IPC Section 97 क्या है? आत्मरक्षा में बचाव की धारा में सज़ा और जमानत

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

रोजाना बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत बहुत सारे कानून (Law) बनाए गए है। जिसके अनुसार दोषी व्यक्ति को उसके किए गए अपराध अनुसार सजा (Punishment) दी जाती है। इसी प्रकार भारतीय संविधान (Indian Constitution) के द्वारा कुछ ऐसे कानून भी बनाए गए है, जिनके द्वारा हम अपने साथ होने वाले किसी भी अपराध से खुद अपना बचाव कर सकते है। यदि अचानक किसी व्यक्ति पर हमला (Attack) हो जाता है तो उसे अपनी आत्मरक्षा (Self Defence) किस प्रकार करनी चाहिए। इसके बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी होती है। इसलिए आज के लेख में हम जानेंगे आईपीसी के अंतर्गत आने वाले एक ऐसे ही एक कानून के बारे में कि धारा 97 क्या है (IPC 97 in Hindi), कब लगती है? धारा 97 के मामले में सजा और जमानत कैसे मिलती है?

आमतौर पर देश के लोगों को किसी भी प्रकार के हमले से बचाव के लिए सुरक्षा (Protection) देने का कर्तव्य पुलिस व प्रशासन का होता है, परन्तु पुलिस हर समय हर जगह नही पहुंच पाती। ऐसे में यदि किसी व्यक्ति पर हमला हो जाता है, तो उसे अपनी सुरक्षा के लिए दिए गए अधिकारों (Rights) का ज्ञान होना बहुत ही जरुरी है। इसी विषय पर आज के लेख द्वारा आत्मरक्षा में बचाव के कानून के बारे में सम्पूर्ण जानकारी विस्तार से जानेंगे, इसलिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़े।

धारा 97 क्या है – What is IPC 97 in Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 97 के अनुसार धारा 99 में बताए गए प्रतिबंधो (Restrictions) के अधीन सभी लोगों के लिए उनकी प्रतिरक्षा के अधिकारों (Rights Of Defence) के बारे में बताया गया है। आइये जानते है ये अधिकार किस प्रकार है।

मनुष्य के शरीर को प्रभावित करने वाले किसी भी अपराध के खिलाफ अपने व किसी अन्य व्यक्ति के शरीर की रक्षा करना।

खुद की या किसी अन्य व्यक्ति की चल अचल सम्पत्ति को लूट-पाट (Robbery), चोरी (Theft), डकैती, जैसे अपराधों से बचाव (Defence against crime) के बारे में धारा 97 में बताया गया है।

अगर इसे आसान भाषा में कहे तो यदि कोई व्यक्ति आप पर या किसी अन्य व्यक्ति पर हमला करता है या कोई ऐसा अपराध करने की कोशिश करता है। जिससे मानव शरीर को किसी भी प्रकार का नुकसान पहुँच सकता है या कोई आपकी किसी भी वस्तु को चोरी करने व लूट-पाट करने की कोशिश करता है तो ऐसी स्थिति में शरीर तथा किसी संपत्ति की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार (Right of private Defence of the body and of property) का उपयोग करते हुए आप अपने या किसी दूसरे व्यक्ति के बचाव के लिए हमलावर पर आत्मरक्षा में हमला (Attack in Self Defence) कर सकते है। जिसके लिए आप पर किसी भी प्रकार की कानूनी कार्यवाही नहीं की जाएगी।


IPC Section 97 का उदाहरण

एक दिन पवन अपनी दुकान से घर जा रहा था। उसे रास्ते में एक लड़की दिखी जिसके साथ कुछ लड़के मारपीट कर रहे थे। पवन यह सब देखकर पुलिस को फोन कर देता है, लेकिन उसे लगता है कि जब तक पुलिस आएगी तब तक उस लड़की के साथ कुछ गंभीर हादसा हो सकता है। इसलिए पवन तुरन्त उस लड़की की सुरक्षा के लिए जाता है तो वो लड़के अचानक पवन पर भी अटैक कर देते है।

ऐसी स्थिति में पवन भी अपनी आत्मरक्षा के लिए उन लड़कों पर हमला कर देता है। जिसके कारण और लड़के भाग जाते है लेकिन एक लड़के को चोट लग जाती है। उसके बाद जब पुलिस वहाँ आती है तो पवन सारी बात पुलिस को बताता है कि उसने लड़की व खुद की जान को बचाने के लिए धारा 97 में दिए गए शरीर तथा किसी संपत्ति की निजी प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रयोग करते हुए अपना बचाव किया है। उसके बाद पुलिस पवन को जाने देती है व अपराधी लड़के पर कार्यवाही करती है।

