धारा 129 आईपीसी - IPC 129 in Hindi - सजा और जमानत - लोक सेवक का उपेक्षा से किसी कैदी का निकल भागना सहन करना।

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


LawRato

विषयसूची

  1. धारा 129 का विवरण
  2. धारा 129 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

धारा 129 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 129 के अनुसार जो कोई लोक सेवक होते हुए और किसी राजकैदी या युद्धकैदी की अभिरक्षा रखते हुए उपेक्षा से ऐसे कैदी का किसी ऐसे परिरोध स्थान से जिसमें ऐसा कैदी परिरुद्ध है, निकल भागना सहन करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए सादा कारावास जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से दण्डित किया जाएगा, और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा।

लागू अपराध
लोक सेवक का उपेक्षापूर्वक स्वयं की अभिरक्षा से किसी कैदी का निकल भागना सहन करना।
सजा - तीन वर्ष सादा कारावास + आर्थिक दण्ड।
यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के न्यायाधीश द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

Offence : लोक सेवक ने लापरवाही से राज्य के कैदी या भागने के लिए अपनी हिरासत में युद्ध पीड़ित


Punishment : साधारण कारावास 3 वर्ष + जुर्माना


Cognizance : संज्ञेय


Bail : जमानतीय


Triable : प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट





आईपीसी धारा 129 शुल्कों के लिए सर्व अनुभवी वकील खोजें

IPC धारा 129 पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


आई. पी. सी. की धारा 129 के तहत क्या अपराध है?

आई. पी. सी. धारा 129 अपराध : लोक सेवक ने लापरवाही से राज्य के कैदी या भागने के लिए अपनी हिरासत में युद्ध पीड़ित



आई. पी. सी. की धारा 129 के मामले की सजा क्या है?

आई. पी. सी. की धारा 129 के मामले में साधारण कारावास 3 वर्ष + जुर्माना का प्रावधान है।



आई. पी. सी. की धारा 129 संज्ञेय अपराध है या गैर - संज्ञेय अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 129 संज्ञेय है।



आई. पी. सी. की धारा 129 के अपराध के लिए अपने मामले को कैसे दर्ज करें?

आई. पी. सी. की धारा 129 के मामले में बचाव के लिए और अपने आसपास के सबसे अच्छे आपराधिक वकीलों की जानकारी करने के लिए LawRato का उपयोग करें।



आई. पी. सी. की धारा 129 जमानती अपराध है या गैर - जमानती अपराध?

आई. पी. सी. की धारा 129 जमानतीय है।



आई. पी. सी. की धारा 129 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

आई. पी. सी. की धारा 129 के मामले को कोर्ट प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।