धारा 304ख आईपीसी - IPC 304ख in Hindi - सजा और जमानत - दहेज मॄत्यु

अपडेट किया गया: 01 Mar, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 304ख का विवरण
  2. क्या होती है भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (ख)?
  3. भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (ख) के लिए आवश्यक तत्व
  4. धारा 304 (ख) के लिए सजा का प्रावधान
  5. धारा 304 (ख) में वकील की जरुरत क्यों होती है?

धारा 304ख का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 304ख के अनुसार

(1) जहां किसी स्त्री की मॄत्यु किसी दाह या शारीरिक क्षति द्वारा कारित की जाती है या उसके विवाह के सात वर्ष के भीतर सामान्य परिस्थितियों से अन्यथा हो जाती है और यह दर्शित किया जाता है कि उसकी मॄत्यु के कुछ पूर्व उसके पति ने या उसके पति के किसी नातेदार ने, दहेज की किसी मांग के लिए, या उसके संबंध में, उसके साथ क्रूरता की थी या उसे तंग किया था वहां ऐसी मॄत्यु को दहेज मॄत्यु कहा जाएगा और ऐसा पति या नातेदार उसकी मॄत्यु कारित करने वाला समझा जाएगा ।
स्पष्टीकरण--इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए दहेज का वही अर्थ है जो दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 (1961 का 28) की धारा 2 में है ।
(2) जो कोई दहेज मॄत्यु कारित करेगा वह कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा ।


क्या होती है भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (ख)?

भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (ख) दहेज़ मृत्यु से सम्बन्धित होती है, जिसके प्रावधानों के अनुसार यदि किसी महिला की मृत्यु उसकी शादी के 7 बर्ष के अंदर हो जाती है, और मृत्यु का कारण उस महिला के पति या पति के किसी खास रिश्तेदार के द्वारा उस महिला के माता - पिता या परिवार वालों से दहेज़ की मांग होती है, या फिर महिला की मृत्यु से ठीक पहले उसके साथ उसके पति या पति के किसी खास रिश्तेदार के द्वारा की गयी मारपीट या दुर्व्यवहार किया जाता है, या फिर महिला की मृत्यु का कारण उसके पति या पति के किसी खास रिश्तेदार के द्वारा शारीरिक क्षति होती है, या फिर उस महिला को जलाकर मार दिया जाता है, तो ऐसी स्तिथि में यह दहेज़ मृत्यु का मामला बन जाता है। इस उपधारा के प्रयोजनों में प्रयोग किये गए दहेज का वही अर्थ है, जो दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 (1961 का 28) की धारा 2 में दिया गया है।


भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (ख) के लिए आवश्यक तत्व

भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (ख) दहेज़ मृत्यु से सम्बन्धित है, जिसमें किसी महिला के पति या उसके किसी सगे सम्बन्धी द्वारा उस महिला की दहेज़ के लिए या उसके साथ क्रूरता के बाद उसकी हत्या कर दी जाती है, ऐसी स्तिथि में इस धारा के आवश्यक तत्वों में इन बातो के साथ -साथ केवल यह ही है, कि उस महिला कि मृत्यु उसकी शादी के 7 बर्ष के अंदर हो जाती है।


धारा 304 (ख) के लिए सजा का प्रावधान

उस व्यक्ति को जिसने भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (ख) के तहत अपराध किया है, उसे इस संहिता के अंतर्गत कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है, जिसकी समय सीमा को 7 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और इस अपराध में अपराध कि संगीनता के आधार पर न्यायालय द्वारा अपराधी को आजीवन कारावास के दंड का भी प्रावधान किया गया है।


धारा 304 (ख) में वकील की जरुरत क्यों होती है?

भारतीय दंड संहिता में धारा 304 (ख) का अपराध बहुत ही गंभीर और बड़ा माना जाता है, क्योंकि इस धारा के अंतर्गत किसी महिला की दहेज़ के कारण मृत्यु होने का मामला बनता है, जिसमें इस अपराध के दोषी को धारा 304 (ख) के प्रावधानों के अनुसार उस अपराध की सजा दी जाती है, जो अपराधी उस महिला की दहेज़ के कारण मृत्यु होने का कारण बनता है। ऐसे अपराध से किसी भी आरोपी का बच निकलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है, इसमें आरोपी को निर्दोष साबित कर पाना बहुत ही कठिन हो जाता है। ऐसी विकट परिस्तिथि से निपटने के लिए केवल एक वकील ही ऐसा व्यक्ति हो सकता है, जो किसी भी आरोपी को बचाने के लिए उचित रूप से लाभकारी सिद्ध हो सकता है, और अगर वह वकील अपने क्षेत्र में निपुण वकील है, तो वह आरोपी को उसके आरोप से मुक्त भी करा सकता है। और किसी महिला की दहेज़ के कारण मृत्यु होने के मामलों में ऐसे किसी वकील को नियुक्त करना चाहिए जो कि ऐसे मामलों में पहले से ही पारंगत हो, और धारा 304 (ख) जैसे मामलों को उचित तरीके से सुलझा सकता हो। जिससे आपके केस को जीतने के अवसर और भी बढ़ सकते हैं।



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