धारा 438 आईपीसी - IPC 438 in Hindi - सजा और जमानत - धारा 437 में वर्णित अग्नि या विस्फोटक पदार्थ द्वारा की गई कुचेष्टा के लिए दण्ड।

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

धारा 438 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 438 के अनुसार

जो कोई अग्नि या किसी विस्फोटक पदार्थ द्वारा ऐसी कुचेष्टा करेगा या करने का प्रयत्न करेगा, जैसे पूर्ववर्ती धारा 437 में वर्णित है, तो उसे आजीवन कारावास या किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही आर्थिक दण्ड से दण्डित किया जाएगा।

लागू अपराध
धारा 437 में वर्णित अग्नि या विस्फोटक पदार्थ द्वारा कुचेष्टा करना।
सजा - आजीवन कारावास या दस वर्ष कारावास और आर्थिक दण्ड।
यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।


भारतीय दंड संहिता की धारा 438

भारतीय दंड संहिता की धारा 438 के अनुसार, जो कोई अग्नि या किसी विस्फोटक पदार्थ द्वारा ऐसी कुचेष्टा करेगा या करने का प्रयत्न करेगा, जैसे पूर्ववर्ती धारा 437 में वर्णित है, तो उसे आजीवन कारावास या किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही आर्थिक दण्ड से दण्डित किया जाएगा।


क्या होती है भारतीय दंड संहिता की धारा 438?

भारतीय दंड संहिता की धारा 438 में इस संहिता की धारा 438 के तहत किये जाने वाले अपराध के लिए सजा का प्रावधान किया गया है, भारतीय दंड संहिता की धारा 437 के अनुसार, जो भी कोई व्यक्ति किसी तल्लायुक्त जलयान या बीस टन या उससे अधिक बोझ वाले जलयान को नष्ट करने या असुरक्षित बना देने के आशय से, या यह सभ्भाव्य जानते हुए कि वह तद्द्वारा उसे नष्ट करेगा, या असुरक्षित बना देगा, उस जलयान की कुचेष्टा करेगा, तो उस व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 437 के तहत अपराधी माना जायेगा और ऐसे व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 438 के तहत सजा दी जाएगी, और यह सजा कारावास के दंड के साथ - साथ आर्थिक दंड भी हो सकती है।


भारतीय दंड संहिता की धारा 438 के आवश्यक तत्व

भारतीय दंड संहिता की धारा 438 के आवश्यक तत्वों में यह है, कि जो भी कोई व्यक्ति अग्नि या किसी विस्फोटक पदार्थ द्वारा कोई ऐसी कुचेष्टा या नुकसान करेगा जो कि भारतीय दंड संहिता की धारा 437 में वर्णित है, तो ऐसा व्यक्ति भारतीय दंड संहिता की धारा 438 के अनुसार दंड का हकदार होगा।


भारतीय दंड संहिता की धारा 438 के अनुसार सजा का प्रावधान

उस व्यक्ति को जिसने भारतीय दंड संहिता की धारा 438 के तहत अपराध किया है, उसे इस संहिता के अंतर्गत कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है, ऐसे व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा दी जा सकती है, या इसके अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा हो सकती है, जिसकी समय सीमा को 10 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और इस अपराध में आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है, जो कि न्यायालय आरोप की गंभीरता और आरोपी के इतिहास के अनुसार निर्धारित करता है।


धारा 438 में वकील की जरुरत क्यों होती है?

भारतीय दंड संहिता में धारा 438 का अपराध बहुत ही गंभीर और बड़ा माना जाता है, क्योंकि इस धारा के अंतर्गत ऐसे व्यक्ति को सजा दी जाती है, जो भारतीय दंड संहिता की धारा 437 के तहत अग्नि या किसी या विस्फोटक पदार्थ द्वारा कुचेष्टा करता है, जिसमें इस अपराध के दोषी को धारा 438 के अनुसार उस अपराध की सजा दी जाती है, और इस धारा के अनुसार एक अपराधी को आजीवन कारावास की सजा तक हो सकती है। ऐसे अपराध से किसी भी आरोपी का बच निकलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है, इसमें आरोपी को निर्दोष साबित कर पाना बहुत ही कठिन हो जाता है। ऐसी विकट परिस्तिथि से निपटने के लिए केवल एक वकील ही ऐसा व्यक्ति हो सकता है, जो किसी भी आरोपी को बचाने के लिए उचित रूप से लाभकारी सिद्ध हो सकता है, और अगर वह वकील अपने क्षेत्र में निपुण वकील है, तो वह आरोपी को उसके आरोप से मुक्त भी करा सकता है। और अग्नि या किसी विस्फोटक पदार्थ द्वारा कुचेष्टा करने के अपराध करने जैसे मामलों में ऐसे किसी वकील को नियुक्त करना चाहिए जो कि ऐसे मामलों में पहले से ही पारंगत हो, और धारा 438 जैसे मामलों को उचित तरीके से सुलझा सकता हो। जिससे आपके केस को जीतने के अवसर और भी बढ़ सकते हैं।

Offence : आग या किसी विस्फोटक पदार्थ द्वारा किए जाने पर अंतिम खंड में वर्णित शरारत


Punishment : आजीवन कारावास या 10 साल + जुर्माना


Cognizance : संज्ञेय


Bail : गैर जमानतीय


Triable : सत्र न्यायालय





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IPC धारा 438 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 438 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 438 अपराध : आग या किसी विस्फोटक पदार्थ द्वारा किए जाने पर अंतिम खंड में वर्णित शरारत



आई. पी. सी. की धारा 438 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 438 के मामले में आजीवन कारावास या 10 साल + जुर्माना का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 438 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 438 संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 438 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

आई. पी. सी. की धारा 438 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।



आई. पी. सी. की धारा 438 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 438 गैर जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 438 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 438 के मामले को कोर्ट सत्र न्यायालय में पेश किया जा सकता है।