IPC 149 in Hindi - धारा 149 कब लगती है सज़ा, जमानत और बचाव

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

दोस्तों आपने बहुत बार ऐसे अपराध के मामलों के बारे में सुना होगा। जिनमें अपराध (Crime) किसी और व्यक्ति ने किया लेकिन उसके साथ-साथ जो अन्य लोग शामिल होते है, उनको बिना कुछ किए भी सामान रुप से दोषी (Guilty) मानकर सजा दी जाती है। इसी तरह के अपराधों के बारें में जानने के लिए लोगों के बहुत सारे सवाल भी रहते है। इसलिए आज के लेख में हम भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत आने वाली ऐसे कानून की धारा के बात करेंगे कि धारा 149 क्या है ये सेक्शन कब लगता है? IPC Section 149 के मामले में सजा (Punishment) और जमानत (Bail) कैसे मिलती है?

कभी-कभी अंजाने में हम किसी ऐसी भीड़ का हिस्सा बन जाते है, जिसमें अपराध कोई और कर देता है और सजा हमें भी मिल जाती है। यदि आप भी ऐसे अपराध से संबधित आईपीसी सेक्शन के बारे में विस्तार से जानना चाहते है तो हमारे धारा 149 के इस आर्टिकल को पूरा पढ़े।

धारा 149 क्या है कब लगती है – IPC 149 in Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 149 के तहत बताया गया है कि किसी 5 या 5 से अधिक लोगों के विधिविरुद्ध (कानून की अनुमति के विरुद्ध) जनसमूह में से किसी एक सदस्य द्वारा भी कोई ऐसा अपराध किया जाता है। जिस अपराध को करने का उस जनसमूह के सभी लोगों का सामान आशय था, तो उस जनसमूह के सभी सदस्य उस अपराध के दोषी (Convicted of a crime) होंगे।

इसे और भी आसान भाषा में समझे तो इसका अर्थ है कि 5 या 5 से अधिक लोगों के समूह में से कोई एक व्यक्ति भी किसी व्यक्ति को मार देता है या कोई अन्य अपराध कर देता है, तो उस समूह के सभी लोग अपराधी ही माने जाएंगे।


धारा 149 के अपराध का उदाहरण

एक दिन राहुल का किसी के लड़के के साथ झगड़ा हो जाता है। इसलिए राहुल उस लड़के से अपना बदला लेने के लिए अपने 4 दोस्तों को साथ ले जाता है। राहुल अपने चारों दोस्तों को बोलता है कि उसने मेरे साथ झगड़ा किया आज उसको सबक सिखाना है। उसके बाद राहुल व उसके चारों दोस्त उस लड़के के साथ मार पीट करने चले जाते है। जब राहुल उस लड़के के साथ मारपीट कर रहा होता है, तब उस लड़के को बहुत गंभीर चोट लग जाती है व उसकी मृत्यु हो जाती है।

जिसके बाद राहुल व उसके दोस्त वहाँ से भाग जाते है, कुछ समय बाद राहुल के घर पुलिस आती है उस लड़के की हत्या के आरोप में पकड़ने। राहुल को पकड़ने के साथ साथ पुलिस राहुल के चारों दोस्तों को भी गिरफ्तार कर लेती है। जिसके बाद न्यायालय द्वारा कहा जाता है कि सभी लड़के राहुल के साथ सामान आशय के साथ वही गये थे। इसलिए राहुल व उसके चारों दोस्तों को धारा 149 के तहत दोषी पाये जाने पर सजा से दंडित किया जाता है।


आईपीसी धारा 149 व धारा 34 में अंतर

बहुत बार लोगों का धारा 149 व धारा 34 में अंतर को लेकर सवाल रहता है इसलिए दोनों धाराओं के अतंर को एक साथ समझना जरुरी है।

आई पी सी की धारा 34 के अनुसार बताया गया है कि यदि दो या दो से अधिक लेकिन 5 से कम व्यक्ति किसी अपराध को करते है तो उस अपराध में शामिल सभी लोगों पर धारा 34 के तहत कार्यवाही की जाती है।

धारा 149 के अनुसार बताया गया है कि किसी भी 5 या 5 से अधिक लोगों के गैर-कानूनी समूह में से कोई भी व्यक्ति किसी अपराध को करता है तो उस समूह के सभी लोगों को किए गए अपराध का दोषी माना जाएगा।

Note:- अगर आप धारा 34 के बारे में भी विस्तार से जानना चाहते है तो आप हमारे IPC section 34 वाले लेख को यहाँ क्लिक कर पढ़ सकते है।

धारा 149 में सजा – IPC 149 Punishment in Hindi

आई पी सी की धारा 149 (Indian penal code section 149) में दंड के प्रावधान अनुसार बताया गया है कि किसी भी लोगों के जनसमूह का जो भी व्यक्ति जो अपराध करेगा उसे व उसके समूह के सभी लोगों को किए गए अपराध अनुसार ही सजा दी जाएगी।

इसका मतलब है कि यदि लोगों के समूह में से कोई एक व्यक्ति अगर किसी अन्य व्यक्ति को गंभीर चोट पहुँचा देता है तो सभी को चोट पहुँचाने की धारा के तहत ही सजा दी जाएगी। इस प्रकार से अपराधी व्यक्ति द्वारा जो भी अपराध किया जाएगा उसे उस अपराध के तहत ही सजा दी जाएगी।

