IPC 312 in Hindi - गर्भपात की धारा 312 में सज़ा, जमानत और बचाव की जानकारी

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

दोस्तों आज के लेख में हम बात करेंगे भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत आने वाली IPC की धारा 312 के बारे में कि धारा 312 क्या है, ये धारा कब लगती है? IPC Section 312 के मामले में सजा कितनी और जमानत कैसे मिलती है। इस आर्टिकल के जरिए हम गर्भपात (Abortion) जैसे अपराध के लिए भारतीय कानून की इस धारा से जुड़ी सारी महत्वपूर्ण जानकारी आपको देंगे। अगर आप इस आईपीसी सेक्शन के बारे में सम्पूर्ण जानकारी विस्तार से जानना चाहते है तो इस आर्टिकल को पूरा अंत तक पढ़े।

हमारे देश में गर्भपात के मामले बहुत बार देखने व सुनने को मिलते है। गर्भपात कब करवाना चाहिए? क्या एबॉर्शन करवाना अपराध माना जाता है? आज हम आपको इस विषय के आईपीसी सेक्शन 312 से जुड़ी सभी जानकारी बहुत ही साधारण भाषा में देंगे।

आईपीसी धारा 312 क्या है – IPC Section 312 in Hindi

आईपीसी की धारा 312 के अनुसार जो भी व्यक्ति किसी गर्भवती स्त्री (Pregnant Woman) का उसकी इच्छा से गर्भपात करवाता है। यदि इस प्रकार का गर्भपात उस स्त्री का जीवन बचाने या किसी नेक नियती से ना किया गया हो तो एबॉर्शन कराने वाली महिला व उसकी मदद करने वाले दोनों पर IPC Section 312 के तहत मुकदमा दर्ज (Case Register) कर कार्यवाही की जाती है।


IPC 312 को लागू करने वाली मुख्य बातें

  • जानबूझकर किया गया कार्य:- आरोपी ने जानबूझकर (Intentionally) कोई कार्य किया होगा। इस अधिनियम में गर्भपात कराने के इरादे से किसी भी पदार्थ का सेवन करना, किसी भी साधन का उपयोग करना या बल (Force) का उपयोग करना शामिल हो सकता है।
  • गर्भवती महिला: यह कार्य उस महिला पर किया जाना चाहिए जो गर्भवती है।
  • गर्भावस्था चरण: अपराध गर्भधारण (Pregnancy) के समय से लेकर पूर्ण अवधि के पूरा होने तक गर्भावस्था के किसी भी चरण पर लागू होता है। इसमें सभी गर्भधारण को शामिल किया गया है, चाहे महिला गर्भावस्था के शुरुआती चरण में हो या पूर्ण अवधि के करीब हो।
  • गर्भावस्था की जानकारी: आरोपी को महिला की गर्भावस्था की जानकारी होना जरूरी नहीं है। यदि कार्य जानबूझकर किया गया है और इससे गर्भपात हो जाता है, तो आरोपी पर Section 312 के तहत आरोप लगाया जा सकता है।
  • स्वैच्छिकता: कार्य स्वेच्छा से और Abortion कराने के इरादे से किया जाना चाहिए। अनैच्छिक कार्य (Involuntary Action) या दुर्घटनाएं (Accidents) जिनके परिणामस्वरूप गर्भपात होता है, इस धारा के अंतर्गत नहीं आएंगी।
  • गर्भपात का कारण: इस कृत्य से गर्भावस्था समाप्त हो जानी चाहिए, जिसके परिणामस्वरूप गर्भपात हो सकता है। एबॉर्शन तब होता है जब भ्रूण (Fetus) को अस्तितव में सक्षम होने से पहले ही गर्भपात करा दिया जाता है।
  • सहमति: गर्भवती महिला की सहमति इस IPC Section के तहत बचाव नहीं है। भले ही महिला इस कार्य के लिए सहमति देती हो, अगर इसके परिणामस्वरूप गर्भपात हो जाता है, तब भी आरोपी पर आरोप लगाया जा सकता है और उसे दोषी (Guilty) ठहराया जा सकता है।

गर्भवती महिला कितने समय तक कानूनी रुप से गर्भपात करवा सकती है?

