मानहानि की धारा 499 और 500 कब लगती है | IPC 499 में सजा और जमानत

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

दोस्तों आपने कभी ना कभी जरुर सुना होगा की किसी व्यक्ति ने किसी दूसरे व्यक्ति पर अपमानित करने या झूठे आरोप लगाने के कारण मानहानि (Defamation) का केस कर दिया। अकसर समाचारों व फिल्मों में मानहानि से जुड़ी बातों के बारे में देखने व सुनने को मिलता है। मानहानि के तहत मुकदमा किस प्रकार किया जाता है, मानहानि शब्द का मतलब क्या होता है (IPC Section for defamation)। आज के लेख द्वारा हम आईपीसी में मानहानि की धारा के बारे में विस्तार से जानेंगे कि धारा 499 क्या है (IPC 499 & 500 in Hindi), कब लगती है? मानहानि के केस में सजा और जमानत कैसे मिलती है?

कभी-कभी नासमझी के कारण कुछ लोग किसी व्यक्ति के खिलाफ गलत बातें कह देते है, जिसकी वजह से उन्हें बाद में पछताना पड़ता है। किसी भी लोकतांत्रिक समाज में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है, लेकिन यह व्यक्तियों की प्रतिष्ठा की रक्षा करने और झूठी सूचना के प्रसार को रोकने के लिए कुछ सीमाओं के साथ आता है। Defamation के लिए कानून इन अधिकारों को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगर आप विस्तार से जानना चाहते है कि ऐसा कार्य करना किस प्रकार का अपराध बन जाता है, तो हमारे IPC Section 499 के लेख को पूरा पढ़े।

धारा 499 क्या है कब लगती है – IPC 499 in Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 499 के अनुसार जो भी व्यक्ति बोलकर, या पढ़े जाने वाले आशयित शब्दों (intended words) के द्वारा या किसी भी प्रकार के संकेतों द्वारा किसी अन्य व्यक्ति पर झूठा लांछन लगाता है। जिससे उस व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचता है, ऐसा कार्य करने वाले व्यक्ति पर धारा 499 के तहत मानहानि का मुकदमा दर्ज (Defamation case filed under section 499) कर कार्यवाही की जाती है।


मानहानि किसे कहा जाता है। मानहानि का मतलब

किसी भी व्यक्ति को बदनाम करने व उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने के लिए झूठे बयानों का सहारा लेकर कोई भी कार्य करना। जिससे किसी व्यक्ति की जीवन पर सवाल खड़े हो जाए मानहानि कहलाता है। कोई भी व्यक्ति अपना पूरा जीवन व्यतीत कर देता है समाज में अपनी प्रतिष्ठा बनाने में, लेकिन यदि कोई व्यक्ति झूठी बाते बनाकर उसकी प्रतिष्ठा को चोट पहुँचाने की कोशिश करता है। इसलिए वो व्यक्ति कानून की नजरों में मानहानि का दोषी (Guilty of defamation) बन जाता है।


मानहानि के अंतर्गत आने वाली बातें

धारा 499 के तहत आने वाली मानहानि की बातें इस प्रकार है:-

  • किसी व्यक्ति के खिलाफ गलत बाते बोलकर उसे अपमानित करना।
  • किसी व्यक्ति पर कोई गलत लांछन लगाना।
  • किसी व्यक्ति की तारीफ करने की जगह उसकी बेइज्जती करना।


इन सभी बातों में से कोई भी कार्य करना मानहानि की धारा 499 के तहत अपराध माना जाता है। यदि कोई व्यक्ति आपको अपमानित करने के इरादे से जानबूझकर निम्नलिखित बातों में से कोई भी कार्य करता है तो आप उस व्यक्ति पर मानहानि का केस (Case of Defamation) कर सकते है।


मानहानि कितने प्रकार की होती है

1. अपलेख (Libel):- अपलेख उसे कहा जाता है जिसमें किसी व्यक्ति के बारे में किसी स्थाई व दिखाई देने वाली वस्तु में प्रकाशित किया जाता है। जैसे फिल्म, फोटो, कार्टून, किसी भी वस्तु पर छपा हुआ आदि। यदि इन सब कार्यों द्वारा कोई किसी व्यक्ति को अपमानित करके ठेस पहुंचाने की कोशिश करता है।

2. अपवचन (slander):- जो भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाने के लिए मौखिक शब्दों, धवनी माध्यमों व संकेतों का प्रयोग करता है। उसे अपवचन कहा जाता है।

