धारा 385 आईपीसी - IPC 385 in Hindi - सजा और जमानत - ज़बरदस्ती वसूली के लिए किसी व्यक्ति को क्षति के भय में डालना।

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 385 का विवरण
  2. धारा 385 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धारा 385 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 385 के अनुसार जो भी कोई ज़बरदस्ती वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को क्षति पहुंचाने के भय में डालेगा या भय में डालने का प्रयत्न करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।

लागू अपराध
ज़बरदस्ती वसूली के लिए किसी व्यक्ति को क्षति के भय में डालना या भय में डालने का प्रयत्न करना।
सजा - दो वर्ष कारावास या आर्थिक दण्ड, या दोनों।
यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

Offence : जबरन वसूली करने के लिए, चोट के डर से डालने या प्रयास करना


Punishment : 2 साल या जुर्माना या दोनों


Cognizance : संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट





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IPC धारा 385 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 385 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 385 अपराध : जबरन वसूली करने के लिए, चोट के डर से डालने या प्रयास करना



आई. पी. सी. की धारा 385 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 385 के मामले में 2 साल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 385 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 385 संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 385 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

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आई. पी. सी. की धारा 385 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 385 जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 385 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 385 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।