलाक का मामला दर्ज कर सकता हैं।

5. मानसिक विकार - मानसिक विकार तलाक दाखिल करने के लिए एक आधार बन सकता है अगर याचिकाकर्ता का साथी (पति / पत्नी) असाध्य मानसिक विकार और पागलपन से पीड़ित है और इसलिए इस जोड़े से एक साथ रहने की उम्मीद नहीं की जा सकती।

6. कुष्ठ रोग - किसी एक साथी (पति / पत्नी) को 'जहरीले और असाध्य' कुष्ठ रोग होने के स्थिति में, इस आधार पर अन्य साथी (पति / पत्नी) द्वारा याचिका दायर की जा सकती है।

7. यौन रोग - अगर एक साथी (पति / पत्नी) एक गंभीर संक्रामक बीमारी से पीड़ित है, तो दूसरे साथी (पति / पत्नी) द्वारा तलाक दायर किया जा सकता है। यौन संचारित रोग जैसे एड्स को यौनरोग कहा जाता है। 

8. सांसारिक त्याग - यदि एक साथी (पति / पत्नी) कोई अन्य धर्म आदेश को ग्रहण करके सभी सांसारिक कार्यों को त्याग देता है, तो दूसरा साथी (पति / पत्नी) तलाक दायर करने का हकदार है।

9. मृत्यु का अनुमान - यदि किसी व्यक्ति को सात साल की निरंतर अवधि के लिए किन्ही व्यक्तियों द्वारा जिन्हे उस व्यक्ति को 'स्वाभाविक रूप से' सुनाई या देखे जाने की उम्मीद की जाती है, उसे जीवित देखा या सुना नहीं जाता है, तो व्यक्ति को मृत माना जाता है। यदि दूसरा साथी ((पति / पत्नी) पुनर्विवाह में रुचि रखता है तो उसे तलाक दर्ज करना होगा।

10. सह-निवास का पुनरारंभ ना होना - अदालत द्वारा अलगाव की डिक्री पास होने के बाद यदि दंपति अपने सह-आवास को फिर से शुरू करने में विफल रहता है तो यह तलाक के लिए एक आधार बन जाता है।



भारत में निम्नलिखित आधार पर पत्नी द्वारा तलाक के लिए याचिका दायर की जा सकती है।

1. यदि पति बलात्कार, पुस्र्षमैथुन या पशुसंभोग में लिप्त है।

2. अगर शादी को हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार मान्यता मिल गई है और पति ने पहली पत्नी के जीवित रहते दूसरी औरत से शादी कर ली है, तो पहली पत्नी तलाक की मांग कर सकती है।

3. एक लड़की तलाक दायर करने की हकदार है, अगर उसकी शादी पंद्रह वर्ष की आयु से पहले हो गयी थी और 18 साल की उम्र से पहले शादी का त्याग करती है।

4. अगर एक वर्ष के लिए कोई सहवास नहीं होता है और पति अदालत द्वारा पत्नी के पक्ष में निर्वाह-धन (भरण-पोषण) के फैसले की उपेक्षा करता है, तो पत्नी तलाक के लिए प्रतिवाद कर सकती है।

 

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