IPC 363 in Hindi - व्यपहरण की धारा 363 में सजा जमानत और बचाव

अपडेट किया गया: 01 Mar, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

दोस्तों आपने भी कभी ना कभी व्यपहरण शब्द के बारे में सुना जरुर होगा, उस समय आपके मन में भी जरुर ये सवाल आया होगा की भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत आने वाला यह कौन सा अपराध है, आज हम व्यपहरण अपराध के लिए लगने वाली धारा 363 की धारा के बारें में पूरी जानकारी आपको सरल भाषा में देंगे। आज हम जानेंगे की आईपीसी की धारा 363 क्या होती है, IPC 363 में कितनी सजा (Punishment for abduction) होती है? इस आईपीसी सेक्शन में जमानत (Bail) कैसे मिलती है?

हमने आज के इस आर्टिकल में व्यपहरण की कानूनी धारा से संबधित सभी बिन्दुओं को आसान शब्दों में आपको बताने का प्रयास किया है, तो अगर आप IPC Section 363 के बारें में विस्तार से जानना चाहतें है तो इस लेख को पूरा पढ़े।


व्यपहरण और अपहरण में क्या अंतर होता है?

धारा 363 के बारें में समझने से पहले आपको व्यपहरण और अपहरण के बीच के अंतर को समझना होगा। वैसे तो दोनों शब्दों का अर्थ अंग्रेजी भाषा में किडनेपींग जैसा होता है लेकिन दोनों में जो अंतर होता है वह समझना बहुत जरुरी है आइए सबसे पहले उसे समझते है।

  • व्यपहरण:- 18 वर्ष से कम आयु के नाबालिग बच्चों व विकृतचित्त व्यक्ति (मानसिक अयोग्यता से पीडित व्यक्ति) को अगर कोई अगवा कर लेता है तो वह व्यपहरण (kidnapping) कहलाता है।
  • अपहरण :- अपहरण 18 वर्ष से अधिक किसी भी आयु के महिला या पुरुष का किया जा सकता है इसलिए वह अपहरण (Abduction) कहलाता है।

धारा 363 क्या है - IPC Section 363 in Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 363 के प्रावधान अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी मानसिक रुप से अयोग्य व्यक्ति या किसी 18 वर्ष से कम आयु के लड़का या लड़की को बहला-फुसला कर उनके माता-पिता के संरक्षण (Protection) से दूर कर देता है या भारत की सीमा से बाहर भेज देता है तो ऐसा Crime करने वाले व्यक्ति पर IPC Section 363 के तहत मुकदमा दर्ज (Case Register) कर कार्यवाही की जाती है। आइए इसे एक उदाहरण द्वारा आसान भाषा में समझने का प्रयास करते है।



IPC Section 363 के अपराध का उदाहरण

एक बार राहुल नाम का एक 16 वर्ष का लड़का था वह रोजाना 2 बजे स्कुल से घर आता था। कुछ दिन पहले राहुल की पिता का किसी के साथ प्रोपर्टी को लेकर झगड़ा हो गया था। एक दिन राहुल रोजाना की तरह स्कुल से घर आ रहा था अचानक वही दो व्यक्ति उसके पास आये जिनका राहुल के पिता के साथ झगडा हुआ था और बोले की राहुल तुम्हारे पापा का ऐक्सिडेंट हो गया है और उनको बहुत ज्यादा चोट लगी है हम तुम्हे उनके पास ले जाने आए है यह सुनकर राहुल उनकी बात पर विश्वास कर लेता है और उनके साथ चला जाता है।

ऐसे वे राहुल को अगवा कर लेते है। तब राहुल के पिता पुलिस में शिकायत करते है और जिसके साथ झगड़ा हुआ था उनका नाम बता देते है तब पुलिस उनकी Complaint पर ipc 363 के तहत FIR दर्ज कर लेती है।



