धारा 468 आईपीसी - IPC 468 in Hindi - सजा और जमानत - छल के प्रयोजन से कूटरचना
अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
धारा 468 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 468 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति इस आशय से कूटरचना करता है कि कूटरचित दस्तावेज़ों को छल करने के लिए इस्तेमाल किया जा सके तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही वह आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा।लागू अपराध
छल के प्रयोजन से कूटरचना
सजा - सात वर्ष कारावास + आर्थिक दंड।
यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
---|---|---|---|---|
ठगी के मकसद से जालसाजी | 7 साल + जुर्माना | संज्ञेय | गैर जमानतीय | प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट |
Offence : ठगी के मकसद से जालसाजी
Punishment : 7 साल + जुर्माना
Cognizance : संज्ञेय
Bail : गैर जमानतीय
Triable : प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट
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IPC धारा 468 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आई. पी. सी. की धारा 468 के तहत क्या अपराध है?
आई. पी. सी. धारा 468 अपराध : ठगी के मकसद से जालसाजी
आई. पी. सी. की धारा 468 के मामले की सजा क्या है?
आई. पी. सी. की धारा 468 के मामले में 7 साल + जुर्माना का प्रावधान है।
आई. पी. सी. की धारा 468 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 468 संज्ञेय है।
आई. पी. सी. की धारा 468 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?
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आई. पी. सी. की धारा 468 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 468 गैर जमानतीय है।
आई. पी. सी. की धारा 468 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?
आई. पी. सी. की धारा 468 के मामले को कोर्ट प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।