IPC 411 in Hindi - चोरी का सामान खरीदने की धारा 411 में सजा, जमानत

अपडेट किया गया: 01 Mar, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

दोस्तों हम सब जानते है चोरी करना एक अपराध है। लेकिन क्या आपको पता है कि जब चोर आपकी कोई वस्तु चुराता है और उसे किसी को बेच देता है तो उस मामले में चोरी करना तो अपराध माना ही जाता है लेकिन उसके साथ-साथ चोरी का सामान (Stolen property) खरीदना भी एक अपराध की श्रेणी में आता है। इसके बारें में हम में से बहुत से लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं होती और ना चाहते हुए भी ऐसा कोई अपराध कर बैठते है, इसलिए आज के लेख में हम जानेंगे आईपीसी के अंतर्गत आने वाले ऐसे ही एक कानून (Law) के बारे में कि धारा 411 क्या है (IPC Section 411 in Hindi), कब लगती है? इस धारा में सजा और जमानत कैसे मिलती है?

कभी-कभी कुछ पैसे बचाने के लालच में आकर किसी कीमती या महंगी वस्तु को सस्ते में पाने की इच्छा में बिना उसकी जांच पड़ताल किए खरीद लेते है लेकिन वो ही वस्तु बाद में हमारे लिए कैसे मुसीबत का कारण बन जाती है। इसी बात को समझने के लिए और आईपीसी सेक्शन 411 के बारे में सम्पूर्ण जानकारी विस्तार से जानेंगे तो इसलिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़े।


धारा 411 क्या है कब लगती है – IPC 411 in Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 411 के प्रावधान (provision) अनुसार जो कोई भी व्यक्ति किसी चुराई हुई संपत्ति को जाने-अनजाने में या पता होते हुए भी की वह चोरी की संपत्ति (stolen property) खरीदता है तो ऐसा करने वाले व्यक्ति पर IPC 411 के तहत मुकदमा दर्ज (court case) कर कार्यवाही की जाती है। आइये इसे सरल भाषा में समझने का प्रयास करते हैं।

यदि कोई व्यक्ति चोरी करता है तो वह उस वस्तु को बेचने के लिए किसी अन्य व्यक्ति के पास जाता है ताकि वो उस चोरी किए हुए सामान को बेच कर पैसे प्राप्त कर सके। लेकिन जो लोग उसी चोरी की वस्तु को बेईमानी में आकर कम पैसे में उस चोर से खरीदते है तो ऐसे लोग धारा 411 के तहत आरोपी बन जाते है।


IPC Section 411 अपराध का उदाहरण

 एक बार अमन अपने लिए iphone लेने की सोचता है लेकिन उसके पास इतने पैसे नहीं होते। तो उसे कही से पता चलता है कि उसी के शहर में एक जगह ऐसी है जहाँ चोरी के iphone बहुत कम पैसो में मिल जाते है यह सुनकर वो उसी मार्केट से फोन खरीदने चला जाता है उसे वहाँ बहुत ही कम पैसो में किसी और के द्वारा चोरी किया गया फोन मिल जाता है

लेकिन एक दिन उसे पता चलता है कि वो चोरी का फोन लेने के कारण पुलिस द्वारा पकड़ा जा सकता है तो वह ड़र जाता है और उसी फोन को कम पैसे में यह कहकर अपने दोस्त मोहित को बेच देता है कि उसे कोई दूसरा फोन लेना है तो मोहित भी कम पैसे में इतना महंगा फोन मिलता देख यह जाने बिना की वो एक चोरी का फोन है उसे ले लेता है लेकिन एक दिन पुलिस जांच करते हुए मोहित और अमन को अरेस्ट लेती है।

अमन यह पता होते हुए भी कि वो फोन चोरी का है फिर भी ले लेता है और मोहित अमन से जाने-अनजाने में बिना फोन के दस्तावेज देखे लालच में फोन खरीद लेता है इसी लिए दोनों पर ipc 411 के तहत कार्यवाही की जाती है।