भारतीय दंड संहिता के अनुसार अपलेख व अपवचन दोनों ही एक दंडनीय अपराध है। ऐसा अपराध करने वाले लोगों को IPC Section 500 के द्वारा मानहानि के लिए दंडित किया जाता है।


IPC Section 499 अपराध का उदाहरण

कपिल और अमित दोनों एक ही कम्पनी में साथ में काम करने वाले दो व्यक्ति होते है। कपिल अपनी कम्पनी का बहुत ही होनहार कर्मचारी होता है। जिस कारण अमित कपिल से चिढ़ता था। एक दिन अमित कम्पनी में अन्य सभी कर्मचारियों के सामने कपिल को अपमानित करने के लिए झूठे लांछन लगा देता है। अमित की यह सब बाते सुनकर कपिल को बहुत बुरा लगता है और उसे बहुत गुस्सा भी आता है। जिस कारण कपिल अमित के खिलाफ झूठा लांछन लगा कर अपमानित करने की साजिश करने के तहत मानहानि की धारा 499 के तहत पुलिस में शिकायत दर्ज करवा देता है।

धारा 499 में सजा कितनी मिलती है – IPC 499, 500 Punishment

आइपीसी की धारा 499 में केवल मानहानि के अपराध (Offence of Defamation) के बारे में बताया गया है। यदि कोई व्यक्ति मानहानि का अपराध करता है तो उसके खिलाफ मुकदमा तो धारा 499 के तहत दर्ज किया जाता है। परन्तु सजा का प्रावधान ipc section 500 में देखने को मिलता है। आइये जानते है मानहानि की सजा की धारा 500 के बारे में।


IPC Section 500 के तहत मानहानि की सजा

भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के प्रावधान अनुसार जो कोई भी किसी व्यक्ति की मानहानि करने का दोषी पाया जाता है, उसे न्यायालय द्वारा दो वर्ष तक की कारावास (jail) व जुर्माने (fine) से दंडित किया जा सकता है। इसलिए इस मामले में सजा के लिए मानहानि के लिए दंड़ की धारा 500 का इस्तेमाल किया जाता है।


IPC 499 में जमानत (Bail) कब और कैसे मिलती है

भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 499 का यह अपराध एक गैर- संज्ञेय अपराध (Non-Cognizable Crime) कहा जाता है। मानहानि के अपराध में जमानत (Bail in defamation) का प्रावधान होता है। जिसमें आरोपी व्यक्ति को जमानत (Bail) आसानी से मिल जाती है। जिसका फैसला प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होता है। इस प्रकार के मामलों में वकील की सहायता से दूसरे पक्ष से बात करके आपसी समझौते से भी केस से निकला जा सकता है।

पढ़े - अपमान करने की धारा 504 कब लगती है


IPC 499 के तहत मानहानि का केस कैसे दर्ज करें ?

यदि कोई व्यक्ति आपको अपमानित करता है या आपकी प्रतिष्ठा को खराब करने के लिए झूठे आरोप लगाता है, तो आप उस व्यक्ति पर मानहानि के लिए मुकदमा दर्ज करने के लिए इन चरणों के अनुसार केस कर सकते है।

