IPC 380 in Hindi - धारा 380 क्या है कब लगती है - सज़ा जमानत और बचाव

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

चोरी एक ऐसा अपराध जिसको लेकर बहुत सारे नियम कानून (Rules & laws) बनाए गए है, लेकिन फिर भी इसके रोजाना नए-नए मामले देखने व सुनने को मिल ही जाते है। ऐसे अपराधों को रोकने के लिए बनाए गए जरुरी कानूनों की जानकारी हम आपकों समय-समय पर अपने लेखों द्वारा देते रहते है। आज के इस लेख में भी हम भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत आने वाली एक और महत्वपूर्ण कानूनी धारा के बारे में विस्तार से जानेंगे की धारा 380 क्या है (IPC Section 380 in Hindi)? ये धारा कब लगती है? IPC 380 में सजा और जमानत (Bail) कैसे मिलती है?

जिस प्रकार से समय बदलता जा रहा है उसी प्रकार से अपराधियों द्वारा चोरी (Theft) करने के तरीकों में भी बदलाव होता जा रहा है। ऐसे ही अपराधियों को सजा देने के लिए हमारे देश के कानून द्वारा चोरी के अपराध से संबंधित बहुत सी धारा बनाई गई है। जिनके बारे में बहुत ही कम जानकारी होने के कारण, ऐसे घटना होने पर अकसर लोग विचलित हो जाते है। आज के लेख में हम इसी विषय की संपूर्ण जानकारी IPC Section 380 के जरिए आपको बहुत ही सहज भाषा में देंगे। इसलिए इस लेख को अंत तक जरुर पढ़े।

धारा 380 क्या है कब लगती है – IPC 380 in Hindi

आईपीसी की धारा 380 आवास गृहों, टेंटों, के रूप में उपयोग किए जाने वाले जहाजों और संपत्ति की सुरक्षा के लिए बनाई गई है जो इमारतों के भीतर चोरी के बारे में बताती है। इस धारा के तहत जो कोई भी व्यक्ति किसी इमारत, तंबू, जहाज, या इंसान के रहने वाली कोई जगह या किसी सामान को सुरक्षित रखने वाली जगह जैसे:- गोदाम आदि में चोरी करता है। उस व्यक्ति पर धारा 380 के तहत मुकदमा दर्ज (Case filled) कर सजा देने के लिए आगे की कार्यवाही की जाती है।

सरल शब्दों में, कहे तो यदि कोई व्यक्ति किसी इमारत, तंबू या जहाज से कुछ चुराता है जिसका उपयोग मानव आवास (वह स्थान जहां लोग रहते हैं) या संपत्ति की सुरक्षा के लिए किया जाता है। ऐसा अपराध करने वाले व्यक्ति पर इस IPC Section 380 के तहत कार्यवाही की जाती है।

चोरी का मतलब क्या होता है?

"चोरी" किसी भी व्यक्ति की सहमति के बिना, उससे उसकी कोई भी वस्तु या संपत्ति प्राप्त कर लेना या उससे बिना बताए अपने कब्जे में कर लेना चोरी कहलाती है।

जाने - चोरी का सामान खरीदने की धारा 411 में सजा


आईपीसी धारा 380 के अपराध से संबधित मुख्य बिंदु

चोरी से संबंधित धारा 380 के अपराध को साबित करने वाली मुख्य बातें इस प्रकार हैं:-

  • चोरी का कार्य:- इस धारा के किसी व्यक्ति पर लागू किए जाने के लिए आरोपी के द्वारा चोरी का कार्य किया जाना चाहिए।
  • स्थान:- चोरी कुछ विशेष स्थानों पर होनी चाहिए, जिसमें शामिल हैं:-
  • भवन:- इसका अर्थ है ऐसी जगह जो इंसान के रहने या किसी कार्य में उपयोग के लिए बनाई गई हो।
  • तम्बू:- एक अस्थायी आश्रय (Temporary Shelter) जिसे कुछ समय रहने के लिए बनाया जाता है।
  • जहाज़:- एक जहाज, नाव, या अन्य जलयान।

जिस स्थान पर चोरी होती है उसका उपयोग या तो मानव आवास (Human Habitation) के रूप में किया जाना चाहिए या संपत्ति की सुरक्षा के लिए किया जाना चाहिए। मानव आवास वह स्थान है जहाँ लोग रहते हैं, जैसे घर या अपार्टमेंट। चोरी ऐसे स्थान पर भी हो सकती है जहां संपत्ति संग्रहीत (Stored) या सुरक्षित की जाती है।


IPC Section 380 अपराध उदाहरण

शर्मा जी कई वर्षों से अपने एक घर में रह रहे थे। एक दिन शर्मा जी अपने परिवार के साथ एक सप्ताह के लिए छुट्टी पर कही घूमने चले गए और अपना घर अकेला छोड़ दिया था। इसी दौरान पड़ोस में रहने वाले राज नाम के शख्स ने देखा कि मिस्टर शर्मा का घर खाली है। इसलिए एक दिन राज चोरी करने के इरादे से शर्मा जी के घर में घुस गया।

