धारा 316 आईपीसी - IPC 316 in Hindi - सजा और जमानत - ऐसे कार्य द्वारा जो गैर-इरादतन हत्या की कोटि में आता है, किसी सजीव अजात शिशु की मॄत्यु कारित करना।

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 316 का विवरण
  2. धारा 316 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धारा 316 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 316 के अनुसार जो कोई ऐसा कोई कार्य ऐसी परिस्थितियों में करेगा कि यदि वह तद्द्वारा मॄत्यु कारित कर देता, तो वह आपराधिक मानव वध का दोषी होता और ऐसे कार्य द्वारा किसी सजीव अजात शिशु को मुत्यु कारित करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से दण्डित किया जाएगा, और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा।

लागू अपराध
ऐसे कार्य द्वारा जो गैर-इरादतन हत्या की कोटि में आता है, किसी सजीव अजात शिशु की मॄत्यु कारित करना।
सजा - दस वर्ष कारावास + आर्थिक दण्ड।
यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

Offence : सदोष मानव वध की राशि वाले अधिनियम द्वारा एक त्वरित अजन्मे बच्चे की मौत का कारण


Punishment : 10 साल और जुर्माना


Cognizance : संज्ञेय


Bail : गैर जमानतीय


Triable : सत्र न्यायालय





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IPC धारा 316 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 316 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 316 अपराध : सदोष मानव वध की राशि वाले अधिनियम द्वारा एक त्वरित अजन्मे बच्चे की मौत का कारण



आई. पी. सी. की धारा 316 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 316 के मामले में 10 साल और जुर्माना का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 316 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 316 संज्ञेय है।



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आई. पी. सी. की धारा 316 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 316 गैर जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 316 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 316 के मामले को कोर्ट सत्र न्यायालय में पेश किया जा सकता है।