धारा 216क आईपीसी - IPC 216क in Hindi - सजा और जमानत - लुटेरों या डाकुओं को संश्रय देने के लिए शास्ति

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 216क का विवरण

धारा 216क का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 216क के अनुसार जो कोई यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि कोई व्यक्ति लूट या डकैती हाल ही में करने वाले हैं या हाल ही में लूट या डकैती कर चुके हैं, उनको या उनमें से किसी को, ऐसी लूट या डकैती का किया जाना सुकर बनाने के, या उनको या उनमें से किसी को दंड से प्रतिच्छादित करने के आशय से संश्रय देगा, वह कठिन कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।
स्पष्टीकरण--इस धारा के प्रयोजनों के लिए यह तत्वहीन है कि लूट या डकैती 3[भारत] में करनी आशयित है या की जा चुकी है, या 3[भारत] से बाहर ।
अपवाद--इस उपबंध का विस्तार ऐसे मामले पर नहीं है, जिसमें संश्रय देना, या छिपाना अपराधी के पति या पत्नी द्वारा हो ।]


आईपीसी धारा 216क शुल्कों के लिए सर्व अनुभवी वकील खोजें