जाने - धोखाधड़ी की धारा 420 में सजा और जमानत


चोरी की संपत्ति प्राप्त करने की धारा 411 को साबित करने वाली मुख्य बातें

भारतीय दंड संहिता की धारा 411 के तहत "बेईमानी से चोरी की संपत्ति प्राप्त करना"  के अपराध की मुख्य बातें इस प्रकार है।

  • चोरी की संपत्ति: विचाराधीन संपत्ति को चोरी या किसी अन्य आपराधिक तरीके से प्राप्त किया जाना चाहिए। इसका मतलब है कि संपत्ति को वैध मालिक (Legal owner) की सहमति के बिना या किसी कानूनी औचित्य के बिना ले लिया गया था।
  • ज्ञान या विश्वास करने का कारण: संपत्ति प्राप्त करने वाले व्यक्ति को यह विश्वास करने का ज्ञान या कारण होना चाहिए कि संपत्ति चोरी हो गई है। दूसरे शब्दों में, उन्हें उचित विश्वास होना चाहिए कि वे जो संपत्ति प्राप्त कर रहे हैं वह अवैध (Illegal) रूप से प्राप्त की गई है।
  • बेईमानी का इरादा: प्राप्तकर्ता के पास चोरी की संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करने या बनाए रखने का इरादा होना चाहिए। इसका मतलब यह है कि वे जानबूझकर संपत्ति को स्वीकार करते हैं या रखते हैं, यह जानते हुए कि यह चोरी हो गई है, इसके असली मालिक (Owner) को वंचित करने के इरादे से।

धारा 411 में सजा कितनी मिलती है – IPC 411 Punishment

आइपीसी की धारा 411 में सजा के प्रावधान अनुसार यदि कोई व्यक्ति बेईमानी या लालच में आकर यह पता होते हुए भी उस वस्तु को खरीद लेता है कि जिस वस्तु को वह खरीद रहा है वो चोरी की है (Dishonestly receiving stolen property) तो ऐसे व्यक्ति पर धारा 411 के तहत केस दर्ज कार्यवाही की जाती है और यदि आरोपी का अपराध सिद्ध हो जाता है तो न्यायालय (court) द्वारा ऐसा गैर-कानूनी कार्य करने के जुर्म (offence) में दोषी (guilty) व्यक्ति को 3 वर्ष तक की कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाता है।


IPC 411 में जमानत (Bail) कब और कैसे मिलती है

भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 411 का यह अपराध एक गंभीर अपराध माना जाता है जिसे कानूनी भाषा में संज्ञेय अपराध (Cognizable Crime) कहा जाता है इस अपराध के गैर-जमानतीय (Non-bailable) होने के कारण आरोपी को जमानत मिलना बहुत ही कठीन हो जाता है।

चोरी का सामान खरीदने के आरोपी को जमानत देनी है या नहीं उसका फैसला किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (Triable) होता है। जमानत पाने के लिए आरोपी किसी ऐसे वकील की सहायता से कानूनी सलाह (Legal Advice) ले सकते है जिसको कानून (Law) के हर पहलू की समझ हो।

वकील मजिस्ट्रेट के सामने जमानत की अपील दायर कर आपके सामाजिक व्यवहार और कार्यों को कोर्ट के सामने प्रस्तुत करके आपको जमानत दिलवाने में मदद कर सकता है। इसके अलावा आपके लिए पीड़ित पक्ष (जिसकी संपत्ति चोरी हुई है) से बात कर आपसी समझौता (compromise) करवाके भी आपको धारा 411 के केस व इसकी सजा से बचा (Punishment in IPC Section 411) सकता है

अपराध श्रेणी सजा जमानत समझौता विचारणीय
बेईमानी या लालच में आकर चोरी की संपत्ति लेना। संज्ञेय (Cognizable) 3 वर्ष तक की  जेल व जुर्माना। गैर- जमानतीय (Non bailable) यह अपराध समझौता करने योग्य है। किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट  द्वारा।

जाने - चोरी की धारा 379 में सज़ा और जमानत


IPC Section 411 के तहत शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया क्या है?

