चेक बाउंस केस कितने दिनों में दायर किया जा सकता है
सवाल
उत्तर (1)
चेक के बाउंस होने के बाद आप को चेक बाउंस होने के 30 दिनों के अंदर दोषी पार्टी को एक लीगल नोटिस देना जरूरी होता है, आप स्वयं या अपने वकील के माध्यम से दोषी पार्टी को लीगल नोटिस भेज सकते हैं, ये लीगल नोटिस स्पीड पोस्ट या कोरियर सर्विस के माध्यम से भी भेजा जा सकता है। नोटिस में आप को यह लिखना होता है, कि यह चेक आपने कब और किस कारण लिया था। तथा उस पर लिखे रुपये को देने की जिम्मेदारी दोषी पार्टी की ही है। इसके अलावा अंत में आप दोषी पार्टी से चेक में लिखे हुए अमाउंट को नोटिस देने के बाद 15 दिन के अंदर वापस प्राप्त कर सकते हैं। और केवल चेक में लिखी हुई राशि ही नहीं बल्कि लीगल नोटिस भेजने का उचित खर्चा भी प्राप्त कर सकते है।
चेक बाउंस के मामले में लीगल नोटिस भेजने के बाद जिस दिन वह नोटिस दोषी पार्टी को मिलता है, या फिर किसी कारण वश बिना मिले आप के पास वापस लौट आता है, तो उस दिन से अगले 15 दिन के बीच में दोषी पार्टी कभी भी आपके रुपये वापस कर सकती है। यदि दोषी पार्टी 15 दिन के अंदर आप के रुपये वापस नहीं करती है, तो “लेनदार नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 के सेक्शन 138, के अंतर्गत अपराधिक शिकायत दर्ज करा सकता है, इसके अनुसार अगले 30 दिनों के अंदर आप दोषी पार्टी के ऊपर न्यायालय में चेक बाउंस करने और समय पर रुपये वापस न लौटने का केस भी कर सकते हो। इसका मतलब आपके पास कुल 45 दिन होते हैं, जिनमें से आखरी के 30 दिन में आप न्यायालय में केस फाइल कर सकते हैं।
आवश्यक डाक्यूमेंट्स जो केस के साथ फ़ाइल करने होते हैं
न्यायालय में केस फ़ाइल करते समय आप इन डाक्यूमेंट्स को केस में अवश्य ही लगाएं
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आपका चेक जो कि बाउंस हो गया है
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चेक को बैंक में डालने के समय भरी जाने वाली स्लिप
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चेक की बाउंस होने वाली स्लिप (बैंक की स्टाम्प व सिग्नेचर के साथ)
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लीगल नोटिस तथा उसकी पोस्टल स्लिप सबूत के लिए कि आपका नोटिस दोषी पार्टी को मिला था, यदि नोटिस नहीं मिला तो उस के कारण क्या थे
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अगर दोषी पार्टी द्वारा आपके लीगल नोटिस का कोई जवाब आपको मिला है, तो उसका रिप्लाई
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इसके अलावा कोई एग्रीमेंट जो आप दोनों के बीच हुआ है, या इस लेनदेन से सम्बन्धित कोई अन्य दस्तावेज इत्यादि।
चेक बाउंस होने पर निम्न प्रकार से केस किया सकता है
दीवानी मुकदमा (सिविल केस)
“सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908” के सेक्शन 37, की सहायता से चेक बाउंस होने के बाद आप दोषी पार्टी पर सिविल केस फाइल कर सकते हैं, सिविल केस में यह आराम होता है, कि ये केस सिर्फ 4 तारीखों में ही खत्म हो जाता है, और न्यायालय आपको इन ही 4 तारीखों में आपका पैसा ब्याज समेत आपको दिलवाता है। लेकिन इसमें आपको अपने चेक के अमाउंट के हिसाब से न्यायालय की कोर्ट फीस देनी होती है, जो कि सामान्य से थोड़ी ज्यादा होती है। वैसे ये फीस आपको केस जीतने पर वापस मिल जाती है, लेकिन अधिकांश लोग इस फीस कि वजह से ही सिविल केस की कम फाइल करते हैं।
फौजदारी मुकदमा (क्रिमिनल केस)
क्रिमिनल केस को पुलिस में एफ. आई. आर. द्वारा भी किया जा सकता है। इसके लिए आप चाहें तो दोषी के खिलाफ “भारतीय दंड संहिता, 1872” के सेक्शन 420, की सहायता से पुलिस में एफ. आई. आर. कर सकते हैं, लेकिन पुलिस ऐसे मामलो में जल्दी एफ. आई. आर. नहीं करती है, इसकी जगह वह चेक बाउंसिंग केस डालने को कहती है, लेकिन आप दोषी पार्टी पर दबाव बनाने के लिए उसके खिलाफ एफ. आई. आर. करवा सकते हैं।
चेक बाउंस के केस में वकील की जरूरत क्यों होती है?