आईपीसी सेक्शन 363 कब लगता है - मुख्य तत्व

आईपीसी धारा 363 के प्रमुख तत्व इस प्रकार से है:-

यह धारा तब लागू होती है जब कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध या उसे हिरासत में लेने या कैद करने के कानूनी अधिकार के बिना अवैध रूप से अपने साथ ले जाता है या साथ ले जाने के लिए फुसलाता है।

  • उनकी इच्छा के विरुद्ध: इस कार्य में किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध ले जाना या फुसलाना शामिल है। इसका मतलब है कि पीड़ित ने ले जाने या हिरासत में लेने के लिए अपनी सहमति नहीं दी थी।
  • वैध अधिकार के बिना: धारा निर्दिष्ट करती है कि अपहरण का कार्य वैध अधिकार के बिना किया जाना चाहिए। इसका मतलब यह है कि ऐसा करने वाले व्यक्ति के पास पीड़ित को लेने या हिरासत में लेने का कोई कानूनी अधिकार (Legal Rights) नहीं है।
  • इरादा: अपराधी का Kidnapping करने का इरादा होना चाहिए। इसका तात्पर्य यह है कि कार्य जानबूझकर किया गया है, और अपराधी को अपराध करने की जानकारी और इच्छा थी।
  • नजरबंदी का स्थान: धारा नजरबंदी के लिए किसी विशेष स्थान को निर्दिष्ट नहीं करती है। अपहरण के कार्य में व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध किसी भी स्थान पर ले जाना शामिल हो सकता है।

धारा 363 में सजा कितनी होती है - IPC 363 Punishment

आईपीसी की धारा 363 के तहत अगर कोई व्यक्ति किसी मानसिक रोगी व्यकित या 18 वर्ष से कम उम्र के किसी बच्चे को बहला फुसला कर अगवा कर लेता है तो बच्चे के माता-पिता की शिकायत के बाद पुलिस द्वारा पकडें जाने पर उसे न्यायालय (Court) में पेश किया जाता है अगर आरोपी (Accused) को न्यायलय द्वारा व्यपहरण का दोषी (Guilty) पाया जाता है तो दोषी व्यक्ति IPC 363 के अंतर्गत को 7 वर्ष की कारावास व आर्थिक जुर्माना लगाया जाता है।

यह ध्यान देने योग्य है कि यदि व्यपहरण या अपहरण से पीड़ित की मृत्यु हो जाती है या गंभीर चोट लगती है, तो आरोपी को आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत बढ़ाए गए दंड (Punishment) का सामना करना पड़ सकता है।


IPC 363 में जमानत (Bail) कैसे मिलती है

आईपीसी की धारा 363 एक संज्ञेय अपराध (Cognizable Crime) की श्रैणी में आता है लेकिन यह एक जमानतीय अपराध (Bailable Offence) होता है जिसमें आरोपी को जमानत मिल तो सकती है लेकिन न्यायालय पहले केस की गंभीरता को देखते हुए जमानत के फैसले पर विचार करती है अगर आरोपी द्वारा अगवा करने के साथ-साथ कोई अन्य अपराध भी किया गया है तो उसकी जमानत याचिका (Bail Plea) को Court खारीज कर देगा।

लेकिन अगर आरोपी का केस ज्यादा गंभीर नहीं है या ज्यादा उलझा हुआ नहीं है तो उसे कोर्ट द्वारा जमानत मिल जाती है। यह प्रथम श्रैणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (Triable) होता है। ऐसे केसों में एक होनहार वकील की बहुत बड़ी भूमिका रहती है। क्योंकि एक वकील ही आपको सही रास्ता दिखाएगा यदि आप निर्दोष (Innocent) है तो वह आपको निर्दोष भी साबित करने के लिए हर मुमकिन कोशिश करेगा।


धारा 363 के तहत व्यपहरण व अपहरण की शिकायत कैसे दर्ज करें

Indian Penal Code की धारा 363 के तहत शिकायत दर्ज करने के लिए आप इन सामान्य चरणों का पालन कर सकते हैं:

