धारा 99 आईपीसी - IPC 99 in Hindi - सजा और जमानत - कार्य, जिनके विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नहीं है

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 99 का विवरण

धारा 99 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 99 के अनुसार यदि कोई कार्य, जिससे मॄत्यु या घोर उपहति की आशंका युक्तियुक्त रूप से कारित नहीं होती, सद््भावपूर्वक अपने पदाभास में कार्य करते हुए लोक सेवक द्वारा किया जाता है या किए जाने का प्रयत्न किया जाता है तो उस कार्य के विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नहीं है, चाहे वह कार्य विधि-अनुसार सर्वथा न्यायानुमत न भी हो ।
यदि कोई कार्य, जिससे मॄत्यु या घोर उपहति की आशंका युक्तियुक्त रूप से कारित नहीं होती, सद््भावपूर्वक अपने पदाभास में कार्य करते हुए लोक सेवक के निदेश से किया जाता है, या किए जाने का प्रयत्न किया जाता है, तो उस कार्य विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नहीं है, चाहे वह निदेश विधि-अनुसार सर्वथा न्यायानुमत न भी हो ।
उन दशाओं में, जिनमें संरक्षा के लिए लोक प्राधिकारियों की सहायता प्राप्त करने के लिए समय है, प्राइवेट प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नहीं है ।
इस अधिकार के प्रयोग का विस्तार--किसी दशा में भी प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार उतनी अपहानि से अधिक अपहानि करने पर नहीं हैं, जितनी प्रतिरक्षा के प्रयोजन से करनी आवश्यक है ।
स्पष्टीकरण 1--कोई व्यक्ति किसी लोक सेवा द्वारा ऐसे लोक सेवक के नाते किए गए या किए जाने के लिए प्रयतित, कार्य के विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के वंचित नहीं होता, जब तक कि वह यह न जानता हो, या विश्वास करने का कारण न रखता हो, कि उस कार्य को करने वाला व्यक्ति ऐसा लोक सेवक है ।
स्पष्टीकरण 2--कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक के निदेश से किए गए, या किए जाने के लिए प्रयतित, किसी कार्य के वरिद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार से वंचित नहीं होता, जब तक कि वह यह न जानता हो, या विश्वास करने का कारण न रखता हो, कि उस कार्य को करने वाला व्यक्ति ऐसे निदेश से कार्य कर रहा है, जब तक कि वह व्यक्ति उस प्राधिकार का कथन न कर दे, जिसके अधीन वह कार्य कर रहा है, या यदि उसके पास लिखित प्राधिकार है, तो जब तक कि वह ऐसे प्राधिकार को मांगे जाने पर पेश न कर दे ।


आईपीसी धारा 99 शुल्कों के लिए सर्व अनुभवी वकील खोजें