IPC 366 in Hindi - धारा 366 क्या हैं? सज़ा, जमानत और बचाव

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

महिलाओं के अधिकारों व हितों की सुरक्षा करना देश के सभी लोगों का कर्तव्य है, लेकिन आज भी बहुत से लोग ऐसे है जो महिलाओं के साथ जबरदस्ती व मनमानी करते है। आज भी बिना उनकी सहमति के उन्हें मजबूर किया जाता है कुछ ऐसे कार्य करने को जो किसी भी प्रकार से उस महिला के हित में नहीं होते। आज हम भारतीय दंड संहिता की एक बहुत ही उपयोगी धारा के बारे में आपको जानकारी देंगे कि धारा 366 क्या है? ये धारा कब लगती है? IPC 366 में सजा, जमानत और बचाव का क्या प्रावधान है?

जो किसी लड़की या महिला को मजबूर करते है, जबरदस्ती शादी करने के लिए या बिना उनकी सहमति के संबंध बनाने के लिए; ऐसे लोगों को किस कानून (Law) के अंतर्गत सजा (Punishment) दी जाती है। इसी विषय पर IPC Section 366 के हमारे इस लेख द्वारा हम आप सभी को विस्तृत जानकारी देंगे। इसलिए इस लेख को पूरा पढ़े व देश की सभी महिलाओं को उनके अधिकारों (Rights) के प्रति जागरुक करें।

धारा 366 क्या है कब लगती है – IPC 366 in Hindi

आई पी सी की धारा 366 किसी महिला को उसकी इच्छा के विरुद्ध शादी करने, यौन संबंध (Sexual Relations) बनाने या किसी गैरकानूनी गतिविधि (Illegal Activity) में शामिल होने के लिए मजबूर करने के इरादे से अपहरण (Kidnapping) करने के अपराध को बताती है। IPC Section 366 का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना है, और यह सुनिश्चित करना है कि उन पर किसी भी प्रकार का दबाव न डाला जाए।

इसलिए धारा 366 के तहत ऐसे व्यक्ति को सजा दी जाती है, जो व्यक्ति किसी महिला को बिना उसकी मर्जी के शादी करने के लिए अपहरण करता है। या किसी महिला को अवैध संभोग करने के लिए को मजबूर करता है या बहकाता है।



आईपीसी धारा 366 के अपराध को लागू करने वाली मुख्य बातें?

आईपीसी धारा 366 की मुख्य बातें इस प्रकार हैं:-

  • अपहरण:- यह धारा किसी महिला के अपहरण के कार्य से संबंधित है। इसलिए आरोपी किसी महिला को उसकी मर्जी के खिलाफ कोई भी कार्य करवाने के लिए मजबूर करता है तो उस पर कार्यवाही की जाएगी।
  • महिला:- इस मामले में पीड़िता एक महिला होनी चाहिए। IPC Section 366 का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा करना है।
  • शादी के लिए मजबूर करना: आरोपी व्यक्ति का इरादा (Intention) महिला को उस शादी के लिए मजबूर करने का होना चाहिए जो वह नहीं चाहती।
  • उसकी सहमति के बिना:- कार्य महिला की सहमति (Consent) के बिना किया जाना चाहिए।

इसके अलावा यदि वो व्यक्ति उस महिला की सहमति के बिना अन्य कोई भी गलत कार्य करने के लिए मजबूर करता है तो उस पर भारतीय दंड संहिता की धारा 366 के तहत कार्यवाही की जाती है।


इस धारा के तहत अपराध का एक उदाहरण

एक छोटे से गाँव में मीरा नाम की एक युवती अपने परिवार के साथ रहती थी। राज नाम का एक लड़का जो मीरा को जानता था, कई महीनों से उस पर अपने साथ शादी करने का दबाव बना रहा था। लेकिन, मीरा ने कई बार उससे शादी करने से मना कर दिया था क्योंकि वह उनसे शादी नहीं करना चाहती थीं।

एक शाम को जब मीरा बाज़ार से घर लौट रही थी, तब राज और उसके दोस्तों ने उसे जबरन कार में खींच लिया और उसे अपने साथ ले गए। वे उसे उसकी इच्छा के विरुद्ध एक सुनसान स्थान पर ले गए। राज ने मीरा को धमकी देते हुए कहा कि अगर वह तुरंत उससे शादी करने के लिए राजी नहीं हुई तो वह उसे नुकसान पहुंचाएगा और उसके परिवार की इज्जत को भी खराब कर देगा।

