IPC 427 in Hindi - रिष्टि की धारा 427 में सजा और जमानत का प्रावधान

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

कभी-कभी आपके द्वारा किया गया एक छोटा सा मजाक या शरारत आपके लिए किसी बड़ी मुसीबत का कारण बन जाती है। जब हम अपने दोस्तों के साथ होते है तो कुछ ना कुछ मजाक मस्ती चलती रहती है लेकिन वही मजाक मस्ती कब सजा का रुप ले लेती है पता नहीं चलता। तो आज के आर्टिकल में हम एक ऐसी ही धारा के बारे में बात करेंगे कि आई. पी. सी की धारा 427 क्या है (IPC Section 427 in Hindi)। ये धारा कब और किस अपराध में लगती है? धारा 427 के मामले में सजा और जमानत कैसे मिलती है?

यह एक ऐसी IPC Section है जिसके बारे में बहुत ही कम लोगों को पता है लेकिन आमतौर पर इस धारा के तहत आने वाला अपराध हमारे देश में बहुत ज्यादा होता है और यदि कोई व्यक्ति इसकी शिकायत कराने थाने में जाता है तो पुलिस द्वारा किसी अन्य किसी धारा में केस दर्ज कर लिया जाता है इसलिए इसकी सही जानकारी होना बहुत जरुरी है इसलिए हमारे आज के लेख में हम इस रिष्टि की धारा से संबधित सारी आवश्यक जानकारी आपको देंगे। अगर आप इस आईपीसी सेक्शन 427 बारे में संपूर्ण जानकारी जानना चाहते है तो इस आर्टिकल को पुरा पढ़े।


धारा 427 क्या है कब लगती है – IPC 427 in Hindi

भारतीय दंड संहिता के अनुसार यदि कोई व्यक्ति रिष्टि करता है, रिष्टि का अर्थ है किसी को नुकसान या हानि पहुंचाना जिसे अंग्रेजी भाषा में Mischief कहा जाता है। रिष्टि का अपराध (mischief crime in Hindi) किसी व्यक्ति की चल-अचल संपत्ति या किसी अन्य संपत्ति को 50 रुपये या उससे अधिक का नुकसान (Loss) पहुँचाता है तो ऐसा करने वाले व्यक्ति पर आईपीसी धारा 427 के तहत मुकदमा (Court case) दर्ज कर कार्यवाही की जाती है। आइए इसे आसान भाषा में समझने का प्रयास करते है।

उदाहरण :- एक बार विशाल अपने दोस्तों के साथ घूमने चला जाता है वहाँ जाकर वो एक होटल में अपनी गाड़ी को पार्किंग में खड़ी कर देता है अगले दिन सुबह जब विशाल सो रहा होता है तो विशाल का एक दोस्त चुपचाप गाड़ी की चाबी उठाकर बिना विशाल को बताए, उसकी गाड़ी लेकर पास में ही चला जाता है लेकिन ज्यादा तेजी से चलाने के कारण वह उस गाड़ी को एक दीवार में मार देता है।

जिससे गाड़ी में बहुत ज्यादा नुकसान हो जाता है और वो विशाल की गाड़ी  को चुपचाप लाकर पार्किंग में खड़ी कर देता है जब विशाल कार के पास जाता है तो गाड़ी को देखकर परेशान हो जाता है कि किसने उसकी गाड़ी का ऐसा हाल किया तब वह पार्किंग के कैमरा से चैक करता है तो उसे अपने दोस्त का पता चलता है तब विशाल को बहुत गुस्सा आता है और वो अपने दोस्त के खिलाफ धारा 427 के तहत शिकायत दर्ज (Complaint Register) करा देता है।

जाने - दंगा करने पर कौन सी धारा लगती है?


IPC 427 के तहत अपराध को साबित करने वाली कुछ मुख्य बातें?

