धारा 104 आईपीसी - IPC 104 in Hindi - सजा और जमानत - मॄत्यु से भिन्न कोई क्षति कारित करने तक के अधिकार का विस्तार कब होता है।

अपडेट किया गया: 01 Apr, 2024
एडवोकेट चिकिशा मोहंती द्वारा


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विषयसूची

  1. धारा 104 का विवरण

धारा 104 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 104 के अनुसार यदि वह अपराध, जिसके किए जाने या किए जाने के प्रयत्न से निजी प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग का अवसर आता है, ऐसी चोरी, कुचेष्टा या आपराधिक अतिचार है, जो पूर्वगामी धारा में प्रगणित भांतियों में से किसी भांति का न हो, तो उस अधिकार का विस्तार स्वेच्छया मॄत्यु कारित करने का नहीं होता किन्तु उसका विस्तार धारा 99 में वर्णित निर्बंधनों के अध्यधीन दोषकर्ता की मॄत्यु से भिन्न कोई क्षति स्वेच्छया कारित करने तक का होता है।


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