जाने - घर में जबरदस्ती घुसने की धारा 447 कब लगती है


IPC Section 97 में निजी रक्षा के लिए समझने वाली कुछ मुख्य बातें

IPC Section 97 के इस प्रावधान (Provision) की पूरी समझ पाने के लिए आपको इससे जुड़े सभी मुख्य बातों के बारे में जानना बहुत ही जरुरी है, आइये जानते है उन सभी मुख्य बातों के बारे में।

  • अपनी रक्षा करने का अधिकार: यह धारा मानती है कि किसी व्यक्ति को खुद को नुकसान या चोट से बचाने का पूरा अधिकार (Right) है उस समय पर जब उन्हें यह लगे कि उनका जीवन किसी खतरे (Danger) में है।
  • तत्काल खतरा: निजी सुरक्षा के अधिकार के रुप में आपके द्वारा बल प्रयोग करना जब उचित माना जाता है जब आप पर अचानक हमला हुआ हो और आपके पास कोई दूसरा रास्ता ही ना हो। यदि आप पर भविष्य में कोई Attack होने वाला होता है और आप पहले ही जाकर खुद उससे लड़ने लगते है तो वह एक अपराध माना जाएगा।
  • उचित बल: इसका मतलब है कि आपको अपने Defence के लिए केवल उतना बल (Power) का प्रयोग करने की अनुमति (Permission) होती है जितने बल से आपका बचाव हो सके। ज्यादा व अनावश्यक बल का प्रयोग करना गलत होता है।
  • बराबर हमला: Self Defence के लिए आपको सामने वाले व्यक्ति के बराबर ही Attack करना चाहिए यदि कोई व्यक्ति आपको मुक्के से मार रहा है तो आप उस पर किसी खतरनाक हथियार (Dangerous Weapon) से हमला नहीं करना चाहिए।
  • संपत्ति की सुरक्षा: यदि कोई भी व्यक्ति आपके घर में गैरकानूनी तरीके से घुसने की कोशिश करता है तो आप उसे रोकने के लिए आवश्यक कार्यवाही कर सकते है।

धारा 97 में सजा कितनी मिलती है – IPC 97 Punishment

आइपीसी की धारा 97 में प्रतिरक्षा के अधिकारों के बारे में बताया गया है जिसके अनुसार यदि किसी व्यक्ति पर अचानक जानलेवा हमला होता है तो वह अपने बचाव में हमला करने वाले अपराधी को मार भी सकता है या उसे बचाव के दौरान चोट पहुँचा सकता है। ऐसा करने के लिए उस व्यक्ति को यह साबित करना होगा की उसने यह सब अपने बचाव में किया है।

यदि कोई व्यक्ति इस IPC Section के अधिकार का गलत इस्तेमाल करता है तो जो अपराध उसने किया है उसे उसी के अंतर्गत सजा (Punishment) दी जा सकती है।


निजी प्रतिरक्षा के अधिकार के लिए कुछ नियम व शर्तें

आइपीसी सी की धारा 97 में यह बताया गया है कि यदि कोई व्यक्ति अपनी प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रयोग करता है तो वह अपराध नहीं माना जाएगा। लेकिन इसके लिए कुछ नियम व शर्तें दी गई है जिनका जानना बहुत ही जरुरी है।

  • यदि कोई व्यक्ति आप पर हमला करने की धमकी देता है तो आपके पास अपने बचाव के लिए पुलिस को फोन करने का समय होता है। जिससे आप उस व्यक्ति के खिलाफ शिकायत (Police Complaint) दर्ज करा कर कार्यवाही कर सकते है।
  • अगर आप पर हमला होता है और आपको लगता है कि आपके पास पुलिस को सूचना देने का समय है तो आत्मरक्षा में हमलावर को चोट पहुँचाने से पहले ही पुलिस को बुला ले।
  • अगर किसी स्थिति में आप पर हमला होता है और आपको लगता है कि पुलिस के आने तक आप के साथ कुछ बड़ा हादसा हो सकता है। उस स्थिति में आप अपना बचाव करने के लिए अपराध करने वाले व्यक्ति पर हमला कर सकते है। जोकि अपराध नहीं माना जाएगा।
  • लेकिन यदि आपके पुलिस को सूचना देने का पूरा समय है और फिर भी आप खुद हमला करने की कोशिश करते है तो उसके लिए आप पर भी कार्यवाही हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि आपके पास पूरा समय था, अपने बचाव के लिए पुलिस को बुलाने का परन्तु आपने खुद ही कानून अपने हाथ में लिया।


धारा 97 के तहत एक मामले में एक वकील आपकी कैसे मदद कर सकता है?