यदि आप इस अपराध से संबंधित किसी घटना के संबंध में शिकायत दर्ज (Complaint Register) करना चाहते हैं, तो आप नीचे दी गई शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया का पालन कर सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि कानूनी प्रक्रियाएं (Legal procedures) अलग-अलग हो सकती हैं, और विशिष्ट मार्गदर्शन के लिए वकील या स्थानीय अधिकारियों से Legal Advice लेने की सलाह दी जाती है।

  1. पुलिस स्टेशन से संपर्क करें: घटना क्षेत्र के अधिकार क्षेत्र के पास वाले पुलिस स्टेशन पर जाएँ जहाँ अपराध हुआ था या जहाँ चोरी (Theft) की संपत्ति प्राप्त हुई थी। घटना के बारे में सभी बातों का विस्तार से विवरण प्रदान दे, जिसमें अपराध की प्रकृति, चोरी की संपत्ति, और कोई जरुरी साक्ष्य या गवाह शामिल हैं।
  2. शिकायत दर्ज करें: पुलिस स्टेशन में अधिकारी से मिलें और आईपीसी 411 के तहत शिकायत दर्ज करने के बारे में बात करें। मामले के तथ्यों को बताते हुए एक लिखित शिकायत प्रदान करें, जिसमें चोरी की संपत्ति का विवरण, उसका मूल्य और पहचान योग्य कोई भी जानकारी शामिल हो।
  3. सहायक दस्तावेज़ प्रदान करें: यदि आपके पास कोई भी सहायक दस्तावेज़ है तो उसे सबमिट करें, जैसे कि फ़ोटोग्राफ़, रसीदें, स्वामित्व दस्तावेज़ (Ownership Document), या कोई अन्य साक्ष्य जो अपराध को साबित करने या चोरी की संपत्ति (Stolen property) के स्वामित्व को साबित (Prove) करने में मदद कर सकता है।
  4. जांच में सहयोग करें: पुलिस आपकी Complaint के आधार पर मामले की जांच शुरू कर सकती है। अतिरिक्त जानकारी प्रदान करके, उनके प्रश्नों का उत्तर देकर और आपके सामने आने वाले किसी भी अन्य साक्ष्य को देकर जांच अधिकारी (Investigation officer) के साथ सहयोग करें।
  5. कानूनी प्रक्रिया का पालन करें: Police अपनी जांच करेगी और आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त सबूत (Evidence) मिलने पर आरोपी के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई कर सकती है। जाँच अधिकारी के संपर्क में रहना, मामले की प्रगति पर नज़र रखना और अनुरोध की गई अतिरिक्त जानकारी प्रदान करना आवश्यक है।
  6. कानूनी सहायता: यदि आवश्यक हो तो आप एक वकील से परामर्श कर सकते हैं जो आपराधिक कानून (Criminal Law) में विशेषज्ञता रखता है। वे कानूनी कार्यवाही (Legal Action) में आपका मार्गदर्शन कर सकते हैं।

धारा 411 में बचाव के लिए सावधानियाँ रखने योग्य बातेँ

इस अपराध में आरोपी को तुरन्त पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने का प्रावधान होता है लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि आईपीसी 411 के तहत गिरफ्तार किया गया व्यक्ति हमेशा दोषी (Guilty) होता है, कुछ मामलों मे यह बदला लेने के कारण हो सकता है।

कभी-कभी कुछ लोग इस कानून का दुरुपयोग भी करते हैं और झूठे दावे (False claims) करते हैं ताकि दूसरे पक्ष को गिरफ्तार किया जा सके। तो इसलिए ऐसे मुकदमों से बचने के लिए आपका कुछ जरुरी बातों को जानना बहुत ही जरुरी है जिनकी मदद से आप अपना बचाव (Defence) कर सकते है।