मीरा का परिवार इस घटना से बहुत डर गया। जिसके बाद उसके परिवार वालो ने राज व उसके दोस्तों की पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए राज और उसके साथियों के खिलाफ मामला दर्ज (Case Registered) किया और अन्य संबंधित धाराओं के अलावा IPC की Section 366 भी लगा दी।


धारा 366 में सजा – IPC 366 Punishment in Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 366 में सजा के प्रावधान (Provision) के तहत बताया गया है, कि जो भी व्यक्ति किसी महिला को उसकी सहमति के बिना विवाह करने के लिए मजबूर करने का अपराध करता है। उसे न्यायालय द्वारा दोषी (Guilty) पाये जाने पर 10 साल की कैद व जुर्माने की सजा से दंडित (Punished) किया जाता है।


IPC 366 में जमानत कब और कैसे मिलती है

आईपीसी की धारा 366 में जमानत मिलना आरोपी व्यक्ति के लिए बहुत ही मुश्किल हो जाता है। क्योंकि यह एक संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) होता है, जिसका मतलब है कि यह एक गंभीर अपराध है। इस अपराध की गंभीरता को देखते हुए ही IPC 366 को एक गैर-जमानती (Non-Bailable) धारा की श्रेणी में रखा गया है।

धारा 366 का यह अपराध सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय (Triable) होता है, और यह किसी भी प्रकार से समझौते के लायक नहीं होता। यदि किसी व्यक्ति को कोई महिला झूठे आरोप (False blame) लगाकर फंसाती है तो वो व्यक्ति अपने वकील की सहायता से अपने निर्दोष होने के सबूत (Evidence) दिखाकर न्यायालय से जमानत की मांग कर सकता है।


IPC की धारा 366 से संबंधित अन्य धाराएं

  • IPC Section 363 - अपहरण: यह अपहरण के अपराध से संबंधित है, जहां किसी भी व्यक्ति का अपहरण किया जाता है इसमें पुरुषों और महिलाओं दोनों को शामिल किया गया है।
  • IPC Section 363A - भीख मांगने के लिए नाबालिग का अपहरण या अपंग करना: यह सैक्शन किसी नाबालिग का अपहरण या अपहरण करने और नाबालिग को भीख मांगने के लिए इस्तेमाल करने के इरादे से चोट पहुंचाने या अपंग करने से संबंधित है।
  • IPC Section 366A - नाबालिग लड़की को खरीदना:- इसमें गैरकानूनी यौन संबंध के लिए नाबालिग लड़की को खरीदने के अपराध के बारे में बताया गया है। इसमें यौन उद्देश्यों (Sexual motives) के लिए नाबालिग लड़की को बहलाना-फुसलाना, जबरदस्ती करना शामिल है।
  • IPC Section 366B - किसी दूसरे देश से लड़की का आयात: इसमें किसी अवैध संभोग के उद्देश्य से, किसी लड़की को विदेशी देश से आयात (Import) करने के जुर्म से संबंधित है।

ये सभी IPC Sections महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए बनाई गई है। इन सभी के बारे में देश की सभी महिलाओं को जानकारी होना बहुत ही आवश्यक है।

Offence : किसी महिला को उसकी शादी के लिए मजबूर करने या उसकी अशुद्धि आदि का कारण बनाने के लिए अपहरण या अपहरण करना


Punishment : 10 साल + जुर्माना


Cognizance : संज्ञेय


Bail : गैर जमानतीय


Triable : सत्र न्यायालय





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IPC धारा 366 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 366 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 366 अपराध : किसी महिला को उसकी शादी के लिए मजबूर करने या उसकी अशुद्धि आदि का कारण बनाने के लिए अपहरण या अपहरण करना



आई. पी. सी. की धारा 366 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 366 के मामले में 10 साल + जुर्माना का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 366 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 366 संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 366 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

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आई. पी. सी. की धारा 366 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 366 गैर जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 366 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 366 के मामले को कोर्ट सत्र न्यायालय में पेश किया जा सकता है।