  • इरादा या ज्ञान:- आरोपी व्यक्ति (Accused Person) का इरादा किसी व्यक्ति कि संपत्ति को नुकसान पहुँचाने का होना चाहिए, या उसको अपने किए गए कार्यों द्वारा पता होना चाहिए कि उन कार्यों से किसी संपत्ति को नुकसान पहुँचाने की संभावना है।
  • संपत्ति:- इस अपराध में किसी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना शामिल है, जिसमें घर, वाहन, या कोई भी अन्य वस्तु शामिल हो सकती है।
  • क्षति पहुंचाना:- आरोपी ने किसी भी संपत्ति को तोड़ा होगा, नष्ट किया होगा या खराब किया होगा।
  • जानबूझकर या लापरवाही के कारण:- किसी भी संपत्ति को नुकसान पहुँचाने का कार्य आरोपी ने जानबूझकर किया होगा। या उनके द्वारा की गई लापरवाही (Negligence) के कारण वह नुकसान पहुँचा होगा।
  • राशि या कीमत:- आरोपी व्यक्ति द्वारा जिस भी संपत्ति को नुकसान पहुँचाया गया है उसके कारण हुए नुकसान की कीमत 50 रुपये या उससे ज्यादा की होनी चाहिए।


उदाहरण: यदि कोई कार में डेंट और खरोंच लगाकर उसे नुकसान पहुंचाता है, और मरम्मत की लागत पचास रुपये या उससे अधिक होने का अनुमान है, तो उन पर आईपीसी की धारा 427 के तहत आरोप लगाया जा सकता है।


धारा 427 में सजा – IPC 427 Punishment in Hindi

आईपीसी की धारा 427 यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को तंग करने के लिए उसकी किसी भी वस्तु का 50 रुपये से ज्यादा का नुकसान करता है तो ऐसे व्यक्ति पर धारा 427 के तहत मुकदमा दर्ज करके कार्यवाही की जाती है और अगर आरोपी कोर्ट द्वारा दोषी पाया जाता है तो रिष्टि का अपराध करनें के जुर्म में उसको 2 वर्ष तक की कारावास या जुर्माना (Fine) या फिर दोनों से भी दंडित किया जा सकता है।


आईपीसी धारा 427 में जमानत – IPC 427 is Bailable or Not?

आईपीसी की धारा 427 के तहत आने वाला यह अपराध एक गैर-संज्ञीय (Non Cognizable) श्रेणी मे आता है जोकि एक जमानतीय अपराध (bailable Crime) है इसमे आरोपी को आसानी से जमानत( Bail) मिल जाती है जोकि किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (Triable) होता है।

यदि आपसे कोई ऐसा अपराध (crime) हो जाता है और आप पर Section 427 के तहत कार्यवाही की जाती है तो आप पीड़ित व्यक्ति से बात करके व उसका जो भी नुकसान हुआ है वो भर कर उससे समझौता (Compromise) करके भी इस केस से निकल सकते है। यदि किसी अनुभवी वकील (lawyer) की आप सहायता लेते है तो वह आपकी ऐसे मामलों से जल्द से जल्द निकलने में मदद करेगा।


धारा 427 के तहत शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया?

यदि आप Section 427 के तहत शिकायत दर्ज करवाना चाहते है तो आप हमारे द्वारा बताए गई इस सामान्य प्रक्रिया का इस्तेमाल कर सकते है:-

  • सबसे पहले अपराध से संबंधित सभी जानकारी इकट्ठा करें जैसे घटना की तारीख, समय और स्थान, यदि आपको आरोपी का नाम पता है तो वो भी इसके साथ ही कोई भी जरुरी सबूत जैसे फोटो, वीड़ियों आदि।
  • इसके बाद अपने क्षेत्र के पुलिस स्टेशन जाए या ऑनलाइन इस अपराध की शिकायत (Compliant) करें।
  • शिकायत दर्ज करवाने के लिए पुलिस को वो सारी जानकारी दे जो आपने इकट्ठी की है।
  • शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस सभी सबूतों व गवाहों (Evidences & Witness) के आधार पर आरोपी व्यक्ति को पकड़ेगी और उस पर कार्यवाही करेगी।
  • इस प्रकार के मामलों में दोनों पक्षों के बीच समझौता (Compromise) भी किया जा सकता है इसलिए यदि आरोपी अपनी गलती मांग कर आपके हुए नुकसान के पैसे देता है तो आप इस मामले को आपसी समझौते से खत्म कर सकते है।
  • यदि आप ऐसा नहीं करते तो पुलिस आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र (Charge sheet) दायर करेगी और मामला कोर्ट में चला जाएगा।
  • ऐसे मामलों में कोर्ट की कार्यवाही के दौरान आपको एक वकील से परामर्श (Advice) लेने की सलाह दी जाती है।