  • सबसे पहली बात तो यह है कि आपको चोरी करने वाले लोगों से दूर रहना चाहिए या उनसे किसी भी तरह की वस्तु खरीदने से बचना चाहिए।
  • जानबूझकर ऐसी कोई संपत्ति प्राप्त न करें जिस पर आपको संदेह हो या चोरी होने का विश्वास हो।
  • सेकेंड-हैंड सामान या असामान्य रूप से सस्ती वस्तुओं के साथ लेन-देन करते समय सतर्क रहना आवश्यक है, क्योंकि वे चोरी हो सकते हैं।
  • ऐसी किसी भी संपत्ति को जानबूझकर अपने पास रखने से बचें जिसे बाद में पता चले कि चोरी की गई है। अगर आपको पता चलता है कि आपके पास मौजूद संपत्ति चोरी की गई है, तो आपको तुरंत पुलिस को सूचित करना चाहिए और अधिकारियों को सहयोग करना चाहिए।
  • यदि आप किसी से कोई चीज खरीदते है तो पहले उसके दस्तावेजों व अन्य जानकारियों के बारे में जरुर जांच पड़ताल करें।
  • बहुत बार हम किसी कीमती वस्तु को कम पैसे में खरीदने के चक्कर में पड़ जाते है जो की भविष्य में किसी बड़ी मुसीबत का कारण बन जाता है तो ऐसा करने से बचे।
  • यदि आप निर्दोष (innocent) है और जाने-अनजाने में कोई धोखा देकर आपको फंसा देता है तो घबराए नहीं बल्कि अपने अधिकारों को जान कर अपना बचाव करें।
  • IPC Section 411 के तहत पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद आप अपने लिए किसी काबिल वकील का चुनाव कर सकते है जो आपको निर्दोष साबित करने में मदद करेगा।
  • अगर व्यक्ति के पास से कोई चोरी की संपत्ति बरामद (recover) नहीं हुई है और गिरफ्तारी केवल संदेश के आधार पर की गई थी, तो आपका Lawyer रिमांड से बचने का आवेदन दायर कर सकता है जो आपको पुलिस की प्रताड़ना (Torture) से बचा सकता है।

यदि पुलिस आपको केवल संदेह के आधार पर धारा 411 के तहत गिरफ्तार (Arrest) करती है और गिरफ्तार व्यक्ति को रिहा करने के लिए रिश्वत (Bribe) मांगती है, तो आप इसकी शिकायत किसी उच्च पुलिस अधिकारी को करके अपना बचाव कर सकते है।

अगर पुलिस थाना प्रभारी को लगता है कि उनके पास आपको मजिस्ट्रेट के पास भेजने के लिए उपयुक्त सबूत नहीं है तो ऐसे हालात में वो आपको रिहा कर सकता है।

यदि आपको लगता है कि आपको कोई गलत तरीके से फँसाने की कोशिश कर रहा है, तो आप FIR को रद्द करने के लिए धारा 411 के तहत उच्च न्यायालय में रिट याचिका (writ petition) दायर कर अपना बचाव कर सकते है।


Offence : बेईमानी से चोरी की संपत्ति प्राप्त करने के लिए यह जानते हुए चोरी हो


Punishment : 3 साल या जुर्माना या दोनों


Cognizance : संज्ञेय


Bail : गैर जमानतीय


Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट





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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल


आईपीसी की धारा 411 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 411 चोरी की संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करने के अपराध से संबंधित है।


IPC 411 और IPC 420 में क्या अंतर है?

धारा 411 चोरी की संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करने से संबंधित है, जबकि IPC 420 धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी के अपराध से संबंधित है। जबकि Section 411 चोरी की संपत्ति को संभालने पर केंद्रित है, IPC 420 धोखाधड़ी गतिविधियों और धोखेबाज प्रथाओं से संबंधित है।


क्या धारा 411 को अचल संपत्तियों पर लागू किया जा सकता है?

नहीं, Section 411 विशेष रूप से चोरी की चल संपत्ति की बेईमानी से प्राप्ति से संबंधित है। IPC 411 के प्रावधान अचल संपत्तियों जैसे भूमि या भवन पर लागू नहीं होते हैं।


अगर संपत्ति का मूल्य एक निश्चित सीमा से कम है तो धारा 411 के लिए क्या सजा है?

यदि IPC 411 के मामले में चोरी की संपत्ति का मूल्य पाँच सौ रुपये से कम है, तो सजा तीन साल तक की कैद, या जुर्माना, या दोनों है।