धारा 149 केवल यही बताता है कि जनसमूह में से कोई एक व्यक्ति भी अपराध करता है और उसके साथ एकत्र हुए लोगों का भी उस अपराध को करने का सामान आशय था, तो सभी को किए गए अपराध अनुसार ही सजा मिलेगी।


IPC 149 में जमानत कब और कैसे मिलती है

भारतीय दंड संहिता की धारा 149 में जमानत का फैसला भी इसी आधार पर किया जाता है। किसी जनसमूह (Group of people) का कोई भी व्यक्ति जो भी अपराध करता है उस केस (Case) में जमानत (Bail) का फैसला किए गए अपराध अनुसार ही किया जाता है। जिसमें किए गए अपराध के अनुसार ही देखा जाता है कि आरोपी ने कौन सा अपराध किया है और आरोपी पर आईपीसी की कौन सी धारा का इस्तेमाल किया गया है। यदि उस अपराध की धारा जमानतीय (Bailable) होगी तो जमानत मिल जाएगी अगर जमानतीय नहीं होगी तो नहीं।


क्या आईपीसी की धारा 149 को धारा 34 में बदला जा सकता है?

सुप्रीम कोर्ट का एक ऐसा ही मामला था, जिसमें आईपीसी धारा 307 (हत्या के प्रयास) के अपराध के सात आरोपी व्यक्तियों में से 3 व्यक्तियों को बरी कर दिया गया था। इसलिए उस केस में दोषी व्यक्तियों की संख्या 5 से कम हो गई थी। धारा 149 के तहत लोगों के समूह में 5 से अधिक व्यक्ति होने पर ही धारा 149 के तहत कार्यवाही की जाती है। ऐसे में 5 से कम होने के कारण अदालत (Court) से सामने यह मुद्दा था कि समूह के लोगों के लिए धारा 34 (Section 34) का उपयोग करना ही वैध माना जाएगा।


आईपीसी सेक्शन 149 में बचाव के लिए कुछ जरुरी बातें?

अकसर लोगों द्वारा इंटरनेट पर किसी अपराध से बचाव के बारे में बहुत सर्च किया जाता है, परन्तु अगर लोग उस अपराध को करने से पहले से या ऐसे मामलों में फंसने से पहले ही उन अपराध की वजहों व कारणों के बारे में जान ले तो बाद में कोई समस्या उत्पन्न ही नहीं होगी। इसलिए आइये जानते कुछ जरुरी बातों को जिनकी सहायता से ऐसे अपराध को करने से बचा जा सकता है।

दोस्तों सबसे जरुरी बात जो आपको जाननी चाहिए वो ये है कि आप किसी भी गैर-कानूनी जन समूह (unlawful group of people) में ना जाए।

गैर-कानूनी जन समूह - कुछ लोगों का ऐसा समूह जो कानूनी की अनुमति के कोई भी कार्य करता हो उसे गैर- कानूनी समूह कहा जाता है। इसलिए सबसे पहला अपराध तो यही हो जाता है जब आप किसी गैर-कानूनी समूह में शामिल होते है। इसलिए ऐसे समूह में जाने से अपना बचाव करें।

  • यदि आपका कोई दोस्त आपको किसी प्रकार के झगड़े में बुलाता है तो उसके साथ जाने से अपना बचाव करें।
  • यदि आपके दोस्तों में से कोई दोस्त ऐसा है जो गैर-कानूनी कार्य करता हो या गलत लोगों के साथ बैठता हो तो तुरन्त उसका साथ छोड़ दे।
  • बहुत से मामलों में यही होता है कि किसी समूह में आप बिना पूरी बात जाने चले जाते है और वहाँ कोई व्यक्ति अपराध कर देता है तो उसमें बिना कुछ किए आप भी दोषी बन जाते है।
  • यदि आप किसी ऐसी परिस्थिति में फंस जाते है जिसमें आपने कुछ नहीं किया ना ही आप उस समूह के बारें में कुछ जानते थे तो बहुत ही समझदारी से काम ले।
  • सबसे पहले अपने लिए किसी अच्छे व काबिल वकील (Lawyer) को अपने केस के बारे में बताए, ऐसे मामलों में एक होनहार वकील आपको ऐसी किसी भी समस्या से बचा सकता है।

Offence : यदि किसी गैरकानूनी सभा के किसी सदस्य द्वारा अपराध किया जाता है, तो ऐसी सभा का हर दूसरा सदस्य अपराध का दोषी होगा


Punishment : किये गए अपराध के समान


Cognizance : किये गए अपराध के समान


Bail : उस अदालत के द्वारा जिसमे किया गया अपराध जाने योग्य है


Triable : उस अदालत के द्वारा जिसमे किया गया अपराध जाने योग्य है





आईपीसी धारा 149 शुल्कों के लिए सर्व अनुभवी वकील खोजें

IPC धारा 149 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 149 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 149 अपराध : यदि किसी गैरकानूनी सभा के किसी सदस्य द्वारा अपराध किया जाता है, तो ऐसी सभा का हर दूसरा सदस्य अपराध का दोषी होगा



आई. पी. सी. की धारा 149 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 149 के मामले में किये गए अपराध के समान का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 149 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 149 किये गए अपराध के समान है।



आई. पी. सी. की धारा 149 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

आई. पी. सी. की धारा 149 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।



आई. पी. सी. की धारा 149 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 149 उस अदालत के द्वारा जिसमे किया गया अपराध जाने योग्य है है।



आई. पी. सी. की धारा 149 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 149 के मामले को कोर्ट उस अदालत के द्वारा जिसमे किया गया अपराध जाने योग्य है में पेश किया जा सकता है।