धारा 217 आईपीसी - IPC 217 in Hindi - सजा और जमानत - लोक सेवक द्वारा किसी व्यक्ति को दंड से या किसी संपत्ति के समपहरण से बचाने के आशय से विधि के निदेश की अवज्ञा

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 217 का विवरण
  2. धारा 217 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धारा 217 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 217 के अनुसार जो कोई लोक सेवक होते हुए विधि के ऐसे किसी निदेश की, जो उस संबंध में हो कि उससे ऐसे लोक सेवक के नाते किस ढंग का आचरण करना चाहिए, जानते हुए अवज्ञा किसी व्यक्ति को वैध दंड से बचाने के आशय से या संभाव्यतः तद्द्वारा बचाएगा यह जानते हुए अथवा उससे दंड की अपेक्षा, जिससे वह दंडनीय है, तद्द्वारा कम दंड दिलवाएगा या संभाव्य जानते हुए अथवा किसी संपत्ति को ऐसे समपहरण या किसी भार से, जिसके लिए वह संपत्ति विधि के द्वारा दायित्व के अधीन है बचाने के आशय से या संभाव्यतः तद्द्वारा बचाएगा यह जानते हुए करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा ।

Offence : लोक सेवक सजा से व्यक्ति को बचाने के इरादे से कानून की एक दिशा की अवहेलना, या संपत्ति जब्ती से


Punishment : 2 साल या जुर्माना या दोनों


Cognizance : गैर - संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट





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IPC धारा 217 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 217 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 217 अपराध : लोक सेवक सजा से व्यक्ति को बचाने के इरादे से कानून की एक दिशा की अवहेलना, या संपत्ति जब्ती से



आई. पी. सी. की धारा 217 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 217 के मामले में 2 साल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 217 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 217 गैर - संज्ञेय है।



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आई. पी. सी. की धारा 217 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 217 जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 217 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 217 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।