अकसर महिलाएं इस सवाल का जवाब को खोजती रहती है कि गर्भवती होने के कितने दिन बाद गर्भपात करवाया जा सकता है। इसलिए हम आपके इस सवाल का विस्तार से जवाब देंगे।

भारत मे एमटीपी एक्ट 1971 द्वारा गर्भपात के लिए कुछ नियम बनाए गए है। एमटीपी जिसकों मेड़िकल टर्मिनेशन आफ प्रेग्नेंसी कहा जाता है, जिसके अनुसार विवाहित महिलाओं को कानून रुप से एबॉर्शन कराने के लिए 20 हफ्तों के अंदर कराने का कानून बनाया गया है। परन्तु 2021 मे इस कानून मे संशोधन किया गया है, संशोधन के बाद गर्भपात कराने के समय को 20 हफ्तों से बढा कर 24 हफ्ते तक कर दिया गया है।

इस एक्ट के अनुसार पहले केवल विवाहित महिलाओं (Married Women) को ही Abortion कराने का अधिकार प्राप्त था, लेकिन 2021 में किए गए संशोधन के बाद नाबालिग, लिव इन मे रहने वाली महिला व अविवाहित महिला को भी गर्भपात का अधिकार इस एक्ट द्वारा दिया गया है।


आईपीसी सेक्शन 312 के अपराध का उदाहरण

एक दिन राहुल को पता चलता है कि उसकी प्रेमिका गर्भवती हो गई है। इस बात को सुनकर राहुल बहुत घबरा जाता है, क्योंकि उन दोनों की अभी तक शादी नहीं हुई थी। राहुल व उसकी प्रेमिका घर वालो के डर से उस बच्चे का गर्भपात करवाने का फैसला करते है। इसलिए राहुल अपनी प्रेमिका को एक डाक्टर के पास लेकर जाता है, और अपनी प्रेमिका का गर्भपात करवा देता है।

इस एबॉर्शन की शिकायत कोई पुलिस में कर देता है, जिसके बाद पुलिस राहुल व उसकी प्रेमिका पर IPC 312 के तहत मुकदमा दर्ज कार्यवाही करती है। पुलिस उस डाक्टर के खिलाफ भी राहुल की मदद करने के आरोप में कार्यवाही करती है।

धारा 312 में सजा कितनी मिलती है – IPC 312 Punishment

भारतीय दंड संहिता की धारा 312 में दंड के बारे में बताते हुए कहा गया है कि यदि कोई गर्भवती स्त्री खुद की इच्छा से अपना गर्भपात करवाती है। यदि गर्भ में बच्चे के अंग नहीं बने हो तब Abortion करवाती है तो धारा 312 के तहत उसको 3 वर्ष तक की जेल व जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।

यदि गर्भवती महिला गर्भवती होने के 7 या 8 महीने बाद Abortion करवाती है तो उस महिला पर व उसकी मदद करने वाले व्यक्ति को 7 वर्ष तक की जेल व जुर्माने (Fine) से दंडित किया जा सकता है।


आईपीसी धारा 312 में जमानत (Bail) का प्रावधान

IPC की धारा 312 का गर्भपात करवाने का यह अपराध एक गैर-संज्ञेय अपराध (Cognizable offence) की श्रेणी में आता है। जिसमें पुलिस बिना किसी अनुमति के कार्यवाही कर सकती है। यह एक जमानतीय अपराध (Bailable Offence) होता है जिसमें आरोपी को जमानत मिल जाती है। इस तरह के मामले प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय (Triable) होते है।


मानव शरीर व जीवन को नुकसान पहुँचाने वाली अन्य कुछ धाराएं

यहां मानव शरीर (Human Body) और जीवन के खिलाफ अपराधों से संबंधित आईपीसी की कुछ अन्य महत्वपूर्ण धाराएं दी गई हैं:

  • IPC Section 299 - गैर इरादतन हत्या: यह धारा गैर इरादतन हत्या (Culpable Homicide) के अपराध से संबंधित है, जो किसी व्यक्ति की गैरकानूनी हत्या है। इसमें ऐसे मामले शामिल हैं जहां मृत्यु का कारण बनने वाला कार्य मृत्यु कारित करने के इरादे से किया जाता है या इस जानकारी के साथ किया जाता है कि इससे मृत्यु होने की संभावना है।
  • IPC Section 307 - हत्या का प्रयास: सैक्शन 307 हत्या के प्रयास (Attempt to murder) से संबंधित है। इसमें ऐसे मामले शामिल हैं जहां एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की मौत का कारण बनने की कोशिश करता है लेकिन सफल नहीं हो पाता है।
  • IPC Section 313 - महिला की सहमति के बिना गर्भपात कराना: सैक्शन 313 गर्भवती महिला की सहमति के बिना Abortion कराने से संबंधित है। यह धारा 312 से अलग अपराध है, जो महिला की सहमति के बिना (Without Consent) गर्भपात कराने से संबंधित है।
  • IPC Section 316 - अजन्मे बच्चे की मृत्यु का कारण: सैक्शन 316 किसी ऐसे कार्य से अजन्मे बच्चे (Unborn child) की मृत्यु का कारण बनने से संबंधित है जो माँ के जीवन को बचाने के उद्देश्य से सद्भावना (Goodwill) से नहीं किया गया है।
  • IPC Section 317 - बारह वर्ष से कम उम्र के बच्चे को उजागर करना और त्यागना: सैक्शन 317 बारह वर्ष से कम उम्र के बच्चे को पूरी तरह से त्यागने और उनकी देखभाल न करने के इरादे से त्यागने के कृत्य को अपराध मानती है।
  • IPC Section 318 - मृत शरीर का गुप्त निपटान करके जन्म को छिपाना: सैक्शन 318 मृत शरीर (Dead body) को गुप्त रूप से निपटाकर बच्चे के जन्म को छिपाने के अपराध को संबोधित करती है। यह ऐसा करने वाले व्यक्तियों पर जुर्माना लगाता है।

Offence : गर्भपात के कारण


Punishment : 3 साल या जुर्माना या दोनों


Cognizance : असंज्ञेय


Bail : जमानती


Triable : मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी



Offence : अगर औरत बच्चे के साथ जल्दी हो


Punishment : 7 साल + जुर्माना


Cognizance : असंज्ञेय


Bail : जमानती


Triable : मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी





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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल


आईपीसी की धारा 312 क्या है?

धारा 312 गर्भपात कराने के अपराध से संबंधित है। यह उन स्थितियों से संबंधित है जहां कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी महिला को उसके अजन्मे बच्चे को खोने का कारण बनता है, चाहे वह नशीली दवाएं देकर, बल प्रयोग करके या किसी अन्य माध्यम से।



"गर्भपात" शब्द का क्या अर्थ है?

सैक्शन 312 में, "गर्भपात" का तात्पर्य भ्रूण के गर्भ के बाहर जीवित रहने में सक्षम होने से पहले एक महिला की गर्भावस्था को समाप्त करने से है।



IPC 312 के तहत अपराध लागू करने के लिए आवश्यक तत्व क्या हैं?

सैक्शन 312 के तहत अपराध लागू करने के लिए, यह साबित करना होगा कि किसी ने जानबूझकर एक महिला की सहमति के बिना उसका गर्भपात कराया है।



भारतीय दंड संहिता की धारा 312 के तहत अपराध के लिए दंड क्या हैं?

यदि कोई व्यक्ति IPC 312 के तहत Abortion कराने का दोषी पाया जाता है, तो उसे तीन साल तक की कैद की सजा हो सकती है और जुर्माना भी देना पड़ सकता है।



क्या IPC Section 312 के तहत मामलों में कोई अपवाद या बचाव है?

कुछ अपवाद हैं, जैसे कि जब कार्य गर्भवती महिला के जीवन को बचाने के उद्देश्य से सद्भावना से किया जाता है। लागू होने वाली विशिष्ट परिस्थितियों और बचावों की अधिक जानकारी पाने के लिए किसी कानूनी विशेषज्ञ से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।