IPC 153A in Hindi - धारा 153a क्या है सजा, जमानत, बचाव की जानकारी

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 153A क्या है ? IPC Section 153A in Hindi
  2. IPC Section 153 A का उदाहरण
  3. धारा 153 A में सजा कितनी होती है
  4. IPC 201 में जमानत (Bail) कब और कैसे मिलती है
  5. धारा 153 A में बचाव के लिए क्या करे
  6. धारा 153क पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

दोस्तों जैसा की आपको पता है भारत एक समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और गणतंत्र देश है। जहाँ सभी को समान रुप से बोलने व मिल-जुलकर रहने का अधिकार प्राप्त है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से भारत में धर्म और जाति (religion and caste) के नाम पर भेदभाव बढ़ता जा रहा है। धार्मिक दुश्मनी ने जनता के बीच दूरियाँ पैदा कर दी है। तो आज के लेख में हम इसी विषय पर सहजता से बात करेंगे, भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत आने वाली एक ऐसे धारा के बारे में कि धारा 153 A क्या है (IPC Section 153A in Hindi)?। ये धारा कब और किस अपराध में लगती है? इस धारा से जुड़े अपराध मामले सजा कितनी और जमानत कैसे मिलती है?

कुछ राजनेताओं ने वोट बैंक की राजनीति करके नफरत भरे भाषणों के माध्यम से हमेशा देश में हिंसा को भड़काने का काम किया है। जिससे लोगों के बीच आपसी तनाव बढ़ा और दंगों (riots) के कारण लोगों की जान चली गई है। नफरत भरे भाषण, टेक्स्ट और फिल्मों के दवारा भी जाति और धर्म को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिन पर अंकुश लगाने के लिए कुछ कानून बनाए गए है तो अगर आप धारा 153 A से संबधित सम्पूर्ण जानकारी चाहते है तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़े।


धारा 153A क्या है – IPC Section 153A in Hindi

आई.पी.सी. की धारा 153 A के अनुसार उन लोगों को दंडित किया जाता है जो जो धर्म, जाति, नस्ल, जन्म स्थान या निवास, या यहां तक ​​कि भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच किसी भी तरह की दुश्मनी को बढ़ावा देने का प्रयास करते हैं। (IPC Section 153A. Promoting enmity between different groups on grounds of religion, race, place of birth, residence, language, etc., and doing acts prejudicial to maintenance of harmony) आइए इस धारा के बारे में सरल भाषा में खुलकर जानने का प्रयास करते है।

यदि कोई व्यक्ति या समूह धर्म और जाति के नाम पर धार्मिक स्थानों पर आपसी तनाव बनाने की कोशिश करता है। समाज में अशांति फैलाने के लिए लोगों के बीच धर्म, जाति के नाम पर शत्रुता बढ़ाने का काम करता है तो ऐसा करने वाले व्यक्ति पर Section 153 A के तहत मुकदमा (Court case) दर्ज कर कार्यवाही की जाती है।


IPC Section 153 A का उदाहरण

एक शहर में M.L.A के चुनाव का समय चल रहा था। इसी कारण वहाँ रोजाना बहुत सारी रैलियाँ होती थी। एक दिन मुख्य पार्टी के उम्मीदवार को पता चलता है कि एक बड़े समुदाय के लोगों की वोट दूसरे पक्ष के उम्मीदवार के साथ है। यह बात जानकर उसे अपने हारने का ड़र लगने लगता है। उसी दिन वो कुछ लोगों को पैसे देकर सभी समुदाय (community) के लोगों में धर्म व जाति के नाम पर उकसा कर झगड़ा करवा देता है।

जिससे सारा इल्जाम दूसरे पक्ष के उम्मीदवार पर आ जाए लेकिन जांच होने पर पुलिस को पता चलता जाता है कि झगड़ा मुख्य पार्टी के उम्मीदवार ने करवाया है। इसलिए धर्म व जाति के नाम पर लोगों के आपसी भाईचारे को खराब करने के जुर्म में उस व्यक्ति पर धारा 153 A के तहत कार्यवाही की जाती है।

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धारा 153 A में सजा कितनी होती है

