धारा 354 आईपीसी - IPC 354 in Hindi - सजा और जमानत - स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 354 का विवरण
  2. धारा 354 का विवरण
  3. भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के आवश्यक तत्व
  4. धारा 354 मामले में मुकदमे की प्रक्रिया क्या है?
  5. धारा 354 में वकील की आवश्यकता क्यों होती है?
  6. धारा 354 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धारा 354 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के अनुसार

जो भी कोई किसी स्त्री की लज्जा भंग करने या यह जानते हुए कि ऐसा करने से वह कदाचित
उसकी लज्जा भंग करेगा के आशय से उस स्त्री पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करता है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जो कम से कम एक वर्ष होगी और जिसे 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही वह आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा।^
^ आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013

लागू अपराध
स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना
सजा - 1 से 5 वर्ष कारावास + आर्थिक दंड
यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

छेड़-छाड़ से सम्बन्धित आई.पी.सी की धारा मे नए संशोधन किये गए है, उनसे जुड़े हुए कई अपराधों को गैर-जमानती अपराधों की श्रेणी मे ड़ाला गया है। संशोधन से पहले छेड़-छाड़ के मामलों मे धारा 354 के तहत मुकदमे दर्ज होते थे और एसे मामलों मे दोषी पाये जाने व्यक्ति को 2 साल कारावास की सजा का प्रावधान था जो की एक जमानती अपराध था। संशोधन के बाद धारा 354 में कई उप-धाराएं जोड़ी गई है जैसे की धारा 354-ए, 354-बी, 354-सी और 354-ड़ी, जिनके तहत न्यूनतम 1 साल और अधिकतम 5 साल कारावास का प्रावधान है।


धारा 354 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 354 का इस्तेमाल ऐसे मामलों में किया जाता है, जहां किसी व्यक्ति ने किसी महिला की मर्यादा और मान सम्मान को क्षति पहुंचाने के लिए उस पर हमला किया गया हो या उसके साथ गलत मंशा के साथ जोर जबरदस्ती की हो तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जो कम से कम एक वर्ष और अधिकतम 5 साल हो सकती है साथ ही वह आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा।

*आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 के अनुसार।

धारा 354-ए (यौन उत्पीड़न)

  • किसी महिला को गलत या दुर्भावनापूर्ण इरादे से छूना जिसमें स्पष्ट यौन प्रस्ताव शामिल हैं

  • किसी महिला की सहमति के बिना जबरन अश्लील या सेक्सुअल सामग्री दिखाना।

  • मैथुन(सेक्स) के लिए मांग या अनुरोध।

  • किसी महिला पर अभद्र या कामुक टिप्पणियाँ करना।


धारा 354-ए के तहत लागू अपराध
सजा - 1 से 3 वर्ष कठोर कारावास + जुर्माने से दंडित किया जाएगा।
यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

धारा 354-बी (निवस्त्र करने के आशय से किसी स्त्री पर हमला करना या बल का प्रयोग करना)
जब कोई व्यक्ति किसी स्त्री को बलपूर्वक निवस्त्र होने के लिए मजबूर करता है या उसे निर्वस्त्र होने के लिए उकसाता है तो उसपे धारा 354-बी के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है।

धारा 354-बी के तहत लागू अपराध
सजा - 3 से 7 वर्ष कठोर कारावास + जुर्माने से दंडित किया जाएगा।
यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

धारा 354-सी (दृश्यरतिकता/वोयेरिशम)
कोई पुरुष, जो प्राइवेट कार्य में संलग्न स्त्री को उन परिस्थितियों में देखता है या उसका चित्र खींचता है, जहां उसे सामान्यता या तो अपराधी द्वारा या अपराधी की पहल पर किसी अन्य व्यक्ति द्वारा देखे न जाने की प्रत्याशा होगी, या ऐसे चित्र को प्रसारित करता है तो उसपे धारा 354-सी के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है।