उसने घर में घुसने क लिए खिड़की तोड़कर गैरकानूनी तरीके से प्रवेश किया। इसके साथ ही अंदर जाकर, राज ने घर में तोड़फोड़ शुरू कर दी और गहने, इलेक्ट्रॉनिक्स और नकदी सहित मूल्यवान सामान चुरा लिया। उसके बाद वो वहाँ से सारा सामान लेकर भाग गया। जब शर्मा जी को पता चला तो उन्होनें घर में चोरी होने की शिकायत पुलिस में कर दी। कुछ दिन बाद पुलिस जाँच कर राज को पकड़ लेती है और उस के खिलाफ धारा 380 के तहत कार्यवाही करती है।

धारा 380 में सजा – IPC 380 Punishment in Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 380 के तहत जो जो कोई भी व्यक्ति किसी आवास गृह, इमारत या जहाज में चोरी करने का दोषी (Guilty) पाया जाता है। तो उसे 7 साल तक की कारावास (Imprisonment) की सजा दी जा सकती है। इसके साथ ही दोषी व्यक्ति को अदालत द्वारा निर्धारित किया गया जुर्माना भी देना पड़ सकता है।


IPC 380 के तहत जमानत कब और कैसे मिलती है

आईपीसी की धारा 380 आवासीय घरों और इसी तरह की संरचनाओं में चोरी से संबंधित है, और यह एक संज्ञेय श्रेणी (Cognizable) का अपराध होता है। जिसे गैर-जमानती अपराध ((Non-Bailable) भी माना जाता है। इसलिए इस प्रकार के मामलों में आरोपी को जमानत (Bail) मिलने में काफी परेशानियों के सामना करना पड़ सकता है।

हालाँकि, अदालत कुछ परिस्थितियों में जमानत देने के लिए अपने विवेक का प्रयोग कर सकती है। अदालत आरोपी के आपराधिक इतिहास, भागने की संभावना, सबूतों के कमी जैसी कुछ आवश्यक बातों को देखते हुए जमानत के लिए विचार कर सकती है। IPC 380 का यह अपराध किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (Triable) होता है। इसके अलावा यह अपराध समझौते के योग्य नहीं है।

जाने - आईपीसी 457 में सजा और जमानत


धारा 380 के अपराध से संबंधित अन्य कुछ महत्वपूर्ण धाराएं

  • IPC Section 379 – चोरी:- यह सैक्शन साधारण चोरी के अपराध से संबंधित है, जिसमें किसी और की संपत्ति को उसके मालिक की सहमति के बिना बेईमानी से लेना शामिल है।
  • IPC Section 381 - क्लर्क या नौकर द्वारा चोरी:- धारा 381 विशेष रूप से क्लर्क, नौकर या कर्मचारी द्वारा चोरी करने के अपराध के बारे में बताती है। यदि कोई कर्मचारी उन्हें सौंपी गई संपत्ति चुराता है, तो उस पर यह धारा लागू होती है, और सजा एक साधारण चोरी (Simple Theft) के मामले की तुलना में अधिक गंभीर हो सकती है।
  • IPC Section 384 - जबरन वसूली (Extortion) के लिए सजा: Section 384 जबरन वसूली के लिए सजा को बताती है।, जिसमें कारावास की सजा भी शामिल हो सकती है।
  • IPC Section 389 - किसी व्यक्ति को जबरन वसूली करने के लिए चोट के डर में डालना: इसमें किसी व्यक्ति को जबरन वसूली करने के लिए चोट के डर में डालने के कार्य के बारे में बताया गया है। यह जबरन वसूली और चोरी दोनों से संबंधित है।
  • IPC Section 390 - डकैती: डकैती में चोरी और चोरी करने के लिए बल या हिंसा का उपयोग शामिल है। यह साधारण चोरी से भी अधिक गंभीर अपराध है।

Offence : एक इमारत, तम्बू या पोत में चोरी


Punishment : 7 साल + जुर्माना


Cognizance : संज्ञेय


Bail : गैर जमानतीय


Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट





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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल


आईपीसी की धारा 380  क्या है?

IPC 380 के अनुसार जो भी व्यक्ति मानव आवास के रुप में इस्तेमाल होने वाली इमारत, तंबू या जहाज में चोरी करता है। उसे व्यक्ति पर इस धारा के तहत कार्यवाही की जाती है।



IPC Section 380 के तहत चोरी क्या है?

किसी और की संपत्ति को स्थायी रूप से बिना उसके मालिक की सहमति के उससे वंचित या दूर कर देना चोरी कहलाती है।  



भारतीय दंड संहिता की धारा 380 के तहत चोरी की सज़ा क्या है?

सैक्शन 380 के तहत चोरी का दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को 7 साल तक की जेल की सजा हो सकती है इसके साथ ही उन्हें जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।



क्या IPC 380 ही एकमात्र धारा है जो चोरी से संबंधित है?

नहीं, आईपीसी में अन्य धाराएं भी हैं जो चोरी और संबंधित अपराधों को संबोधित करती हैं। उदाहरण के लिए, धारा 379 साधारण चोरी से संबंधित है, जबकि धारा 381 क्लर्क या नौकर द्वारा की गई चोरी से संबंधित है।



चोरी की धारा 380 जमानती या गैर-जमानती हैं?

आईपीसी 380 के तहत आने वाले अपराध को संज्ञेय यानि गंभीर अपराध माना जाता है और इसीलिए यह एक गैर-जमानती धारा है।