धारा 220 आईपीसी - IPC 220 in Hindi - सजा और जमानत - प्राधिकार वाले व्यक्ति द्वारा जो यह जानता है कि वह विधि के प्रतिकूल कार्य कर रहा है, विचारण के लिए या परिरोध करने के लिए सुपुर्दगी

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 220 का विवरण
  2. धारा 220 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धारा 220 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 220 के अनुसार जो कोई किसी ऐसे पद पर होते हुए, जिससे व्यक्तियों को विचारण या परिरोध के लिए सुपुर्द करने का, या व्यक्तियों को परिरोध में रखने का उसे वैध प्राधिकार हो किसी व्यक्ति को उस प्राधिकार के प्रयोग में यह जानते हुए भ्रष्टतापूर्वक या विद्वेषपूर्वक विचारण या परिरोध के लिए सुपुर्द करेगा या परिरोध में रखेगा कि ऐसा करने में वह विधि के प्रतिकूल कार्य कर रहा है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा ।

Offence : अधिकार रखने वाले व्यक्ति द्वारा परीक्षण या कारावास के लिए प्रतिबद्धता, कौन जानता है कि वह कानून के विपरीत कार्य कर रहा है


Punishment : 7 साल या जुर्माना या दोनों


Cognizance : गैर - संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट





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IPC धारा 220 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 220 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 220 अपराध : अधिकार रखने वाले व्यक्ति द्वारा परीक्षण या कारावास के लिए प्रतिबद्धता, कौन जानता है कि वह कानून के विपरीत कार्य कर रहा है



आई. पी. सी. की धारा 220 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 220 के मामले में 7 साल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 220 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 220 गैर - संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 220 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

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आई. पी. सी. की धारा 220 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 220 जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 220 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 220 के मामले को कोर्ट प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।