धारा 334 आईपीसी - IPC 334 in Hindi - सजा और जमानत - प्रकोपन पर स्वेच्छया क्षति करना

अपडेट किया गया: 01 Mar, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 334 का विवरण
  2. धारा 334 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धारा 334 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 334 के अनुसार जो भी कोई गम्भीर और अचानक प्रकोपन द्वारा स्वेच्छा पूर्वक क्षति कारित करेगा, यदि न तो उसका ऐसा आशय है और न ही वह जानता है कि वह उस व्यक्ति जिसने प्रकोपन दिया था के अलावा किसी भी व्यक्ति को संभवतः क्षति कारित करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास, जिसे एक महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या पांच सौ रुपए तक का आर्थिक दण्ड, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।

लागू अपराध
गम्भीर और अचानक प्रकोपन से स्वेच्छा पूर्वक उस व्यक्ति को जिसने प्रकोपन दिया हो के अलावा किसी भी व्यक्ति को क्षति न पहुँचाने के आशय से क्षति पहुँचाना।
सजा - एक महीने कारावास या पांच सौ रुपए आर्थिक दण्ड या दोनों।
यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी मेजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध पीड़ित व्यक्ति (जिसे क्षति पहुँचाई गयी) द्वारा समझौता करने योग्य है।

Offence : स्वेच्छा से गंभीर और अचानक उत्तेजना पर चोट के कारण, व्यक्ति जो उत्तेजना दिया के अलावा किसी और को चोट करने का इरादा नहीं


Punishment : 1 महीना या जुर्माना या दोनों


Cognizance : गैर - संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट





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IPC धारा 334 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 334 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 334 अपराध : स्वेच्छा से गंभीर और अचानक उत्तेजना पर चोट के कारण, व्यक्ति जो उत्तेजना दिया के अलावा किसी और को चोट करने का इरादा नहीं



आई. पी. सी. की धारा 334 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 334 के मामले में 1 महीना या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 334 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 334 गैर - संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 334 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

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आई. पी. सी. की धारा 334 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 334 जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 334 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 334 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।