धारा 333 आईपीसी - IPC 333 in Hindi - सजा और जमानत - लोक सेवक को अपने कर्तव्यों से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छया घोर क्षति कारित करना।

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

धारा 333 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 333 के अनुसार

जो भी कोई किसी ऐसे व्यक्ति को, जो लोक सेवक होने के नाते अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहा हो अथवा इस आशय से कि उस व्यक्ति को, या किसी अन्य लोक सेवक को वैसे लोक सेवक के नाते उस व्यक्ति द्वारा अपने कर्तव्य के विधिपूर्ण निर्वहन में की गई या किए जाने के प्रयास के परिणास्वरूप स्वेच्छया घोर क्षति कारित करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास से दण्डित किया जाएगा जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से दण्डित किया जाएगा, और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा।

लागू अपराध
लोक सेवक को अपने कर्तव्यों से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छया घोर क्षति कारित करना।
सजा - दस वर्ष कारावास + आर्थिक दण्ड।
यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।


क्या होती है भारतीय दंड संहिता की धारा 333?

भारतीय दंड संहिता की यह धारा किसी लोक सेवक के साथ हुई घोर उपहति से सम्बंधित है, इस धारा के प्रावधानों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक को जो कि अपनी ड्यूटी पर है, और तब वह व्यक्ति उस लोक सेवक के साथ किसी प्रकार की घोर उपहति करने का कारण बनता है, तो ऐसे व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता की धारा 333 के प्रावधानों के अनुसार दण्डित किया जाता है।


घोर उपहति क्या होती है?

किसी प्रकार की उपहति की केवल निचे लिखी गयी अवस्थाओं में ही "घोर उपहति" कही जा सकती है

  1. पुंसत्वहरण

  2. दोनों में से किसी नेत्र की दृष्टी का स्थायी विच्छेद

  3. दोनों में से किसी भी कान की श्रवण शक्ति का स्थायी विच्छेद

  4. किसी भी अंग या जोड़ का स्थायी विच्छेद

  5. किसी भी अंग या जोड़ की शक्ति का नाश या स्थायी विच्छेद

  6. सर या चेहरे का स्थायी विद्रुपिकरण

  7. अस्थि या दांत का भंग या विसंधान

  8. कोई उपहति जो जीवन को संकटापन्न करती है या जिसके कारण उपहत व्यक्ति बीस दिन तक तीव्र शारीरिक पीड़ा में रहता है , या अपने मामूली कामकाज को करने में असमर्थ रहता है।


भारतीय दंड संहिता की धारा 333 के लिए आवश्यक तत्व

इस धारा के आवश्यक तत्वों में केवल यह ही है, कि जिस व्यक्ति के साथ ऊपर दी गयी अवस्थाओं की उपहति हुई है, जिसे घोर उपहति कहा जाता है, वह व्यक्ति कोई लोक सेवक होना चाहिए और घोर उपहति के घटित होने के समय वह अपनी ड्यूटी पर होना चाहिए।


धारा 333 के लिए सजा का प्रावधान

उस व्यक्ति को जिसने भारतीय दंड संहिता की धारा 333 के तहत अपराध किया है, उसे इस संहिता के अंतर्गत कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है, जिसकी समय सीमा को 10 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और इस अपराध में आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है, जो कि न्यायालय आरोप की गंभीरता और आरोपी के इतिहास के अनुसार निर्धारित करता है।


धारा 333 में वकील की जरुरत क्यों होती है?

भारतीय दंड संहिता में धारा 333 का अपराध बहुत ही गंभीर और बड़ा माना जाता है, क्योंकि इस धारा के अंतर्गत अपने देश के किसी लोक सेवक के साथ घोर उपहति करने का मामला बनता है, जिसमें इस अपराध के दोषी को धारा 333 के अनुसार उस अपराध की सजा दी जाती है, जो अपराधी देश के किसी लोक सेवक जो कि अपनी ड्यूटी पर है, के साथ घोर उपहति करने का कारण बनता है। ऐसे अपराध से किसी भी आरोपी का बच निकलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है, इसमें आरोपी को निर्दोष साबित कर पाना बहुत ही कठिन हो जाता है। ऐसी विकट परिस्तिथि से निपटने के लिए केवल एक वकील ही ऐसा व्यक्ति हो सकता है, जो किसी भी आरोपी को बचाने के लिए उचित रूप से लाभकारी सिद्ध हो सकता है, और अगर वह वकील अपने क्षेत्र में निपुण वकील है, तो वह आरोपी को उसके आरोप से मुक्त भी करा सकता है। और ड्यूटी पर किसी लोक सेवक के साथ घोर उपहति का अपराध करने के अपराध करने जैसे मामलों में ऐसे किसी वकील को नियुक्त करना चाहिए जो कि ऐसे मामलों में पहले से ही पारंगत हो, और धारा 333 जैसे मामलों को उचित तरीके से सुलझा सकता हो। जिससे आपके केस को जीतने के अवसर और भी बढ़ सकते हैं।

Offence : स्वेच्छा से अपने कर्तव्य से लोक सेवक को रोकने के लिए गंभीर चोट के कारण


Punishment : 10 साल + जुर्माना


Cognizance : संज्ञेय


Bail : गैर जमानतीय


Triable : सत्र न्यायालय





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IPC धारा 333 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 333 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 333 अपराध : स्वेच्छा से अपने कर्तव्य से लोक सेवक को रोकने के लिए गंभीर चोट के कारण



आई. पी. सी. की धारा 333 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 333 के मामले में 10 साल + जुर्माना का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 333 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 333 संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 333 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

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आई. पी. सी. की धारा 333 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 333 गैर जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 333 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 333 के मामले को कोर्ट सत्र न्यायालय में पेश किया जा सकता है।