  • पुलिस स्टेशन से संपर्क करें: अपने नजदीकी Police Station या उस क्षेत्र के अधिकार क्षेत्र वाले पुलिस स्टेशन पर जाएँ जहाँ घटना हुई थी।
  • आवश्यक जानकारी प्रदान करें: जब आप पुलिस स्टेशन पहुंचें तो घटना के संबंध में सभी प्रासंगिक विवरण (Relevant Details) प्रदान करें। पीड़ित का नाम, उम्र, पता और कोई भी अन्य पहचान संबंधी विवरण जैसी जानकारी प्रदान करें।
  • स्टेटमेंट और सिग्नेचर: कंप्लेंट लिखने के बाद आपसे साइन करने के लिए कहा जाएगा। इसकी सटीकता सुनिश्चित करने के लिए Complaint को ध्यान से पढ़ें। यदि किसी परिवर्तन की आवश्यकता है, तो हस्ताक्षर करने से पहले आवश्यक संशोधनों का अनुरोध करें। पुलिस द्वारा आपका बयान भी दर्ज किया जा सकता है, इसलिए घटना के बारे में अपना विवरण देने के लिए तैयार रहें।
  • शिकायत की एक प्रति प्राप्त करें: शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस से प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) की एक प्रति माँगें। प्राथमिकी शिकायत के आधिकारिक रिकॉर्ड (Official Record) के रूप में कार्य करती है।

आईपीसी धारा 363 से बचाव के लिए जरुरी बातें

आजकल किडनैपिंग जैसे केस दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे है रोजाना न्युज में बहुत सारी जगह बच्चों के चोरी होने की खबरें मिलती है। लेकिन एक ऐसा केस जो इस धारा में देखने को सबसे ज्यादा मिलता है कि कोई लड़का लड़की एक दूसरे से प्यार करते है तो लड़की अगर 18 वर्ष से कम की है और लड़का 18 वर्ष से ज्यादा का है तो अक्सर दैखा जाता है कि लड़की अगर खुद की मर्जी से भी लड़के के साथ भाग जाती है तो लड़की के माता पिता की शिकायत के बाद जब पुलिस दोनों को पकड़ लेती है तो लड़के पर धारा 363 के तहत लड़की को बहला फुसलाकर भगा ले जाने की कार्यवाही की जाती है। तो ऐसे मामलों में फंसने से बचना चाहिए।आइए कुछ और जरुरीं बातों को भी जान लेते है।

  • कभी भी किसी बच्चे को बिना उसके माता-पिता की अनुमति के कही ले जानें से बचे।
  • अगर आप किसी लड़की से प्यार करते है और वो नाबालिग है तो उसे कभी भी कही ना लेके जाएं।
  • किसी से बदला लेने के इरादे से या किसी को डराने के इरादे से उनके बच्चों को छिपाने जैसा अपराध कभी ना करेँ।

अगर आप निर्दोष है और आप पर धारा 363 के तहत मुकदमा दर्ज हो जाता है तो सबसे पहले किसी अच्छे वकील से कानूनी सहायता (Legal Advice) लें। और जिस अपराध का आप पर आरोप लगाया गया है उस दिन आप कहा और किसके साथ थे ऐसी बातों का जरुर ध्यान रखें क्योंकि यह आपको निर्दोष साबित करने में बहुत मदद करेगा।

तो ये कुछ जरुरी बातें है जिनका ख्याल रखकर व्यपहरण जैसे अपराधों से बचाव किया जा सकता है व इस तरह के अपराध की जानकारी लोगों को देकर हमारे देश में हो रहे बच्चो को अगवा करने के अपराध को कम किया जा सकता है।

Offence : अपहरण


Punishment : 7 साल + जुर्माना


Cognizance : संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट





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IPC धारा 363 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 363 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 363 अपराध : अपहरण



आई. पी. सी. की धारा 363 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 363 के मामले में 7 साल + जुर्माना का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 363 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 363 संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 363 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

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आई. पी. सी. की धारा 363 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 363 जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 363 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 363 के मामले को कोर्ट प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।