भारत देश में चेक बाउंस के लिए भी काफी कठोर कानून बनाये गए हैं, चेक बाउंस की अधिकता होने पर एक व्यक्ति को न्यायालय से दण्डित भी किया जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को किसी भुगतान के लिए चेक के माध्यम से भुगतान करता है, और यदि भुगतान करने वाले व्यक्ति के खाते में पर्याप्त राशि नहीं होती है, तो बैंक से उस चेक का भुगतान नहीं किया जाता है, ऐसी स्तिथि को चेक का बाउंस होना कहा जाता है। अगर चेक बाउंस हो जाता है, तो ऐसी स्तिथि में क़ानूनी कार्यवाही से बचने के लिए केवल एक वकील ही आपको बचा सकता है, क्योंकि वकील के पास कानून की उचित जानकारी होती है, और वह आपको उचित सलाह भी दे सकता है। लेकिन किसी वकील को अपने केस के लिए नियुक्त करने के लिए ध्यान देने वाली बात यह है, कि जिस वकील को हम अपने केस के लिए नियुक्त कर रहे हैं, वह अपने क्षेत्र में निपुण वकील होना चाहिए, और उस वकील को चेक बाउंस से सम्बंधित मामलों से निपटने का उचित अनुभव होना चाहिए, जिससे आपके केस को जीतने के अवसर और भी बढ़ सकते हैं।
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- नमस्ते सर, मेरा नाम सुरेश सालवी है में राजस्थान के उदयपुर जिले का निवासी हूं। मेने जून में एक मोबाइल फ़ोन उदयपुर स्थित दुकान से खरीदा था उस समय मेने बजाज फायनेंस लिमिटेड कंपनी से फायनेंस कराया था उस वक़्त उनकी शर्त क्या थी यह मुझे नही बताई की उनके ECS चार्ज और मेंडेड नियम और बाउंस चार्ज कितना है । मेने 7 1650 रुपये की क़िस्त कराई जिनको मैने पूरा भर दिया हर बार समय पर भर दिया है । लेकिन 2 दिसम्बर की क़िस्त समय पर नही भर पाया क्योकि मेरे घर मे एक मेडिकल इमरजेंसी आ गयी थी। उस वक़्त मेरे पास बजाज से बहुत कॉल आये मेने उन्हें कहा कि क़िस्त भर दूंगा लगभग 5-6 दिन बजाज से प्रतिदिन 3-4 बार कॉल आते थे मेने परेशान होकर कॉल उठाना बंद कर दिए उसके बाद मुझे उदयपुर से बजाज के कॉल आना शुरू हो गए कि क़िस्त अर्जेंट भरे अन्यथा आपको ज्यादा शुल्क देना पड़ेगा । फिर मेने किसी से उधार पैसे लेकर 11.12.2023 को अपनी क़िस्त लेट फीस के साथ 2000 रुपये बजाज ले ऑफिस में जमा करा दी । फिर 13.12.2023 को मेरे पास कुछ फंड आया मेने 10 हजार रुपये अपने खाते में जमा कराए मेने देखा कुछ समय मे मेरे खाते से 2655 रुपये काट दिए