IPC 427 से बचाव के लिए सावधानी रखने योग्य बातें

रिष्टि का अपराध एक ऐसा अपराध है जिसके बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं होने के कारण अपने लिए बनें कानूनों का पता नहीं होता और ऐसे अपराध को करने व होने से बचाव के तरीकों के बारे में भी नहीं पता होता। तो आइए आईपीसी सेक्शन 427 से बचाव के लिए कुछ जरुरी बातों के बारे में जानते है।

  • यदि हम किसी भी व्यक्ति की कीमती वस्तु को शरारत के इरादे से फेंक देते है या छिपा देते है और वह बाद में नहीं मिलती तो ऐसा करना एक अपराध माना जाता है जिसमें वह व्यक्ति आप पर आईपीसी धारा 427 के तहत कार्यवाही कर सकता है तो ऐसा करने से बचे।
  • किसी भी दोस्त या रिश्तेदार के आवश्यक दस्तावेजों को किसी ऐसे व्यकित को ना दे जो उनको कही गुम कर दे या फाड़ दे।
  • गुस्से मे भी किसी व्यक्ति के घर या गाड़ी के साथ कभी-भी तोड-फोड़ ना करें।
  • बिना अनुमति किसी की वस्तु को ना छुँए ना ही उसका स्थान बदले।
  • अगर आप किसी दोस्त की कार या बाइक इस्तेमाल करते है और उसमें कुछ टूट जाता है या कोई नुकसान हो जाता है तो तुरन्त अपने दोस्त से बताए और उस को ठीक कराने में जो भी खर्च आए वो जरुर दे।

फिर भी कभी ना चाहते हुए आप पर इस धारा के तहत मुकदमा दर्ज हो जाता है तो सबसे पहले तो किसी वकील की सहायता ले और जिसका नुकसान आपने किया है उस व्यकित को उस नुकसान की भरपाई कर समझौता करने की कोशिश करें। ऐसी ही आवश्यक बातों को समझकर ऐसे अपराधों को बढ़ावा देने से बचे। हमेशा जागरुक रहे और अपने परिवार वालों व मित्रों को भी जागरुक करें।

कुछ अन्य महतवपूर्ण धाराओं की जानकारी:

Offence : शरारत, और इस तरह 50 रुपये या ऊपर की राशि को नुकसान पहुंचा


Punishment : शरारत, और इस तरह 50 रुपये या ऊपर की राशि को नुकसान पहुंचा


Cognizance : गैर - संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट





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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल


आईपीसी की धारा 427 क्या है?

धारा 427 पचास रुपये या उससे अधिक की राशि के नुकसान पहुँचाने के अपराध के बारे में बताती है। इसमें पचास रुपये या उससे अधिक मूल्य की किसी भी संपत्ति, जैसे वाहन, भवन, या अन्य वस्तुओं को जानबूझकर नुकसान पहुंचाना शामिल है।


IPC Section 427 के तहत अपराध करने पर क्या सज़ा है?

धारा 427 के अनुसार रिष्टि के अपराध के दोषी पाये जाने वाले व्यक्ति को 2 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है। इसमें सजा की गंभीरता अपराध की प्रकृति व नुकसान पर निर्भर करती है।


क्या धारा 427 जमानतीय है?

हां, IPC 427 का यह अपराध एक जमानती अपराध होता है जिसमें आरोपी को जमानत आसानी से मिल जाती है।


क्या संपत्ति का मालिक सहमति देकर भी इस धारा के तहत किसी पर आरोप लगा सकता है?

नहीं, यदि कोई व्यक्ति खुद किसी दूसरे व्यक्ति को अपनी संपत्ति को नुकसान पहुँचाने की अनुमति देता है और बाद में उस पर आरोप लगाता है तो यह आईपीसी सेक्शन नहीं लागू होगा।


क्या आरोपी को उसी अपराध के लिए आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत उत्तरदायी ठहराया जा सकता है?

हाँ यदि आरोपी द्वारा किए गए कार्यों के द्वारा किसी व्यक्ति को चोट लग जाती है या चोट लगने की संभावना होती है तो भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराओं के तहत भी उस पर कार्यवाही की जा सकती है।