धारा 465 आईपीसी - IPC 465 in Hindi - सजा और जमानत - कूटरचना के लिए दण्ड।

अपडेट किया गया: 01 Mar, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 465 का विवरण
  2. क्या होती है भारतीय दंड संहिता की धारा 465?
  3. भारतीय दंड संहिता की धारा 465 के आवश्यक तत्व
  4. धारा 465 के लिए सजा का प्रावधान
  5. धारा 465 में वकील की जरुरत क्यों होती है?
  6. धारा 465 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धारा 465 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 465 के अनुसार

जो कोई कूटरचना करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।


क्या होती है भारतीय दंड संहिता की धारा 465?

भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 465 किसी व्यक्ति द्वारा किये जाने वाले जालसाजी के अपराध के लिए एक अपराधी को दंड देने से सम्बंधित होती है, इस धारा के प्रावधानों के अनुसार जो भी कोई व्यक्ति भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 463 में वर्णित जालसाजी के अपराध को करेगा तो ऐसे व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 465 में उचित दंड देने का प्रावधान किया गया है, जिससे कोई भी व्यक्ति ऐसे अपराध को करने की सोच भी न सके।


भारतीय दंड संहिता की धारा 465 के आवश्यक तत्व

भारतीय दंड संहिता की धारा 465 में केवल जालसाजी के अपराध के लिए दंड का प्रावधान दिया गया है, और जालसाजी का अपराध क्या होता है, इस बिषय में भारतीय दंड संहिता की धारा 463 में इस अपराध की परिभाषा को विस्तार से समझाया गया है। इस धारा के आवश्यक तत्वों में यह दिया गया है, कि जो भी कोई व्यक्ति किसी फर्जी दस्तावेज, फर्जी हस्ताक्षर, इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख को या ऐसे दस्तावेज के किसी भी भाग को बदलने या उसमें कोई संसोधन करने का काम इस उद्देश्य से करता है, जिससे किसी व्यक्ति या सरकार को या कोई व्यक्ति को नुकसान या क्षति की जाए या किसी प्रकार के दावे, हक का समर्थन किया जा सके। इसके अतिरिक्त यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के साथ किये गए किसी संविदा या अनुबंध में कपट करने या सम्पति को अलग करने के उद्देश्य से कोई दस्तावेज बदलता है, तो वह अपराध जालसाजी का अपराध कहा जाता है।


धारा 465 के लिए सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 465 में भारतीय दंड संहिता की धारा 463 के प्रावधानों वर्णित जालसाजी का अपराध करने के लिए एक अपराधी को उचित दंड देने की व्यवस्था की गयी है। उस व्यक्ति को जिसने भारतीय दंड संहिता की धारा 465 के तहत अपराध किया है, उसे इस संहिता के अंतर्गत कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है, जिसकी समय सीमा को 2 बर्षों तक बढ़ाया जा सकता है, और इस अपराध में आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है, जो कि न्यायालय आरोप की गंभीरता और आरोपी के इतिहास के अनुसार निर्धारित करता है।


धारा 465 में वकील की जरुरत क्यों होती है?

एक कुशल और योग्य वकील की जरुरत तो सभी प्रकार के क़ानूनी मामले में होती है, क्योंकि एक वकील ही ऐसा व्यक्ति हो सकता है, जो न्यायालय में जज के समक्ष आपका उचित प्रतिनिधित्व कर सकता है। और वैसे भी भारतीय दंड संहिता में धारा 465 का अपराध बहुत ही गंभीर और बड़ा माना जाता है, क्योंकि इस धारा के अंतर्गत जालसाजी करने के अपराध की बात कही जाती है, जिसमें इस अपराध के दोषी को धारा 465 के अनुसार उस अपराध की सजा दी जाती है, जो अपराधी जालसाजी करने का अपराध करता है। ऐसे अपराध से किसी भी आरोपी का बच निकलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है, इसमें आरोपी को निर्दोष साबित कर पाना बहुत ही कठिन हो जाता है। ऐसी विकट परिस्तिथि से निपटने के लिए केवल एक वकील ही ऐसा व्यक्ति हो सकता है, जो किसी भी आरोपी को बचाने के लिए उचित रूप से लाभकारी सिद्ध हो सकता है, और अगर वह वकील अपने क्षेत्र में निपुण वकील है, तो वह आरोपी को उसके आरोप से मुक्त भी करा सकता है। और जालसाजी करने के अपराध जैसे मामलों में ऐसे किसी वकील को नियुक्त करना चाहिए जो कि ऐसे मामलों में पहले से ही पारंगत हो, और धारा 465 जैसे मामलों को उचित तरीके से सुलझा सकता हो। जिससे आपके केस को जीतने के अवसर और भी बढ़ सकते हैं।

Offence : जालसाजी


Punishment : 2 साल या जुर्माना या दोनों


Cognizance : गैर - संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट





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IPC धारा 465 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 465 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 465 अपराध : जालसाजी



आई. पी. सी. की धारा 465 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 465 के मामले में 2 साल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 465 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 465 गैर - संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 465 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

आई. पी. सी. की धारा 465 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।



आई. पी. सी. की धारा 465 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 465 जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 465 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 465 के मामले को कोर्ट प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।