धारा 461 आईपीसी - IPC 461 in Hindi - सजा और जमानत - ऐसे पात्र को, जिसमें संपत्ति है, बेईमानी से तोड़कर खोलना
अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा
धारा 461 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 461 के अनुसार जो कोई किसी ऐसे बंद पात्र को, जिसमें संपत्ति हो या जिसमें संपत्ति होने का उसे विश्वास हो, बेईमानी से या रिष्टि करने के आशय से तोड़कर खोलेगा या उपबंधित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा ।अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
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बेईमानी से खुले को तोड़ने या किसी भी बंद पात्र युक्त या संपत्ति को नियंत्रित करने के लिए माना जाता है | बेईमानी से खुले को तोड़ने या किसी भी बंद पात्र युक्त या संपत्ति को नियंत्रित करने के लिए माना जाता है | संज्ञेय | गैर जमानतीय | कोई भी मजिस्ट्रेट |
Offence : बेईमानी से खुले को तोड़ने या किसी भी बंद पात्र युक्त या संपत्ति को नियंत्रित करने के लिए माना जाता है
Punishment : बेईमानी से खुले को तोड़ने या किसी भी बंद पात्र युक्त या संपत्ति को नियंत्रित करने के लिए माना जाता है
Cognizance : संज्ञेय
Bail : गैर जमानतीय
Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट
IPC धारा 461 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आई. पी. सी. की धारा 461 के तहत क्या अपराध है?
आई. पी. सी. धारा 461 अपराध : बेईमानी से खुले को तोड़ने या किसी भी बंद पात्र युक्त या संपत्ति को नियंत्रित करने के लिए माना जाता है
आई. पी. सी. की धारा 461 के मामले की सजा क्या है?
आई. पी. सी. की धारा 461 के मामले में बेईमानी से खुले को तोड़ने या किसी भी बंद पात्र युक्त या संपत्ति को नियंत्रित करने के लिए माना जाता है का प्रावधान है।
आई. पी. सी. की धारा 461 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 461 संज्ञेय है।
आई. पी. सी. की धारा 461 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?
आई. पी. सी. की धारा 461 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।
आई. पी. सी. की धारा 461 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?
आई. पी. सी. की धारा 461 गैर जमानतीय है।
आई. पी. सी. की धारा 461 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?
आई. पी. सी. की धारा 461 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।