भारत में किसी को गलती से मारने के लिए सजा क्या है


सवाल

भारत में किसी को गलती से मारने के लिए सजा क्या है?

उत्तर (1)


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प्रिय महोदय, आपको उचित सलाह देने के लिए मामले की पूरी जानकारी आवश्यक है। यह निर्णय लेना अदालत पर निर्भर है कि क्या यह लापरवाही के द्वारा गैर इरादतन हत्या है या नहीं।

हत्या की श्रेणी में न आने वाली गैर इरादतन हत्या के लिए दण्ड

जो कोई व्यक्ति गैर इरादतन हत्या (जो हत्या की श्रेणी मे नही आता) करता है अथवा ऐसा कोई कार्य करता है जो मृत्यु का कारण हो, जिसे मृत्यु देने के इरादे से किया गया हो, या ऐसी शारीरिक चोट जो संभवतः मृत्यु का कारण हो पहुचाने के लिए किया गया हो, तो उसे आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी, या उस व्यक्ति को किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा होगी जिसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही वह आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा,

या ज्ञान पूर्वक ऐसा कोई कार्य करता है जो संभवतः मृत्यु का कारण हो, लेकिन जिसे मृत्यु देने के इरादे, या ऐसी शारीरिक चोट जो संभवतः मृत्यु का कारण हो पहुचाने के लिए से न किया गया हो, तो उसे आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी, या उस व्यक्ति को किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा होगी जिसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही वह आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा।



लागू अपराध:-

1. हत्या की श्रेणी में न आने वाली गैर इरादतन हत्या, ऐसा कोई कार्य जो मृत्यु का कारण हो और जिसे मृत्यु देने के इरादे से किया गया हो, आदि। (भारतीय दंड संहिता के धारा 304)

सजा - आजीवन कारावास या 10 वर्ष कारावास + आर्थिक दंड

यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है।



2. ज्ञान पूर्वक ऐसा कोई कार्य जो मृत्यु का कारण हो, लेकिन जिसे मृत्यु देने के इरादे से न किया गया हो, आदि। (भारतीय दंड संहिता के धारा 304)

सजा - 10 वर्ष कारावास या आर्थिक दंड या दोनों

यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।



3. उपेक्षा / लापरवाही व जल्दबाज द्वारा मॄत्यु कारित करना (भारतीय दंड संहिता के धारा 304A)

जो व्यक्ति व लापरवाही से कोई भी काम करते हुए किसी व्यक्ति की मृत्यु कारित कर दे तो उसे दो साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जाएगा। परंतु यह मृत्यु इरादतन न की गई हो बल्कि तेजी व लापरवाही द्वारा घटित हुई हो।

सजा - 2 वर्ष कारावास या आर्थिक दंड या दोनों

यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के न्यायधीश द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

 


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अनुवादित किया गया मूल उत्तर यहां पढ़ा जा सकता है।


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