धारा 354-सी के तहत लागू अपराध
सजा – पहली बार दोषी पाये जाने पर 1 से 3 वर्ष कारावास दूसरी बार दोषी पाये जाने पर 7 वर्ष कारावास + जुर्माने से दंडित किया जाएगा
यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

धारा 354-डी (पीछा करना)
जो कोई पुरूष किसी स्त्री का पीछा किसी गलत इरादे से करता है या किसी के लिये करता है अथवा इंटरनेट, ई-मेल या इलेक्ट्रॉनिक संसूचना के माध्यम निगरानी करता है तो उसपे धारा 354-डी के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है।

धारा 354- डी के तहत लागू अपराध
सजा – पहली बार दोषी पाये जाने पर 1 से 3 वर्ष कारावास दूसरी बार दोषी पाये जाने पर 5 वर्ष कारावास + जुर्माने से दंडित किया जाएगा
यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।


भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के आवश्यक तत्व

भारतीय दंड संहिता की धारा 354 किसी महिला के साथ किये जाने वाले आपराधिक बल का प्रयोग करके उसकी लज्जा को नष्ट करने या उस स्त्री पर हमले करने से सम्बन्धित होती है, इसलिए इस धारा के आवश्यक तत्वों में केवल यह ही है कि यदि वह व्यक्ति किसी महिला पर आपराधिक बल का प्रयोग करेगा या उस पर हमला करेगा तो उस व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के प्रावधानों द्वारा दण्डित किया जाता है।


धारा 354 मामले में मुकदमे की प्रक्रिया क्या है?

आईपीसी की धारा 354 के तहत स्थापित एक मामले के लिए परीक्षण प्रक्रिया किसी भी अन्य आपराधिक मामले के समान है। प्रक्रिया निम्नलिखित है:

  1. प्रथम सूचना रिपोर्ट: दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 के तहत, एक प्राथमिकी या प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की जाती है। एफआईआर मामले को गति देती है। एक एफआईआर किसी को (व्यथित) पुलिस द्वारा अपराध करने से संबंधित जानकारी दी जाती है।

  2. जांच: एफआईआर दर्ज करने के बाद अगला कदम जांच अधिकारी द्वारा जांच है। जांच अधिकारी द्वारा तथ्यों और परिस्थितियों की जांच, साक्ष्य एकत्र करना, विभिन्न व्यक्तियों की जांच, और लिखित में उनके बयान लेने और जांच को पूरा करने के लिए आवश्यक अन्य सभी कदमों के द्वारा निष्कर्ष निकाला जाता है, और फिर उस निष्कर्ष को पुलिस या मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया जाता है।

  3. चार्ज: यदि पुलिस रिपोर्ट और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों पर विचार करने के बाद आरोपी को छुट्टी नहीं दी जाती है, तो अदालत आरोपों के तहत आरोपित करती है, जिसके तहत उस पर मुकदमा चलाया जाना है। एक वारंट मामले में, लिखित रूप से आरोप तय किए जाने चाहिए।

  4. जुर्म कबूलने का अवसर : सीआरपीसी की धारा 241, 1973 दोषी की याचिका के बारे में बात करती है, आरोपों के निर्धारण के बाद अभियुक्त को जुर्म कबूलने का अवसर दिया जाता है, और यह सुनिश्चित करने के लिए न्यायाधीश के साथ जिम्मेदारी निहित है कि अपराध की याचिका थी स्वेच्छा से बनाया गया। न्यायाधीश अपने विवेक से आरोपी को दोषी करार दे सकता है।

  5. अभियोजन साक्ष्य: आरोप तय किए जाने के बाद, और अभियुक्त दोषी नहीं होने की दलील देता है, तो अदालत को अभियोजन पक्ष को अभियुक्त के अपराध को साबित करने के लिए सबूत पेश करने की आवश्यकता होती है। अभियोजन पक्ष को अपने गवाहों के बयानों के साथ उसके साक्ष्य का समर्थन करना आवश्यक है। इस प्रक्रिया को "मुख्य रूप से परीक्षा" कहा जाता है। मजिस्ट्रेट के पास किसी भी व्यक्ति को गवाह के रूप में समन जारी करने या किसी भी दस्तावेज का उत्पादन करने का आदेश देने की शक्ति है।

