धारा 477क आईपीसी - IPC 477क in Hindi - सजा और जमानत - लेखा का मिथ्याकरण

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


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विषयसूची

  1. धारा 477क का विवरण

धारा 477क का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 477क के अनुसार जो कोई, लिपिक, आफिसर या सेवक होते हुए, या लिपिक, आफिसर या सेवक के नाते नियोजित होते या कार्य करते हुए, किसी 4[पुस्तक, इलैक्ट्रानिक अभिलेख, कागज, लेख,] मूल्यवान प्रतिभूति या लेखा में जानबूझकर और कपट करने के आशय से कोई मिथ्या प्रविष्टि करेगा या करने के लिए दुष्प्रेरण करेगा, या उसमें से या उसमें किसी तात्विक विशिष्टि का लोप या परिवर्तन करेगा या करने का दुष्प्रेरण करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
स्पष्टीकरण--इस धारा के अधीन किसी आरोप में, किसी विशिष्ट व्यक्ति का, जिससे कपट करना आशयित था, नाम बताए बिना या किसी विशिष्ट धनराशि का, जिसके विषय में कपट किया जाना आशयित था या किसी विशिष्ट दिन का, जिस दिन अपराध किया गया था, विनिर्देश किए बिना, कपट करने के साधारण आशय का अभिकथन पर्याप्त होगा ।


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