भारतीय दंड संहिता की धारा 153 A के तहत यदि कोई भी व्यक्ति धर्म व जाति को आधार बनाकर समाज में अशांति फैलाने के जुर्म में न्यायालय द्वारा दोषी पाया जाता है। तो उस व्यक्ति को 3 वर्ष तक की सजा व जुर्माना से दंडित किया जाता है।

यदि कोई व्यक्ति पूजा करने के स्थानों जैसे :-मंदिर, मस्जिदों, गुरुद्वारों को आधार बनाकर किसी भी समुदायों के बीच अशांति फैलाने की कोशिश करता है। तो दोषी पाये जाने पर 5 वर्ष तक की सजा व जुर्माने से दंडित किया जाता है।


IPC 201 में जमानत (Bail) कब और कैसे मिलती है

भारतीय दंड संहिता की धारा 153 A के प्रावधान अनुसार यह एक संज्ञेय अपराध (Non-Cognizable Crime) होता है। जोकि एक गंभीर अपराध होने के कारण गैर-जमानती अपराध (Non Bailable offence) की श्रेणी में आता है। इसलिए यदि किसी व्यक्ति पर इस धारा के तहत कार्यवाही की जाती है। तो उसे जमानत मिलना मुश्किल हो जाता है। इस अपराध में जमानत का फैसला प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय होता है। ऐसे मामलों में एक वकील की भूमिका बहुत अहम होती है। वकील आपके केस को अच्छे से समझेगा और आपको जमानत दिलाने का पूरा प्रयास करेगा।

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धारा 153 A में बचाव के लिए क्या करे

आमतौर पर हमारे देश में अलग-अलग धर्मों के लोगों के बीच आपसी भाईचारा देखने को मिलता है लेकिन कभी-कभी कुछ राजनीतिक पार्टियों द्वारा अपने फायदे के लिए धर्म व जात- पात का सहारा लिया जाता है। जिससे लोगों को एक दूसरे के प्रति गलत विचार पैदा करके लडवाया जाता है। हमें ऐसे लोगों की बातों में आकर कोई भी अपराध करने से बचना चाहिए। तो चलिए इस IPC Section 153A से बचाव की कुछ जरुरी बातों को जानते है।

  • कभी भी किसी के बहकावे में आकर किसी भी धर्म के लोगों का अपमान ना करेँ।
  • यदि कोई व्यक्ति आपको जात-पात के आधार पर बाँटने की कोशिश करता है तो ऐसे लोगों से अपना बचाव करेँ।
  • किसी के भी धार्मिक स्थान पर जाकर कोई भी असामाजिक कार्य करने ना करें।
  • सभी धर्मों के लोगों का सम्मान करें व एक दूसरे की मदद करें। और किसी के भी बहकावे में आकर आपसी भाईचारा ना खराब करें।
  • यदि कोई आपको किसी दूसरे धर्म के लोगों के बारें में गलत बात बताकर लडवाने की कोशिश करें तो पहले पूरी बात का पता करें और कभी भी कानून अपने हाथ में ना ले।
  • बहुत बार कुछ लोग निर्दोष होते हुए भी झूठे मामलों में फंस जाते है तो तुरन्त अपने अधिकारों का उपयोग करके किसी अच्छे वकील की सहायता लेकर अपना बचाव करे।

तो ऐसी ही छोटी मगर काम की बातों को इस्तेमाल करके आप किसी बड़ी समस्या से अपना बचाव कर सकते है। हमेशा ऐसे अपराधों के बारें में जागरुक रहे व लोगों को भी जरुर बताए। सभी समुदायों के लोगों का सम्मान करें व आपसी भाईचारा बना कर रखे।

Offence : वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना


Punishment : 3 साल या जुर्माना या दोनों


Cognizance : संज्ञेय


Bail : गैर-जमानतीय


Triable : प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट



Offence : पूजा के स्थान पर कक्षाओं के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना, आदि


Punishment : 5 साल + जुर्माना


Cognizance : संज्ञेय


Bail : गैर-जमानतीय


Triable : प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट





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IPC धारा 153क पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 153क के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 153क अपराध : वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना



आई. पी. सी. की धारा 153क के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 153क के मामले में 3 साल या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 153क संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 153क संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 153क के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

आई. पी. सी. की धारा 153क के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।



आई. पी. सी. की धारा 153क जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 153क गैर-जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 153क के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 153क के मामले को कोर्ट प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।