  6. अभियुक्त का बयान: आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 313 से अभियुक्त को मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को सुनने और समझाने का अवसर मिलता है। शपथ के तहत अभियुक्तों के बयान दर्ज नहीं किए जाते हैं और मुकदमे में उनके खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है।

  7. प्रतिवादी साक्ष्य: अभियुक्त को ऐसे मामले में अवसर दिया जाता है, जहां उसे उसके मामले का बचाव करने के लिए बरी नहीं किया जाता है। रक्षा मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्य दोनों का उत्पादन कर सकती है। भारत में, चूंकि सबूत का बोझ अभियोजन पक्ष पर है, सामान्य तौर पर, बचाव पक्ष को कोई सबूत देने की आवश्यकता नहीं है।

  8. निर्णय: अभियुक्त को दोषमुक्त या दोषी ठहराए जाने के समर्थन में दिए गए कारणों के साथ अदालत द्वारा निर्णय दिया जाता है। यदि अभियुक्त को बरी कर दिया जाता है, तो अभियोजन पक्ष को अदालत के आदेश के खिलाफ अपील करने का समय दिया जाता है।


धारा 354 में वकील की आवश्यकता क्यों होती है?

भारतीय दंड संहिता में धारा 354 का अपराध बहुत ही गंभीर और बड़ा माना जाता है, क्योंकि इस धारा में किसी स्त्री की लज्जा भंग करने के उद्देश्य से उस महिला के साथ आपराधिक बल का प्रयोग करना या उस स्त्री पर हमला करने के अपराध किया जाता है, और इस अपराध के लिए अपराधी को धारा 354 के अंतर्गत उस व्यक्ति को सजा दी जाती है। ऐसे अपराध से किसी भी आरोपी का बच निकलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है, इसमें आरोपी को निर्दोष साबित कर पाना बहुत ही कठिन हो जाता है। ऐसी विकट परिस्तिथि से निपटने के लिए केवल एक वकील ही ऐसा व्यक्ति हो सकता है, जो किसी भी आरोपी को बचाने के लिए उचित रूप से लाभकारी सिद्ध हो सकता है, और अगर वह वकील अपने क्षेत्र में निपुण वकील है, तो वह आरोपी को उसके आरोप से मुक्त भी करा सकता है। और किसी व्यक्ति द्वारा किसी महिला की इज्जत को नष्ट करने के उद्देश्य से उस महिला के साथ आपराधिक बल का प्रयोग करने के लिए या उस महिला पर हमला करने का अपराध जैसे मामलों में ऐसे किसी वकील को नियुक्त करना चाहिए जो कि ऐसे मामलों में पहले से ही पारंगत हो, और धारा 354 जैसे मामलों को उचित तरीके से सुलझा सकता हो। जिससे आपके केस को जीतने के अवसर और भी बढ़ सकते हैं।

  • अनुभाग का वर्गीकरण
  • स्त्री की शालीनता का बखान करना

Offence : हमला या उसके शील नाराजगी के इरादे से महिला को आपराधिक बल का उपयोग


Punishment : 1 से 5 साल + जुर्माना


Cognizance : संज्ञेय


Bail : गैर जमानतीय


Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट





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IPC धारा 354 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 354 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 354 अपराध : हमला या उसके शील नाराजगी के इरादे से महिला को आपराधिक बल का उपयोग



आई. पी. सी. की धारा 354 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 354 के मामले में 1 से 5 साल + जुर्माना का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 354 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 354 संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 354 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

आई. पी. सी. की धारा 354 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।



आई. पी. सी. की धारा 354 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 354 गैर जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 354 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 354 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।