  • एक वकील से परामर्श करें: ये मामले थोड़े कठिन हो सकते हैं, इसलिए ऐसे मामलों में एक योग्य वकील से कानूनी सलाह (Legal Advice) लेने की सलाह दी जाती है जो आपराधिक कानून (Criminal law) या Defamation के मामलों में विशेषज्ञता रखता हो। वे आपकी विशिष्ट स्थिति के आधार पर आपको मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं।
  • साक्ष्य एकत्र करें: मामला दायर करने से पहले सभी आवश्यक सबूत (Evidence) इकट्ठा करें जो आपके Defamation के दावे का समर्थन करते हैं। इसमें लिखित या सामग्री, फोटोग्राफ, वीडियो, या कोई अन्य दस्तावेज भी शामिल हो सकते हैं।
  • शिकायत का मसौदा तैयार करें: मामले के तथ्यों और आपके खिलाफ दिए गए मानहानिकारक बयानों (defamatory statements) को रेखांकित करते हुए एक विस्तृत शिकायत का मसौदा (Draft) तैयार करने के लिए अपने वकील के साथ काम करें।
  • शिकायत दर्ज करें: एक बार शिकायत (Complaint) तैयार हो जाने के बाद आपको इसे उपयुक्त अदालत में दर्ज करना होगा। आपका वकील आपको विशिष्ट अदालत और प्रस्तुत किए जाने वाले आवश्यक दस्तावेजों के बारे में मार्गदर्शन करेगा। आम तौर पर शिकायत उस अदालत (Court) में दायर की जाती है जिसके अधिकार क्षेत्र में मानहानिकारक बयान प्रकाशित किया गया था या जहां अभियुक्त रहता है।
  • कोर्ट फीस का भुगतान करें: शिकायत दर्ज करने के साथ-साथ आपको निर्धारित कोर्ट फीस (Court Fess) का भुगतान करना पड़ सकता है। क्षेत्राधिकार और मामले की प्रकृति के आधार पर राशि भिन्न हो सकती है। आपका वकील इस प्रक्रिया में आपकी सहायता करेगा।
  • केस रिकॉर्ड करें: एक बार शिकायत दर्ज हो जाने के बाद अदालत एक केस नंबर असाइन करेगी और केस को अपने सिस्टम में रिकॉर्ड करेगी। भविष्य के संदर्भ के लिए मुकदमा संख्या (Case Number) को नोट करना सुनिश्चित करें।
  • आरोपी को नोटिस दें: मामला दर्ज (Case Register) होने के बाद अदालत आरोपी (Accused) को समन या नोटिस ( Summon or notice) जारी करेगी उन्हें मामले की जानकारी देगी और उन्हें अदालत में पेश होने के लिए कहेगी। कोर्ट आम तौर पर एक प्रक्रिया सर्वर या पंजीकृत डाक द्वारा सम्मन भेजती है। आपका वकील मुकदमा दायर करने से पहले आपकी ओर से एक कानूनी नोटिस (Legal Notice) भी भेज सकता है, अभियुक्तों को मानहानिकारक बयानों के बारे में सूचित कर सकता है और उन्हें अपने कार्यों के लिए सुधार करने या माफी मांगने (To apologize) का अवसर दे सकता है।
  • अदालत की सुनवाई में भाग लें: एक बार मामला दर्ज हो जाने और आरोपी को नोटिस दिए जाने के बाद न्यायालय सुनवाई (Court hearing) का समय निर्धारित करेगी। अदालत के निर्देशों के अनुसार आपको और आपके वकील को इन सुनवाईयों में शामिल होना चाहिए। सुनवाई के दौरान दोनों पक्ष अपनी-अपनी स्थिति के समर्थन में अपने-अपने तर्क और सबूत पेश करेंगे।
  • अदालती कार्यवाही का पालन करें: पूरी कानूनी प्रक्रिया (Legal Process) के दौरान, आपका वकील आवश्यक कदमों पर आपका मार्गदर्शन करेगा, जैसे कि अतिरिक्त सबूत जमा करना, गवाहों से जिरह करना और अपने मामले को प्रभावी ढंग से पेश करना।

मानहानि की धारा 499 कब नहीं लगती

  • यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति पर सत्य आरोप लगाता है तो ऐसा करना मानहानि नहीं कहलाता।
  • लोक सेवकों के सार्वजनिक आचरण को बताना भी मानहानि नहीं कहलाता।
  • अदालत की कार्यवाही को लोगों तक पहुँचाने के लिए छापना या प्रकाशित करना।
  • अपने या दूसरों के भले के लिए सही भावना से लगाया गया आरोप।
  • यदि कोई व्यक्ति बताई गई बातों अनुसार तथ्यों के आधार पर लोगों के हितों के लिए किसी व्यक्ति पर आरोप लगाता है तो वह मानहानि में नहीं माना जाता। ऐसे व्यक्ति पर इस धारा के तहत कार्यवाही नहीं की जा सकती।

मानहानि की धारा से बचाव के लिए सावधानियाँ

  • किसी भी व्यक्ति के को अपमानित ना करें व किसी भी प्रकार के गलत शब्द का प्रयोग ना करें।
  • यदि आपको किसी व्यक्ति के बारे में किसी दूसरे व्यक्ति से कोई बात सुनने को मिलती है तो उसको अन्य लोगों को बताने से पहले उस बात की पूरी सच्चाई जरुर जान लें।
  • किसी व्यक्ति पर मजाक में भी किसी प्रकार की टिप्पणी ना करें। यदि सामने वाले व्यक्ति को आपके द्वारा की गई टिप्पणी का बुरा लगा तो वो आप पर मानहानि का केस कर सकता है।
  • किसी ऐसे व्यक्ति का साथ ना दे जो लोगों के बारे में गलत व झूठी बातों को फैलाने का कार्य करता हो।
  • यदि आपके द्वारा अंजाने में की गई किसी बात का किसी व्यक्ति को बुरा लगता है तो तुरन्त उसके सामने अपनी गलती मानकर माँफी माँग ले।



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