धारा 203 आईपीसी - IPC 203 in Hindi - सजा और जमानत - किए गए अपराध के विषय में मिथ्या इत्तिला देना

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 203 का विवरण
  2. धारा 203 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धारा 203 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 203 के अनुसार जो कोई यह जानते हुए, या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए, कि कोई अपराध किया गया है उस अपराध के बारे में कोई ऐसी इत्तिला देगा, जिसके मिथ्या होने का उसे ज्ञान या विश्वास हो, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से या दोनों से, दंडित किया जाएगा ।
1[स्पष्टीकरण--धारा 201 और 202 में और इस धारा में अपराध शब्द के अंतर्गत 2[भारत] से बाहर किसी स्थान पर किया गया कोई भी ऐसा कार्य आता है, जो यदि 2[भारत] में किया जाता तो निम्नलिखित धारा अर्थात् 302, 304, 382, 392, 393, 394, 395, 396, 397, 398, 399, 402, 435, 436, 449, 450, 457, 458, 459 तथा 460 में से किसी भी धारा के अधीन दंडनीय होता ।

Offence : गलत सूचना देना अपराध का सम्मान करता है


Punishment : 2 साल या जुर्माना या दोनों


Cognizance : गैर - संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट





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IPC धारा 203 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 203 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 203 अपराध : गलत सूचना देना अपराध का सम्मान करता है



आई. पी. सी. की धारा 203 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 203 के मामले में 2 साल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 203 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 203 गैर - संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 203 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

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आई. पी. सी. की धारा 203 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 203 जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 203 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 203 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।