किसी अपराध का आरोप लगाया जाना, चाहे वह बड़ा हो या छोटा, एक गंभीर मामला है। आपराधिक आरोपों का सामना करने वाला व्यक्ति गंभीर दंड और परिणाम का जोखिम उठाता है, जैसे कि जेल में समय व्यतीत करना, एक आपराधिक रिकॉर्ड होना, और रिश्तों की हानि और भविष्य में नौकरी रोजगार प्राप्त करने में अड़चन की संभावनाएं जबकि कुछ कानूनी मामलों को अकेले संभाला जा सकता है, किसी भी प्रकृति की अपराध मे गिरफ्तारी से बचाव के लिए एक योग्य आपराधिक वकील की कानूनी सलाह की आवश्यकता होती है जो आपके अधिकारों की रक्षा कर सकता है और आपके मामले के लिए सर्वोत्तम संभव परिणाम सुरक्षित कर सकता है।


प्रशंसापत्र

1. एक महिला ने मुझे धोके से अपने घर बुलाकर पैसे और कीमती सामान वसूलने के इरादे से धमकी दी जब मैंने इनकार किया तो उसने मेरे खिलाफ यौन उत्पीड़न का झूठा मामला दायर कर दिया मेरे वकील ने संपत्ति के निजी बचाव के अधिकार के आधार पर मुझे जमानत दिलवाई और मुझे निर्दोष साबित करके उस महिला को झूठी साजिश रचने के लिए सजा भी दिलवाई।

- कार्तिक कुलश्रेष्ठ


2. आधी रात को लगभग 4 से 5 लोग खतरनाक हथियारों के साथ मेरे घर में घुस आए और मुझपर हमला कर दिया मेरे पति ने अपनी लाइसेंसी पिस्तौल से उनपर हमला कर उन्हें कमरे में बंद कर दिया हमने अपने वकील से संपर्क किया वकील ने हमको पुलिस को सूचित करने की सलाह दी और दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने में हमारी सहायता की।

- वीना राठौर


3. कुछ लोगो ने रंजिश के चलते मुझपर और मेरे भाई पर अचानक हमला कर दिया, अपना बचाओ करते हुए मेने उनपर फावड़े से वार किया परिणाम स्वरुप वह घायल हो गए और हमें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया हमारे वकील साहब ने मौके पे मौजूद लोगो की गवाही कराकर हमें पुलिस हिरासत से मुक्त कराया और उन पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कराया।

-गोपाल यादव



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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल


IPC Section 97 क्या है?

IPC Section 97 के प्रावधान अनुसार किसी भी व्यक्ति को अपनी व अपनी संपत्ति की निजी रक्षा के अधिकार के बारे में बताया गया है।



शरीर व "संपत्ति की निजी रक्षा का अधिकार" का क्या अर्थ है?

इसका अर्थ है कि यदि कोई व्यक्ति आप पर हमला करता है या आपकी किसी संपत्ति  में गैरकानूनी रुप से घुसता है तो आप अपने बचाव में बल का प्रयोग कर सकते है।



धारा 97 के तहत निजी बचाव के अधिकार की सीमा क्या है?

निजी रक्षा के अधिकार की एक सीमा होती है जिसमें किसी भी व्यक्ति को अपने बचाव के लिए केवल इतने बल का प्रयोग करना चाहिए, जिससे खतरा टल जाए या अपना बचाव हो जाए।



क्या IPC 97 के तहत कोई रक्षा के लिए घातक बल का प्रयोग कर सकता है?

अपने बचाव के लिए घातक बल का उपयोग उस समय किया जा सकता है जब आपकी मृत्यु होने व कोई गंभीर नुकसान होने का खतरा हो ऐसे में आप अपने बचाव के लिए हमलावर पर घातक हमला भी कर सकते है।



यदि कोई धारा 97 के तहत निजी बचाव के अधिकार की सीमा को पार कर जाता है तो क्या होगा?

यदि निजी रक्षा के दौरान कोई व्यक्ति निजी रक्षा की सीमा को पार कर देता है तो उसे भी कानूनी रुप से आपराधिक आरोपों (Blames) का सामना करना पड़ सकता है।