धारा 171 आईपीसी - IPC 171 in Hindi - सजा और जमानत - कपटपूर्ण आशय से लोक सेवक के उपयोग की पोशाक पहनना या निशानी को धारण करना।

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 171 का विवरण
  2. धारा 171 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धारा 171 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 171 के अनुसार जो कोई लोक सेवकों के किसी खास वर्ग का न होते हुए, इस आशय से कि यह विश्वास किया जाए, या इस ज्ञान से कि सम्भाव्य है कि यह विश्वास किया जाए, कि वह लोक सेवकों के उस वर्ग का है, लोक सेवकों के उस वर्ग द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली पोशाक के सदृश पोशाक पहनेगा, या निशानी के सदृश कोई निशानी धारण करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे तीन महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या दो सौ रुपए तक का आर्थिक दण्ड, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।

लागू अपराध
कपटपूर्ण आशय से लोक सेवक के उपयोग की पोशाक पहनना या निशानी को धारण करना।
सजा - तीन महीने कारावास या दो सौ रुपए आर्थिक दण्ड, या दोनों।
यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मॅजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

Offence : जैसे वर्णित किया गया है


Punishment : 3 महीना या जुर्माना या दोनों


Cognizance : संज्ञेय


Bail : गैर जमानतीय


Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट





आईपीसी धारा 171 शुल्कों के लिए सर्व अनुभवी वकील खोजें

IPC धारा 171 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 171 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 171 अपराध : जैसे वर्णित किया गया है



आई. पी. सी. की धारा 171 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 171 के मामले में 3 महीना या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 171 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 171 संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 171 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

आई. पी. सी. की धारा 171 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।



आई. पी. सी. की धारा 171 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 171 गैर जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 171 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 171 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।